अजब गजब

दिलचस्प किस्सा: भारत-पाक अलग नहीं होते तो M&M का पूरा नाम होता महिंद्रा एंड मुहम्मद

नई दिल्ली. महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) भारत की 50 बड़ी लिस्टेड कंपनियों में से एक है. ऑटो इंडस्ट्री की इस कंपनी की मार्केट कैप 93,737 करोड़ (8 अगस्त 2021 को) से भी ज्यादा है. महिंद्रा अपनी शानदार और जानदार गाड़ियों के लिए जानी ही जाती है, साथ ही आपको ये जानकार गर्व होगा कि ये दुनिया की नंबर वन ट्रैक्टर निर्माता कंपनी भी है.

महिंद्रा को मोटे तौर पर ऑटो सेक्टर की कंपनी माना जाता है, लेकिन जब आप इसके बारे में अच्छे से जानेंगे तो पाएंगे कि ये ग्रुप अब तक 22 अलग-अलग इंडस्ट्रीज़ में काम करता है, जिसमें हवाई जवाज पार्ट्स बनाने से लेकर रीटेल तक का काम शामिल है. महिंद्रा की कंपनी टेक महिंद्रा (Tech Mahindra or TechM) के बारे कहा जाता है कि दुनियाभर की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां इसकी सेवाएं लेती हैं. महिंद्रा ग्रुप ये दावा करता है कि अगली बार आप जिस प्लेन में बैठेंगे, उसमें महिंद्रा कंपनी द्वारा बनाए गए पार्ट्स का इस्तेमाल अवश्य किया गया होगा. महिंद्रा ग्रुप भारत का गौरव है और इसकी कमान फिलहाल आनंद महिंद्रा के हाथों में है.

महिंद्रा और मुहम्मद के पीछे की कहानी

कंपनी की शुरुआत हुई थी 1945 में. दो पार्टनर थे. एक थे आनंद महिंद्रा के दादा केसी महिंद्रा (KC Mahindra) और दूसरे थे गुलाम मुहम्मद (Ghulam Muhammad). कंपनी का नाम रखा गया था एम एंड एम (M&M). महिंद्रा एंड मुहम्मद (Mahindra & Muhammad). काम था स्टील उत्पादन. कंपनी का काम चलने लगा था और नाम बनने लगा था कि भारत का बंटवारा हो गया. अगस्त 1947 में भारत और पाकिस्तान दो देश बन गए.

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इस बंटवारे का असर देश और समाज पर तो हुआ ही, साथ ही कई बिजनेस भी इसकी चपेट में आए. महिंद्रा एंड मुहम्मद भी ऐसी ही एक कंपनी थी. पाकिस्तान बनने पर गुलाम मुहम्मद ने वहां जाने और बसने का फैसला किया. गुलाम मुहम्मद को पाकिस्तान का पहला वित्त मंत्री (Finance Minster) बना दिया गया.

यहां गौर करने लायक एक और बात ये है कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने विप्रो (Wipro) के संस्थापक अज़ीम प्रेमजी (Azim Premji) के पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी (Mohammad Hashim Premji) से भी पाकिस्तान शिफ्ट होने की गुजारिश की थी. जिन्ना में उन्हें पाकिस्तान का वित्त मंत्री बनने को कहा था, लेकिन मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने इनकार कर दिया था. प्रेमजी के इनकार के बाद ही संभवत: जिन्ना ने गुलाम मुहम्मद के सामने वित्त मंत्री बनने का प्रस्ताव रखा होगा, जिसे कि उन्होंने स्वीकार कर लिया.

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तो महिंद्रा एंड महिंद्रा क्यों?

बहुत-से लोग अब भी सोचते हैं कि कंपनी का नाम महिंद्रा एंड महिंद्रा क्यों है. यदि दो भाइयों को ही कंपनी बनानी थी तो उसका नाम सिर्फ महिंद्रा भी तो हो सकता था! कंपनी का नाम महिंद्रा एंड महिंद्रा रखने के पीछे दो कारण बताए जाते हैं – पहला कारण, गुलाम मुहम्मद द्वारा साथ छोड़ देने से पहले M&M के नाम से काफी असेसरीज़ बन चुकी थी. यदि उसे बदलवाया जाता तो काफी पैसा खर्च करना पड़ता. और दूसरा कारण, केसी महिंद्रा ने अपने भाई जेसी महिंद्रा (JC Mahindra) को बिजनेस पार्टनर बना लिया. तो इस तरह दो महिंद्रा हो गए और कंपनी के नाम से मुहम्मद हटाकर एक और महिंद्रा जोड़ दिया गया.

यदि गुलाम मोहम्मद ने भी भारत में ही रहने का फैसला किया होता तो हम इस कंपनी को M&M के नाम से तो जानते, लेकिन इसकी फुल फॉर्म महिंद्रा एंड महिंद्रा नहीं बल्कि महिंद्रा एंड मुहम्मद होती.

Tags: Anand mahindra, Corporate Kahaniyan, Mahindra and mahindra, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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