Azim premji wipro success philanthropy legacy- आज विप्रो फाउंडर अजीत प्रेमजी का है जन्मदिन, तेल मिल से शुरू किया था कारोबारी सफर

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अजीम प्रेमजी ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री शुरू की, लेकिन 1966 में अपने पिता की अचानक मृत्यु के कारण पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत लौट आए और पिता के कारोबार की कमान संभाली. उनकी कंपनी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोजक्ट लिमिटेड का कारोबार सही नहीं चल रहा था और उस पर काफी कर्ज था. अजीम प्रेमजी ने कंपनी की हालत सुधारने की कोशिशें शुरू कर दी.
आपातकाल के बाद मिली सफलता
आईटी सेक्टर के भविष्य को पहले ही भांप गए प्रेमजी
अजीम प्रेमजी को आईटी सेक्टर में बड़ा अवसर दिखाई दिया और इस सेक्टर में कारोबार करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया. इसी दौरान वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोजक्ट लिमिटेड का नाम बदलकर विप्रो कर दिया गया. कंपनी ने शुरुआत में हार्डवेयर में काम करना शुरू किया, लेकिन वक्त के साथ कंपनी का सॉफ्टवेयर का कारोबार आगे निकल गया.
अब 100 देशों में फैला है विप्रो का कारोबार
₹1.275 लाख करोड़ कर चुके दान
अजीम प्रेमजी का नाम देश के बड़े दानवीर लोगों में भी आता है. अब तक वह करीब 15 अरब डॉलर यानी ₹1.275 लाख करोड़ से ज्यादा की राशि दान कर चुके हैं. 2001 में अजीम प्रेमजी ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा परोपकार के लिए समर्पित किया और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की. यह फाउंडेशन मुख्य रूप से भारत में शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है.
2013 में, अजीम प्रेमजी भारत के पहले व्यक्ति बने, जिन्होंने बिल गेट्स और वॉरेन बफेट द्वारा शुरू किए गए “द गिविंग प्लेज” में शामिल होकर अपनी आधी से अधिक संपत्ति दान करने का वचन दिया.भारत सरकार ने उनके योगदान के लिए 2005 में पद्म भूषण और 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया.
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