अजब गजब

पिता की मौत ने झकझोरा, छोड़ दी IAS की नौकरी, अब करते हैं जिंदगी बचाने का कारोबार, कौन हैं सैयद सबहत अजीम

हाइलाइट्स

सैयद सबहत अजीम 2000 बैच के आईएएस अधिकारी रहे.
2010 में ग्लोबल हेल्थकेयर सिस्टम शुरू करने के लिए IAS की नौकरी छोड़ दी.
ग्रामीण इलाकों में बेहतर सुविधाएं पहुंचाने के लिए उन्हें सम्मानित किया जा चुका है.

नई दिल्ली. देश में IAS-IPS बनने को लेकर आपने कई युवाओं के संघर्ष की कहानी सुनी होगी. आखिर कैसे उन्होंने तमाम मुश्किलों को पार करके सिविल सर्विस एग्जाम में टॉप किया और देश की सबसे प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी हासिल की. लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने IIM से पढ़ाई की और यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद IAS बने, लेकिन बिजनेस के खातिर इस टॉप जॉब को छोड़ दिया.

IAS रहते हुए कभी यह शख्स त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के सचिव रहे थे, लेकिन खुद का स्टार्टअप शुरू करने के लिए इस नौकरी को छोड़ दिया. ये वाकई हैरान करने वाला है कि सिविल सर्विस को छोड़कर किसी व्यक्ति ने बिजनेस करना ज्यादा सही समझा. आइये जानते हैं आखिर ऐसा क्या हुआ कि IAS की नौकरी छोड़कर सैयद सबहत अजीम ने बिजनेस को क्यों चुना?

कौन हैं सैयद सबहत अजीम?
डॉ सैयद सबहत अज़ीम एक सोशल एन्टप्रिन्योर और ट्रेनेंड डॉक्टर हैं, जिन्होंने 2010 में ग्लोबल हेल्थकेयर सिस्टम शुरू करने के लिए IAS की नौकरी छोड़ दी. सैयद सहबत 2000 बैच के आईएएस अधिकारी रहे. उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ाई की. सैयद सबहत के पास दो दशकों से ज्यादा की चिकित्सा विशेषज्ञता है. बतौर IAS रहते हुए उन्होंने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के सचिव समेत उच्च पदों पर भी काम किया.

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क्यों छोड़ी IAS की नौकरी?
आईएएस की नौकरी छोड़कर बिजनेस को चुनना वाकई एक मुश्किल फैसला है. क्योंकि सिविल सर्विस जैसी प्रतिष्ठित जॉब हर युवा का सपना होता है और इस कठिन एग्जाम को पास करके एक अधिकारी के रूप में सम्मान का जीवन बीताना कौन नहीं चाहता है. लेकिन सैयद सबहत ने मुश्किल फैसला अपने पिता की मृत्यु के बाद लिया.

डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता के एक निजी अस्पताल में सर्जरी के दौरान डॉ अजीम के पिता की मौत हो गई और इस दुखद घटना ने उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित किया. क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि यदि चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण उनके पिता की जान जा सकती है, तो यह भारत के किसी भी नागरिक के साथ ऐसा हो सकता है. इस तरह उन्होंने GHS (Global Healthcare System) लॉन्च करने के लिए एक आईएएस अधिकारी के रूप में इस्तीफा दे दिया. ग्लोबल हेल्थकेयर सिस्टम छोटे शहरों और गांवों में अस्पतालों की स्थापना कर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचा रहा है.

ग्रामीण इलाकों में पहुंचा रहे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं
डॉ अजीम अपना ज्यादातर समय कोलकाता और पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों में बिताते हैं. उन्होंने एक गांव में 30 बिस्तरों के छोटे से स्वास्थ्य केंद्र से जीएचएस की शुरुआत की. बांकुड़ा के सोनामुखी में पहला ग्लोबल अस्पताल शुरू करने के बाद उनके अस्पतालों की श्रृंखला का विस्तार हुआ है, और अब उनकी उपस्थिति बीरभूम, बांकुरा, मुर्शिदाबाद, बर्दवान, दार्जिलिंग और नादिया सहित पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में है और उनके इस वेंचर का वैल्युएशन करोड़ों में है.

भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में उनके असाधारण काम के लिए, डॉ अजीम को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के श्वाब फाउंडेशन फॉर सोशल एंटरप्राइज द्वारा 2020 का सोशल एंटरप्रेन्योर नामित किया गया था.

Tags: Business ideas, IAS, Indian startups, Success Story, UPSC


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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