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Opinion : राजनीतिक नफे नुकसान से अलग है पीएम मोदी का सिख समुदाय से विशेष लगाव

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार का सिख समुदाय से विशेष नाता रहा है. ये विशेष नाता साफ नजर आता है सिख समुदाय और उनके पवित्र गुरुओं के लिए की गयी उनकी व्यक्तिगत पहल से और साथ ही सिख समुदाय के सशक्तिकरण और कल्याण के लिए उन की सरकार द्वारा किए गए काम से. फिर चाहे वो गुरु नानक देव की 550 जयंती मनाना हो या फिर गुरु गोविंद सिंह की 350वी जयंती या श्री करतारपुर साहिव कॉरीडोर खोलने की पहल और साथ ही 1984 से सिख विरोधी दंगो के पीडितों को न्याय देने का फैसला, पीएम मोदी ने हमेशा सिखों से जुड़े मसलों पर व्यक्तिगत पहल की बल्कि सिख समुदाय के हित के लिए मोदी सरकार ने कभी हिचक नहीं दिखाई.

सौभाग्य की मेरी सरकार को वीर बाल दिवस घोषित करने का मौका मिला, वाहे गुरु दा ख़ालसा, वाहे गुरु दी फतेह! दिल्ली के ध्यानचंद स्टेडियम में इसी तर्ज पर पीएम मोदी ने सिख समुदाय को संबोधित करना शुरु किया. पीएम मोदी की पहल पर ही केन्द्र सरकार ने 26 दिसंबर वीर बाल दिवस से रुप में घोषित किया है. पीएम मोदी ने कहा कि जिस बलिदान को हम पीढ़ियों से याद करते आए हैं, आज एक राष्ट्र के रूप में उसे एकजुट नमन करने के लिए एक नई शुरुआत हुई है.

वीर बाल दिवस’ हमें याद दिलाएगा कि दस गुरुओं का योगदान क्या है और देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है! ‘वीर बाल दिवस’ हमें बताएगा कि- भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है! हर साल वीर बाल दिवस का ये पुण्य अवसर हमें अपने अतीत को पहचानने और आने वाले भविष्य का निर्माण करने की प्रेरणा देगा.

इसलिए पीएम ने शुरुआत में ही संदेश दिया कि इसे मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे आज 26 दिसंबर के दिन को वीर बाल दिवस के तौर पर घोषित करने का मौका मिला. मैं पिता दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी और सभी गुरुओं के चरणों में भी भक्तिभाव से प्रणाम करता हूं. मैं मातृशक्ति की प्रतीक माता गुजरी के चरणों में भी अपना शीश झुकाता हूं.

धार्मिक कट्टटरता के आगे साहिबजादों ने कायम की बहादुरी की मिसाल
पीएम मोदी ने इतिहास के पन्नों को पलटते हुए कहा कि पूरी दुनिया का हजारो वर्षों का इतिहास क्रूरता के एक से एक खौफनाक अध्यायों से भरा है. इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक, हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं. लेकिन सच तो ये भी है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति’ था. ये सब कुछ इसी देश की मिट्टी पर केवल तीन सदी पहले हुआ.

एक ओर धार्मिक कट्टरता और उस कट्टरता में अंधी इतनी बड़ी मुगल सल्तनत, दूसरी ओर, ज्ञान और तपस्या में तपे हुये हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीने वाली परंपरा! एक ओर आतंक की पराकाष्ठा, तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष! एक ओर मजहबी उन्माद, तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता! और इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज, और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे! ये वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं. जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब, दोनों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया. एक ओर नृशंसता ने अपनी सभी सीमाएं तोड़ दीं, तो दूसरी ओर धैर्य, शौर्य, पराक्रम के भी सभी प्रतिमान टूट गए.

इतिहास के नाम पर गलत बातें बतायीं गयीं
ये अतीत हजारों वर्ष पुराना नहीं है कि समय के पहियों ने उसकी रेखाओं को धुंधला कर दिया हो. साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह ने भी बहादुरी सदियों को प्रेरणा दे रही है. जिस देश की विरासत ऐसी हो, जिसका इतिहास ऐसा हो, उसमें स्वाभाविक रूप से स्वाभिमान और आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा होना चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से हमें इतिहास के नाम पर वो गढ़े हुये नैरेटिव बताए और पढ़ाये जाते रहे, जिनसे हमारे भीतर हीनभावना पैदा हो! बावजूद इसके हमारे समाज ने, हमारी परम्पराओं ने इन गौरवगाथाओं को जीवंत रखा.

अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखरों तक लेकर जाना है, तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आज़ाद होना पड़ेगा. इसीलिए मोदी सरकार ने आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आजदी का अमृत महोत्सव मनाने का फैसला लिया उसमें गुलामी की मानसिकता से मुक्ति भी एक प्रमुख ऐजेंडा है.

अब प्राथमिकता उन सेनानियों की कुर्बानी को देश के सामने लाना है जिनके बारे में इतिहास के पन्ने खामोश रहे हैं. पीएम मोदी ने पहले की सरकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वो इस चर्चा में नहीं जाएंगे कि पहले हमारे यहां वीर बाल दिवस का विचार अब तक क्यों नहीं आया. लेकिन ये जरूर कहूंगा कि अब नया भारत दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है.

औरंगजेब सल्तनत के धर्म परिवर्तन के मंसूबों पर साहिबजादों की कुर्बानी ने पानी फेरा
पीएम मोदी यही नही रुके. उन्होने कहा कि इतनी कम उम्र में साहिबजादों के इस बलिदान में हमारे लिए एक और बड़ा उपदेश छिपा हुआ है. आप उस दौर की कल्पना करिए! औरंगजेब के आतंक के खिलाफ, भारत को बदलने के उसके मंसूबों के खिलाफ, गुरु गोविंद सिंह जी, पहाड़ की तरह खड़े थे. लेकिन, जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई? वो इसलिए, क्योंकि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे.

जिस समाज में, जिस राष्ट्र में उसकी नई पीढ़ी ज़ोर-जुल्म के आगे घुटने टेक देती है, उसका आत्मविश्वास और भविष्य अपने आप मर जाता है। लेकिन, भारत के वो बेटे, वो वीर बालक, मौत से भी नहीं घबराए. वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया. पौराणिक युग से लेकर आधुनिक काल तक, वीर बालक-बालिकाएं, भारत की परंपरा का प्रतिबिंब रहे हैं. इसी संकल्पशक्ति के साथ, आज भारत की युवा पीढ़ी भी देश को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए निकल पड़ी है.

व्यक्ति से बड़ा विचार, विचार से बड़ा राष्ट्र’, ‘राष्ट्र प्रथम’ का ये मंत्र गुरु गोविंद सिंह जी का अटल संकल्प था. जब वो बालक थे, तो ये प्रश्न आया कि राष्ट्र धर्म की रक्षा के लिए बड़े बलिदान की जरूरत है. उन्होंने अपने पिता से कहा कि आपसे महान आज कौन है? ये बलिदान आप दीजिये. जब वो पिता बने, तो उसी तत्परता से उन्होंने अपने बेटों को भी राष्ट्र धर्म के लिए बलिदान करने में संकोच नहीं किया.

जब उनके बेटों का बलिदान हुआ, तो उन्होंने अपनी संगत को देखकर कहा- ‘चार मूये तो क्या हुआ, जीवत कई हज़ार’. अर्थात्, मेरे चार बेटे मर गए तो क्या हुआ? संगत के कई हजार साथी, हजारों देशवासी मेरे बेटे ही हैं. राष्ट्र प्रथम को सर्वोपरि रखने की ये परंपरा, हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. इस परंपरा को सशक्त करने की ज़िम्मेदारी आज हमारे कंधों पर है.

पीएम मोदी का सिखों से खास लगाव
पीएम मोदी ने ये कहते हुए अपना संदेश खत्म किया कि हमें साथ मिलकर वीर बाल दिवस के संदेश को देश के कोने-कोने तक लेकर जाना है. जाहिर है साहिबजादों की कुर्बानी को याद करने के लिए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस माना कर सिख समुदाय के प्रति अपने विशेष लगाव को एक बार फिर दुनिया के सामने लाने से पीछे नहीं हटे. 2014 से अब तक पीएम मोदी ने ऐसे कई फैसले लिए हैं जो साबित करते है कि सिख समुदाय के कल्याण के लिए वो कुछ भी करने को तैयार है.

सिख समुदाय के लिए लिए गए कुछ प्रमुख फैसलों में महत्वपूर्ण था सितंबर 2020 में श्री दरबार साहिब का एफसीआरए रजिष्ट्रेशन के तहत लाना. अब दुनिया भर की संगत हजारों किमी दूर दुनिया के किसी भी कोने सेवा दे सकता है. पीएम मोदी ने सेवा भोज योजना के माध्यम से न सिर्फ लंगरों को सीजीएसटी और आईजीएसटी वापस लेने के लिए वित्तिय सहायता दी बल्कि लंगर के कई समानों पर से जीएसटी हटा ली गयी. इन फैसलों का दुनिया भर में सिखों ने स्वागत किया था क्योकिं ये उन गुरुद्वारों को खासी राहत देता है जो रोजाना एक करोड़ लोगों को मुफ्त में लंगर खिलाते हैं.

पीएम मोदी की पहल पर मोदी सरकार ने करीब 312 ब्लैक लिस्टेड लोगों को सरकारी ब्लैक लिस्ट से हटाया. ये ऐसे सिख थे जो दशकों से विदेशों में बसे हुए थे, बुजुर्ग हो चुके थे और वापस अपने घर आना चाहते थे.

सभी सिख गुरुओं की विरासत को देश दुनिया के सामने लाने की पहल
पीएम मोदी की पहल से अब भारत के सिख पाकिस्तान जाकर करतारपुर साहिब जाकर माथा टेक पा रहे हैं. करतारपुर साहिब सिखों का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। आजादी का बाद कई दशकों तक भारत के सिख वहां जा नहीं सकते थे. लेकिन नवंबर 2019 को पीएम मोदी खुद जाकर करतारपुर साहिब कॉरिडोर का उद्घाटन किया. श्री गुरुनानक देवक् 550 वें प्रकाश पर्व को दुनिया भर में मनाने की पहल की. दुनिय भर में भारतीय मिशनों ने वहां के सिख समुदाय को इस पर्व का हिस्सा बनाया. सुल्तानपुर लोधी जहां गुरु नाक ने अपने जीवन का ज्याद वक्त बिताया उसे हेरिटेज शहर के रुप में विकसित किया जा रहा है.

वित्त मंत्रालय ने इस मौके पर सोने और चांदी के सिक्के भी जारी किए थे. साथ ही गुरुनानक वाणी को देश की 15 भाषाओं में छापने की प्रक्रिया जारी है. दसवे गुरु श्री गोविंद सिंह जी के 350 वें प्रकाश पर्व पर पीएम मोदी पटना गए और सरकारी कार्यक्रम मे हिस्सा भी लिया. श्री गुरु तेगबहादुर का 400वां प्रकाश पर्व अप्रैल 2020 से अप्रैल 2021 तक मनाया गया. पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली एक 70 सदस्यीय समिति ने पूरे कार्यक्रम की रुपरॆखा बनायी.

1984 के सिख विरोधी दंगों के पीडितों को भी मोदी सरकार ने राहत दी. एसआईटी को तमाम केसों को फिर से खोल कर जांच करने की इजाजत दी गयी औऱ साथ ही 2021-22 के बजट में 4.5 करोड रुपये रखे गए ताकि पीडितों को ज्यादा मुआवजा मिल सके. 2019 में मोदी सरकार ने जलियंवाला बाग घटना के 100 साल पूरे होने पर नेशनल मेमोरियल संशोधन विधेयक पास किया गया ताकि वहां एक राष्ट्रीय स्मारक बनाया जा सके.

अगस्त 2021 को पीएम मोदी ने जलियांवाला बाग स्मारक को राष्ट्र के नाम समर्पित किया. अफगानिस्तान में हालात बिगड़े तो 2021 में वहां फंसे सिखों को सुरक्षित भारत लाया गया. साथ ही विशेष विमानों के द्वारा गुरुग्रंथ साहिब को भारत लाया गया. सिर्फ इतना ही नहीं पीएम मोदी पंजाब में रहने वाले हर पंजाब वासी के लिए इज ऑफ लिविंग सुनिश्चित करने में जुटे हैं. कभी बीजेपी महासचिव के तौर पर हिमाचल, पंजाब और हरियाणा में बिताए पलों के बात पीएम मोदी के लिए इन इलाकों की मुश्किलों का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.  साथ ही इन इलाकों की मुश्किलों को भी वो भली जानते भी हैं. इसलिए पीएम बनने के बाद सिखों के हित में लिए उनके तमाम फैसलों से एक ही बात साबित हो रही है कि सिख समुदाय की मुश्किलो को वो जानते और समझते हैं। इसलिए उनके हित में फैसले लेने में पहल पीएम मोदी की ही होती है.

Tags: PM Modi


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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