छतरपुर जिले के बक्सवाहा में हाल बेहाल: आजादी के 75 साल बाद भी पथरीली सड़कों पर चलने को मजबूर ग्रामीण…

छतरपुर जिले के बक्सवाहा में हाल बेहाल है, देश की आजादी के 75 साल बाद भी स्कूली बच्चे और ग्रामीण आज भी पथरीली सड़कों पर चलने के लिए मजबूर हैं एक तरफ जहां आजादी के 75 साल पूरे होने के बाद अमृत महोत्सव देश मना रहा है। वहीं, दूसरी तरफ सनोदा पंचायत में डंगरई से सनोदा जाने वाली लगभग पांच किलोमीटर की सड़क आज भी पथरीली है। ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। बच्चे स्कूल जाने के लिए इसी पथरीली सड़क पर चलने को मजबूर हैं।
लोगों की माने तो जब बरसात होती है तो ग्रामीण और बच्चों का इस सड़क पर चलना दूभर हो जाता है। गांव में रहने वाले हल्ले आदिवासी कहते हैं कि पथरीली सड़क होने के कारण ग्रामीणों को इस पर चलने में दिक्कत होती है। कई हादसे भी होते हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि है कि वो सुनते ही नहीं हैं।
गांव में रहने वाले श्रीराम बंसल कहते हैं कि उनके पूर्वज भी इसी पथरीली सड़क पर चले, उनके पिताजी भी सड़क पर चले और तीसरी पीढ़ी के श्रीराम बंसल पथरीली सड़क पर चलने के लिए मजबूर हैं। बरसात के समय में आने जाने में होती है। सड़क पर चलना और भी मुश्किलों भरा हो जाता है।
क्या बोले सरपंच…
ग्राम पंचायत सनोदा की सरपंच लक्ष्मीबाई बंसल से बात की तो उनका कहना है कि टूटी हुई सड़क की समस्या पिछले कई दशकों से बनी हुई है। मैं अभी नवनिर्वाचित सरपंच हूं, शीघ्र ही वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करूंगी और पंचायत में नई सड़क के लिए अधिकारियों को जानकारी दूंगी।
इस मामले मे मुख्य कार्यपालन अधिकारी हर्ष खरे का कहना है कि पहले ये सड़क मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत बनाई गई थी। अब इसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में जोड़ दिया गया है। विभाग ही इस काम को कराएगा। विकास के तमाम वादे जनप्रतिनिधि करते हैं, लेकिन विकास आखिर है कहां यह हकीकत बयां कर रही है। हालांकि, अब देखना यह होगा कि मामला प्रकाश में आने के बाद शासन प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि क्या कार्रवाई करते हैं।