मियां भोपाली के झोले-बतोले: इंदोरियो के ‘मन की बात’ कर दी मोदीजी ने – Mian Bhopali’s Jhole Batole Modiji Did ‘mann Ki Baat’ Of Indorio

मिया भोपाली के झोले बतोले
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
को खां, इंदोर को देश में ‘स्वाद की राजधानी’ बता के अपने मोदीजी ने इंदोरियों के ‘मन की बात’ कर दी। यूं खवैयों ने तो इंदोर को ये दर्जा भोत पेले ई बख्श दिया था, मगर पिरवासी सम्मेलन में दुनिया भर से आए एनआरआइयो के सामने इंदोर को जायके की राजधानी बताने से हर उस इंदोरी का सीना फखर से फूल गया, जो पोये ओर सेंव सूते बिगर जी नई सकता। ये वो जमात हे जो खाएगी भी ओर गाएगी भी।
मियां, पेली दफा ऐसा हुआ के इंदोर की साफ सफाई पे उसके खाने की खूबियां हावी होती दिखीं। इसका एक अलग मेसिज ये भी हे के मियां, मालवे की शान इंदोर में कुछ भी ओर कित्ता भी खाओगे पीयोगे तो कुछ नई बिगड़ेगा। यानी फिजा भी सेहतमंद ओर तमाम आयटम भी जायकेमंद। इंदोर के हलवाइयों में कुछ खास हुनर हे ओर उन आयटमों को मय इसरार के बेचने वालों का तो केना ई क्या। यूं तो किसी भी शेहर के लोग आपसी बातचीत में वहां के खास पकवानों का ओर उन्हें शोक से खाने का जिकर और इसरार तो करते ई हें। मगर कोई पिरधानमंतरी अगर मंच से इंदोर के खास आयटमों मसलन पोया, जलेबी, शिंकजी, पेटिस वगेरा का जिकर करे तो मामला भोत ऊंचा हो जाता हेगा। यानी दोर कोई सा भी हो, इंदोर में स्वादिष्ट खाने का दोर कभी खतम नई होने वाला।
खां, बढि़या खाना और बढि़या सूतना इंदोरियों की फितरत में हेगा। बस हवा भर लग जाए के कहां, कोन सा धांसू आइटम मिल रिया हे ओर खवैयों की लाइन लगी समझो। पिरवासी सम्मेलन में भी सब एक दूसरे को सराफा ओर छप्पन दुकान जेसी स्वादिष्ट जगहों पे जाने की सिफारिश ओर गुजारिश कर रिए थे। नतीजा ये रिया के विदेश मंतरी एस. जयशंकर सीधे छप्पन दुकान में विजय चाट हाउस पोंच गए ओर खोपरा पेटिस टेस्ट करी। पानी पुरी अोर स्मोकी पान भी खाया। कुछ एनआरआई को दाबेली, साबूदाने की खिचड़ी, जानी डाग ओर बटले की कचोरी भी खूब भाई। दिलचस्प तो ये रिया के केन्द्रीय खेल मंतरी अनुराग ठाकुर ने सीएम शिवरााज को बोला के मियां, खाना पीना हो तो सराफे जरूर जाना जवाब में सीएम ने अनुराग ठाकुर को बोला के इंदोर आए हो तो छप्पन दुकान भी याद रखना। सीएम की शरीके जिंदगी साधना सिंह ने तो खुद जमकर पानी पुरी खाई ओर साथ में आई मेहमान एनआरआई को भी खिलाई। भोतो को तो इंदोरी नमकीन इस कदर भाया के वो अपने देशों में इंपोर्ट करने पर संजीदगी से सोच रिए हें।
मियां, खाने के मामले में नए स्वाद ओर आयटमों की ईजाद करना इंदोरियों का शोक हेगा। दूसरे इलाकों के आयटमों में भी ये लोग स्वाद का एसा तड़का मारते हें के बंदा ओरिजिनल को भूल के इंदोरी आयटम को याद रखता हे। चेलेंज ये के खाने में मजा न आए तो नाम बदल देना। लिहाजा गवरमेंट भी इंदोरी नमकीन की दुनिया में बिरांडिंग करने में लगी हे। मोटे तोर पर इंदोर में रोजाना 150 टन नमकीन बनता हे। इसमे से एक चोथाई तो इंदोरी ही हजम कर जाते हें। बाकी एक्स्पोर्ट होता हे। इसमें अभी ओर गुंजाइश हे। इंदोर मेहमाननवाजी ओर सबसे साफ शेहेर के तोर पे तो पेले से ई मशहूर था, अब यहां के लजीज आइटम इंदोर के नए राजदूत बनने जा रिए हे। ये सोच के भी मुंह में पानी आ रिया हे।
बतोलेबाज