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नकली दवाएं, ट्रेडमार्क का उल्लंघन, क्वॉलिटी से समझौता… फार्मा कंपनियों पर सरकार की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’

नई दिल्ली. ट्रेडमार्क का उल्लंघन, बिना बिल के दवाईयां बेचना, बिना रसीद के कच्चा माल खरीदना, गुणवत्ता अनुपालन के मुद्दे और नकली दवाओं का निर्माण और भी बहुत कुछ – दवा बनाने में आने वाली समस्याओं का पता लगाने के लिए भारत ने यह व्यापक अभियान चलाया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, जोखिम आधारित नजरिए के अनुसार चिन्हित दवा निर्माण इकाइयों में ऑडिट और छापे मारने के लिए राज्य दवा नियंत्रण प्रशासन के साथ-साथ छह टीमों का गठन किया गया है.

निरीक्षण, रिपोर्टिंग और बाद की कार्रवाई की प्रक्रिया की निगरानी के लिए शीर्ष दवा विनियमन निकाय, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) में दो संयुक्त दवा नियंत्रकों की एक समिति गठित की गई है. फार्मा कंपनियों पर नकेल कसने के मकसद से यह कदम केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया की अगुवाई में उठाया गया है.

सरकार ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भारतीय कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स को उन दवाओं के निर्यात के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसकी वजह से कथित तौर पर गाम्बिया में बच्चों की मौत हुई है.


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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