अजब गजब

बीयर का नाम ‘बीरा 91’ क्यों और कैसे हुई इतनी पॉपुलर!

नई दिल्ली. बीरा 91 (Bira91) बीयर का एक स्थापित ब्रांड है. आज से कुछ साल पहले तक इसे कोई नहीं जानता था और आज आलम ये है कि दुनियाभर के कई देशों में बीरा 19 युवाओं की पहली पसंद बन गया है. ये ब्रांड पूरी तरह भारतीय है और इसे बनाने वाले का नाम है अंकुर जैन (Ankur Jain). अंकुर ने ऐसा क्या किया कि बीरा 91 ने इतनी जल्दी खुद को एक बड़े ब्रांड के तौर पर जमा लिया, वो भी तब, जबकि बीयर की कई कंपनियां पहले से ही बाजार में मौजूद थीं.

कंप्यूटर इंजीनियर से बने बीयर वाले

हम बात कर रहे हैं अंकुर जैन की. 2002 में अंकुर जैन ने शिकागो के एक बड़े इंस्टिट्यूट से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री ली. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक एंटरप्रेन्योरशिप से की. ये एक हेल्थ केयर इंफॉर्मेशन स्टार्टअप था, जिसे कि अमेरिका में ही शुरू किया था. उनके ऑफिस के ऊपर वाले फ्लोर पर ब्रूकलिन ब्रिउअरी (Brooklyn Brewery) था. ब्रूकलिन ब्रिउअरी अमेरिका में क्राफ्ट बीयर का एक बड़ा नाम है. अकुंर जैन की एक आदत थी कि वे हर शनिवार शाम को वहां जाते और बैठकर बीयर का आनंद लेते. यहीं से बीयर के प्रति उनकी दिलचस्पी बढ़ने लगी.

सेराना बेवरेजेज़ का बिजनेस

जब वे अमेरिका में थे, तब एक दिन उन्होंने फैसला किया कि वे भारत में आकर कोई बिजनेस स्थापित करेंगे. इसी के मद्देनज़र उन्होंने अमेरिका में अपना स्टार्टअप बेच दिया और भारत लौट आए. भारत लौटकर उन्होंने सेरेना बेवरेजेज़ (Cerana Beverages) की शुरुआत की. ये कंपनी क्राफ्ट बीयर का इम्पोर्ट और डिस्ट्रीब्यूशन करती थी. बाकी की कहानी बाद में, पहले ये जान लें कि क्राफ्ट बीयर क्या होती है.

ये भी पढ़ें- Zomato कैसे बनी एक लाख करोड़ की कंपनी, जानिए

क्राफ्ट बीयर क्या है (What is Craft Beer)

क्राफ्ट बीयर दरअसल बड़ी-बड़ी मशीनों में नहीं बनती, बल्कि छोटी मशीनें और इंडिपेंडेंट ब्रिउअर इसका निर्माण करते हैं. उदाहरण के लिए यदि आप किसी मेट्रो सिटी, जैसे कि दिल्ली, मुंबई इत्यादी के किसी पब हाउस में जाएंगे तो वहां पब्स में ही आपको मशीनें लगी दिखेंगी. यदि आप बीयर मांगेंगे तो आपको क्राफ्ट बीयर, मतलब सीधे ताज़ा तैयार हो रही बीयर भी मिल जाएगी. इसी को क्राफ्ट बीयर कहा जाता है.

सेराना बेवरेजेज़ देती थी वैरायटी

अंकुर जैन ने सेराना बेवरेजेज़ शुरू करने से पहले थोड़ी रिसर्च की. पता चला कि भारत में क्राफ्ट बीयर की खपत सिर्फ एक प्रतिशत है. तो अंकुर ने विदेशों (अमेरिका, जर्मनी और बेल्जियम) की कई कंपनियों से क्राफ्ट बीयर लाकर भारत में डिस्ट्रीब्यूट करनी शुरू की. उन्होंने अपनी कंपनी के जरिए लगभग 4 साल तक भारत में रेस्टोरेंट्स, बार और पब्स में बीयर सप्लाई की. तब तक उनकी बेवरेजेज़ इंडस्ट्री की समझ और बेहतर हो चुकी थी.

ये भी पढ़ें – 10,000 रुपये उधारी से शुरू किया काम, आज है अरबों का टर्नओवर

इस पर अंकुर को लगा कि सिर्फ इम्पोर्ट करके बेचने में वो मज़ा नहीं है, जो अपने स्टार्टअप में है. तो अंकुर ने अपनी कंपनी बनाने का फैसला कर लिया, जोकि क्राफ्ट बीयर बनाएगी भी और डिस्ट्रीब्यूट भी करेगी.

बीरा 91 (Bira 91) की लॉन्चिंग

2015 में अंकुर जैन ने बीरा 91 को लॉन्च कर दिया. हालांकि आज उनके पास फंडिंग करने वाली कंपनियों की कमी नहीं है, लेकिन काम शुरू करने लिए लगभग तब के 10 लाख डॉलर की फंडिंग उन्होंने खुद अपने दोस्तों और जानकारों से जुटाई.

बीरा 91 ने शुरुआत में दो फ्लेवर उतारे. लोगों ने इसे पसंद किया तो फिर और फ्लेवर बाजार में उतारे गए.

बीरा का नाम ‘बीरा’ क्यों रखा गया, ये भी जानना इंट्रस्टिंग है. दरअसल, अंकुर ने पहले इसका नाम Biru (बीरू) रखना चाहा था, लेकिन एक जापानी कंपनी का नाम के कॉपीराइट के चलते उन्होंने इसका नाम बीरा रखा. अंकुर ने खुद एक इंटरव्यू में बताया कि दक्षिण भारत में बीरा का अर्थ “भाई” भी होता है. तो लोग इससे कनेक्ट कर पाएंगे यही सोचकर नामकरण किया गया. तो फिर 91 कहां से आया? बीरा 91 में जो 91 है, वो भारत का टेलीफोन कोड है. भारत के सभी मोबाइल नंबर 91 से शुरू होते हैं. इसलिए पूरा नाम बना ‘Bira 91’. इसके मॉस्कट के तौर पर बंदर को चुना गया और इसके पीछे का तर्क था कि हर इंसान के अंदर एक बंदर होता है, मतलब हर इंसान में शरारत और चुलबुलापन होता है.

पहली बोतल बंद क्राफ्ट बीयर

अंकुर जैन की कंपनी ने भारत की पहली बोलत बंद क्राफ्ट बीयर बाजार में उतारी. सबसे पहले दो फ्लेवर्स में उतारा गया. एक बीयर में कड़वाहट काफी कम थी, जोकि काफी पसंद की गई. इसके बाद कुछ और फ्लेवर भी बाजार में आए. धीरे-धीरे युवाओं में इसका क्रेज़ बढ़ता चला गया और बिना किसी एडवर्टाइज़मेंट के बीयर मार्केट का लगभग 30% शेयर कैप्चर कर लिया.

ये भी पढ़ें – Google Maps की कहानी : पत्नी की डांट के बाद सुंदर पिचई ने इसे बनाया

प्रीमियम बीयर और कीमत कम

बीरा के आने से पहले बाजार में केवल दो तरह की बीयर्स थीं. एक तो मास मतलब आम जनता के लिए और दूसरी प्रीमियम मतलब बड़े और अमीरों के लिए. मास के लिए आने वाली बीयर की कीमत थी लगभग 100 रुपये बोतल और प्रीमियम की कीमत थी तकरीबन 500 रुपये. तो इन दोनों कीमतों के बीच में एक बड़ा गैप था. बीरा 91 के जरिए कीमत की इस खाई (गैप) को भर दिया गया. बीयर की कीमत दोनों के बीच में रखी गई. जो युवा प्रीमियम बीयर इसलिए नहीं चुनते थे कि काफी महंगी थी, वे अब बीरा की तरफ आकर्षित होने लगे.

Tags: Business, Business empire, Corporate Kahaniyan, Successful business leaders


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!