कश्मीर: जमात ए इस्लामी पर शिकंजा कसा, 200 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त हुई

हाइलाइट्स
कश्मीर घाटी में एजेंसियों ने की बड़ी कार्रवाई
जमात ए इस्लामी की कई प्रॉपर्टी हुई जब्त
अन्य प्रॉपर्टी पर जांच जारी, जल्द होंंगी जब्त
नई दिल्ली. कश्मीर में जमात ए इस्लामी की अब तक 200 करोड़ रुपए मूल्य की 40 से ज्यादा प्रापर्टी जब्त कर ली गई हैं. इस संगठन पर कार्रवाई का सिलसिला जारी रहेगा. खुफिया एजेंसियों के अनुसार घाटी में जमात की अभी भी 120 प्रापर्टी और हैं जिनकी कीमत करीब 800 करोड़ रुपए आंकी गई है. ये सभी कार्रवाई के रडार पर हैं. इस लिस्ट में खासतौर पर हिजबुल की टॉप लीडरशिप शामिल है जिनकी संपत्ति श्रीनगर, बारामुला शोफियां, अनंतनाग में हैं. हिजबुल के अलावा हुर्रियत नेताओं की भी संपत्ति की सूची बनाई जा रही है.
खुफिया एजेंसियों ने बताया कि जिन हिजबुल नेताओं की संपत्ति पर आने वाले दिनों में कार्रवाई होगी, उनमें केन्द्र सरकार द्वारा अक्टूबर में आतंकवादी घोषित किया गया शौकत अहमद शेख, सलाहुद्दीन का बेटा शाहिद युसुफ, मारा गया हिजबुल कमांडर डाक्टर सैफुल्ला, हिजबुल कमांडर अबु आबिदा प्रमुख हैं. इनकी कई संपत्तियां श्रीनगर और अनंतनाग में हैं. इसके अलावा अन्य हुर्रियत नेताओं की भी संपत्ति पर जल्द ही कार्रवाई होगी.
जमात ए इस्लामी है कश्मीर में आतंकवाद की नर्सरी
गौरतलब है कि हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी की श्रीनगर में स्थित प्रॉपर्टी पर कार्रवाई की गई थी और उसे जब्त किया गया था. इसके साथ ही 17 प्रॉपर्टी पर कार्रवाई की गई थी. जमात-ए-इस्लामी को जम्मू- कश्मीर में आतंकवादी की नर्सरी माना जाता है. 1990 के दशक में हिजबुल मुजाहिदीन की लीडरशिप इसी संगठन से पैदा हुई थी. हिजबुल के अलावा अन्य आतंकी संगठन भी जमात से ताल्लुक रखते हैं. जम्मू-कश्मीर में इस संपत्ति पर दो चरणों में कार्रवाई हो चुकी है जिसमें करीब 200 करोड़ की संपत्ति शामिल है. आने वाले दिनों में 800 करोड़ की इन संपत्तियों पर जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई का प्लान तैयार कर लिया गया है.
1941 में बना जमात-ए-इस्लामी, इस्लामिक संगठन का है बड़ा असर
जमात-ए-इस्लामी की स्थापना एक इस्लामिक-राजनीतिक संगठन और सामाजिक रूढिवादी आंदोलन के तौर पर ब्रिटिश भारत में 1941 में की गई थी. इसकी स्थापना अबुल अला मौदूदी ने की थी जो कि एक इस्लामिक आलिम (धर्मशात्री) और सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक थे. मुस्लिम ब्रदरहुड (इख्वान-अल-मुसलमीन, जिसकी स्थापना 1928 में मिस्त्र में हुई थी) के साथ जमात-ए-इस्लामी अपनी तरह का पहला संगठन था जिसने इस्लाम की आधुनिक संकल्पना के आधार पर एक विचारधारा को तैयार किया. 1947 में हुए भारत के विभाजन के बाद जमात भारत और पाकिस्तान में दो अलग और स्वतंत्र संगठनों में बंट गया. इनके नाम क्रमश: जमात-ए-इस्लामी हिंद और जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान रखे गए. 1947 से 1952 तक कई पढ़े-लिखे नौजवान और निचली और मध्यम स्तरीय सरकारी नौकरियों से जुड़े लोग जमात के कश्मीरी नेतृत्व की ओर आकर्षित हुए, जो कश्मीर में पाकिस्तान के विलय के समर्थक थे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Jammu kashmir, Kashmir Terrorist
FIRST PUBLISHED : December 27, 2022, 16:02 IST
Source link