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बुन्देली माटी के लिए खूब लड़े छत्रसाल: कलाकारों ने बेजोड़ अभिनय से मंच पर जीवंत किया छत्रसाल का दौर

महाबली छत्रसाल के मंचन के साथ शुरू हुआ छतरपुर थिएटर फेस्टीवल  

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छतरपुर। शहर के किशोर सागर स्थित ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय छतरपुर थिएटर फेस्टीवल का रंगारंग शुभारंभ हो गया। नाट्य महोत्सव के पहले दिन शंखनाद नाट्य मंच छतरपुर के कलाकारों ने महाराजा छत्रसाल के जीवन पर आधारित नाट्य प्रस्तुति महाबली छत्रसाल का मंचन किया। इस प्रस्तुति को देखकर ऑडिटोरियम में मौजूद दर्शकों ने कलाकारों पर जमकर तालियां लुटाईं। लगभग सवा घंटे की इस प्रस्तुति में महाराजा छत्रसाल का कालखण्ड जीवंत हो गया जिसमें उन्होंने बाल्यकाल से लेकर वृद्धावस्था तक बुन्देली माटी को मुगलों के आतंक से बचाने के लिए कई युद्ध लड़े और बुन्देलखण्ड में एक प्रजा पालक शासक के रूप में स्थापित हुए।


जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद छतरपुर के तत्वावधान में भारत उदय सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान व शंखनाद नाट्य मंच की ओर से यह तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव आयोजित किया जा रहा है जिसमें पहले दिन निर्देशक शिवेन्द्र शुक्ला और नीरज खरे के लिखे गए नाटक महाबली छत्रसाल का मंचन किया गया। इस नाटक का निर्देशन भी शिवेन्द्र शुक्ला के द्वारा किया गया। मुख्य भूमिका में अंकुर यादव ने छत्रसाल के किरदार को जीवंत बना दिया। अन्य किरदारों में जीतेन्द्र विद्यार्थी, सर्वेश खरे, प्रमोद सारस्वत, उपासना तोमर, साक्षी द्विवेदी, अंजली शुक्ला, माधुरी कुशवाहा, राशि सिंह, रोशनी यादव, राजेश कुशवाहा, कीर्तिवर्धन सिंह बघेल, अनिल कुशवाहा, मानस गुप्ता, नवदीप पाटकर, दिव्यांश खरे, सीताराम अहिरवार, आदर्श सोनी, आकाश मिश्रा, मनोज रैकवार, अंकित अग्रवाल ने शानदार प्रस्तुति दी। संगीत संयोजन महेन्द्र तिवारी और सिद्धार्थ मिश्रा का रहा। मुख्य गायक के रूप में मंच के पीछे खनिजदेव चौहान, अश्विनी दुबे ने अपनी छाप छोड़ी। रवि हरिजन ने ढोलक और रोशनी यादव ने कोरस में भूमिका निभाई। मंच सज्जा राजेश खरे, दिनेश शर्मा और देवेन्द्र कुशवाहा की रही। रूप सज्जा में अनिरूद्ध मिस्त्री, लाइट्स पर अभिदीप सुहाने, वस्त्र सज्जा में अंजली शुक्ला ने विशेष भूमिका निभाई। इस नाटक को सजाने में महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान, गांधी आश्रम परिवार से दमयंती पाणि और हम फाउण्डेशन का योगदान रहा।


किरदारों ने बनाया कहानी को जीवंत
महाराजा छत्रसाल की कहानी उनके जन्म से प्रारंभ होती है जब वे महाराजा चंपत राय के संघर्ष काल में अपनी मां के गर्भ में मौजूद थे। मुगलों के शासन में बुन्देलखण्ड की जनता प्रताडि़त थी। जन्म के बाद उन्होंने बाल्य अवस्था से ही मुगलों के विरूद्ध विद्रोह का संकल्प लिया और युवा अवस्था में महाराज शिवाजी से हुई एक भेंट ने उनका जीवन बदल दिया। इसके बाद वे आम जनमानस को इकट्ठा कर 25 सैनिक और 5 घुड़सवारों की एक सेना बनाते हैं और फिर अपनी बुन्देली माटी के लिए औरंगजेब के सिपेहसालार शेर अफगन और बंगस जैसे मुगल आतताइयों को ढेर कर देते हैं। अपनी अंतिम अवस्था में पेशवा बाजीराव की मदद से वे बुन्देली माटी को सुरक्षित करते हुए जल समाधि लेते हैं। अपनी 82 साल की उम्र में 52 युद्ध लड़ते हुए अजेय रहने वाले महाराजा छत्रसाल का यह जीवन मंच पर कलाकारों के बेजोड़ अभिनय से जीवंत हो गया।
कलेक्टर, एसपी बोले छतरपुर में कला विकास की अपार संभावनाएं
आयोजन में मुख्य मेहमान के रूप में कलेक्टर संदीप जीआर, पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा, नगर पालिका अध्यक्ष ज्योति चौरसिया, जिला पंचायत की सीईओ तपस्या परिहार सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। नाटक के उपरांत कलेक्टर संदीप जीआर ने कहा कि इस थिएटर फेस्टीवल के माध्यम से छतरपुर के कलाकारों की क्षमताओं का विकास होगा। उन्होंने कहा कि यह फेस्टीवल हर वर्ष होना चाहिए साथ ही इस फेस्टीवल में एक नाट्य कार्यशाला भी सम्मिलित हो ताकि नई पीढ़ी भी इस कला से जुड़े। एसपी सचिन शर्मा ने कहा कि इस नाटक के माध्यम से उन्होंने देखा कि किस तरह छतरपुर के कलाकारों में कला और संस्कृति के प्रति अपार प्रेम है। उन्होंने कहा कि यदि वे आज का नाटक नहीं देखते तो जीवन का एक अच्छा पहलू छोड़ देते। आयोजन में शामिल अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन के साथ इसकी शुरूआत की। तदोपरांत सवा घंटे तक इस नाटक का आनंद लिया। मंच का संचालन जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की ओर से लखन असाटी, शंखनाद नाट्य मंच की ओर से नीरज खरे द्वारा किया गया। 

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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