मध्यप्रदेश

Mahakal Lok Ujjain:उज्जैन के महाकाल लोक में पर्यटन तो बढ़ा, लेकिन सुविधाएं कम – Tourism Has Increased In Ujjain’s Mahakal Lok, But Facilities Are Less


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– फोटो : SOCIAL MEDIA

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350 करोड़ की लागत से बने महाकाल लोक को लोकार्पण 11 अक्टूबर को हुआ। तीन माह में उज्जैन का पर्यटन 30 प्रतिशत बढ़ गया, लेकिन पर्यटकों के लिए सुविधाएं वैसी नहीं है। सरकार ने उज्जैन शहर के बजाए सिर्फ महाकाल लोक पर फोकस किया। न तो शहर में ठीक से दर्शनीय स्थलों के बोर्ड व संकेतक लगाए गए है और न ही पर्याप्त टैक्सी वाहन है। पर्यटकों को ठीक से जानकारी भी नहीं मिलती।

यह कमियां है उज्जैन में पर्यटन की दृष्टि से
-महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई तीर्थ स्थलों में निवास के लिए मंदिर प्रबंधन ने कई यात्री निवास बना रखे है। शेगांव, शिर्डी, शनि शिंगनापुर में रियायत पर यात्रियों के रहने की सुविधा मिल रही है, लेकिन उज्जैन में मंदिर प्रबंधन की तरफ से ऐसे इतंजाम नहीं है।

– उज्जैन में महाकाल के अलावा भैरव मंदिर, गढ़ कालिका, जंतर-मंतर, सांदीपनि आश्रम सहित अन्य स्थल भी है, लेकिन व्यवस्थित रुप से पर्यटन दर्शन बसों का संचालन नहीं होता। कुछ निजी वाहन जरुर ले जाते है, लेकिन वे भी कुछ मंदिरों के दर्शन करा लाते है।

– उज्जैन का पुराना इतिहास है। महाकाल लोक में भी कई भित्ती चित्र बनाए गए है। दर्शकों को इसकी जानकारी नहीं मिलती, क्योकि यहां गाइड की व्यवस्था नहीं है।

-टैक्सी वाहनों की संख्या उज्जैन में डेढ़-दो हजार से ज्यादा नहीं है। अब पर्यटकों की संख्या तो बढ़ गई है, लेकिन टैक्सी वाहनों की संख्या बढ़ाने पर जोर नहीं दिया जा रहा है।

-महाकाल और ओंकारेश्वर की सीधी बस सेवा भी काफी कम है। कई पर्यटक उज्जैन से सीधे ओंकारेश्वर दर्शन करने जाना चाहते है, लेकिन उसके लिए बस सेवाएं काफी कम है। इंदौर एआईसीटीएसएल ने बस सेवा शुरू की है, लेकिन वह भी इंदौर रुक कर जाती है।

-कई रेलगाड़ियां सीधे उज्जैन होकर जाती है तो कुछ रेल गाड़ियां बड़नगर होते हुए जाती है। बीच में उज्जैन स्टेशन नहीं आता है। इस कारण भी दूसरे प्रदेशों को आने वाले यात्रियों को काफी परेशानी होती है।
-उज्जैन की सड़कों पर पर्यटन स्थलों की जानकारी, दूरी और संकेतक के लिए बोर्ड नहीं लगे है। पर्यटक लोगों से पता पूछते रहते है।

-महाकाल लोक की तरफ जाने का रास्ता चौड़ा नहीं है। वहां पर्याप्त पार्कंिग भी नहीं है। निजी वाहनों से आने वाले पर्यटकों को वाहनों को रखने में परेशानी होती है।

मंदिर तक जाने के लिए दूरी
मंदिर में जाने वाले महाकाल लोक का भ्रमण भी करते है। ज्यादातर भक्त प्रसाद की दुकानों पर ही जूते-चप्पल उतारकर आ जाते है। पर्र्यटकों का कहना है कि मंदिर परिसर में इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इस वजह से लोगों को नंगे पैर ही एक से डेढ़ किलोमीटर घूमना पड़ता है। गर्मी के दिनों या तेज धूप पड़ने पर नंगे पैर पैदल चलने में परेशानी होती है।

टैक्सी वाहनों बढ़ना जरुरी
उज्जैन में प्रतिदिन 40 हजार से ज्यादा लोग आ रहे है। रविवार-शनिवार सोमवार को यह संख्या एक लाख से ज्यादा हो जाती है। पर्यटकों के आने की तुलना में टैक्सी वाहनों की संख्या काफी कम है। ज्यादा निजी वाहन ही टैक्सी में चलाए जाते है और चालक भी प्रशिक्षित नहीं रहते है। उज्जैन में पर्यटकों की सुविधाएं बढ़ाना चाहिए।
राजेश श्रीवास्तव, ट्रेंवल संचालक

पर्यटक थाना भी नहीं
मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान में पर्यटकों के लिए पर्यटक थाने खोले गए है। वहां पर्यटन से जुड़ी जानकारी, नक्शे, चित्र आदि मिल जाते है। मध्य प्रदेश में इसके लिए कोई पहल नहीं की गई है।हेमेंद्र सिंह जादौन, अध्यक्ष (मध्य प्रदेश चैप्टर)ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया

क्या कहते है मंदिर प्रशासक

पर्यटकों के हिसाब से उज्जैन में सुविधाएं कम है। इसे क्यों नहीं दूर किया जा रहा है?
-धीरे-धीरे सुविधाएं बढ़ाने का काम किया जा रहा है। शहर की सड़कों पर हम जानकारी के लिए बोर्ड लगा रहे है।

-उज्जैन दर्शन की व्यवस्था को लेकर क्या योजना है?
-इसके लिए भी तैयारियां की जा रही है। उज्जैन दर्शन के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाएगी।

-जानकारी के अभाव में पर्यटकों को परेशान होना पड़ता है। मंदिर परिसर में कोई गाइड भी नहीं है।
– मंदिर प्रशासन एक कॉल सेंटर जल्दी ही संचालित करेगा, जो 24 घंटे चलेगा। इसके लिए प्लानिंग पूरी तैयार हो चुकी है।
-भविष्य में क्या सुविधाएं दी जाएगी।
– हमने अभी मोबाइलों के लिए लॉकर बनाए है। महाकाल लोक में लाइट एंड साउंड शो भी जल्दी ही शुरू होगा। महाकाल लोक के अलावा दूसरे स्थानों को भी संवारा जा रहा है।

(जैसा मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया।)   

विस्तार

350 करोड़ की लागत से बने महाकाल लोक को लोकार्पण 11 अक्टूबर को हुआ। तीन माह में उज्जैन का पर्यटन 30 प्रतिशत बढ़ गया, लेकिन पर्यटकों के लिए सुविधाएं वैसी नहीं है। सरकार ने उज्जैन शहर के बजाए सिर्फ महाकाल लोक पर फोकस किया। न तो शहर में ठीक से दर्शनीय स्थलों के बोर्ड व संकेतक लगाए गए है और न ही पर्याप्त टैक्सी वाहन है। पर्यटकों को ठीक से जानकारी भी नहीं मिलती।

यह कमियां है उज्जैन में पर्यटन की दृष्टि से

-महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई तीर्थ स्थलों में निवास के लिए मंदिर प्रबंधन ने कई यात्री निवास बना रखे है। शेगांव, शिर्डी, शनि शिंगनापुर में रियायत पर यात्रियों के रहने की सुविधा मिल रही है, लेकिन उज्जैन में मंदिर प्रबंधन की तरफ से ऐसे इतंजाम नहीं है।

– उज्जैन में महाकाल के अलावा भैरव मंदिर, गढ़ कालिका, जंतर-मंतर, सांदीपनि आश्रम सहित अन्य स्थल भी है, लेकिन व्यवस्थित रुप से पर्यटन दर्शन बसों का संचालन नहीं होता। कुछ निजी वाहन जरुर ले जाते है, लेकिन वे भी कुछ मंदिरों के दर्शन करा लाते है।

– उज्जैन का पुराना इतिहास है। महाकाल लोक में भी कई भित्ती चित्र बनाए गए है। दर्शकों को इसकी जानकारी नहीं मिलती, क्योकि यहां गाइड की व्यवस्था नहीं है।

-टैक्सी वाहनों की संख्या उज्जैन में डेढ़-दो हजार से ज्यादा नहीं है। अब पर्यटकों की संख्या तो बढ़ गई है, लेकिन टैक्सी वाहनों की संख्या बढ़ाने पर जोर नहीं दिया जा रहा है।

-महाकाल और ओंकारेश्वर की सीधी बस सेवा भी काफी कम है। कई पर्यटक उज्जैन से सीधे ओंकारेश्वर दर्शन करने जाना चाहते है, लेकिन उसके लिए बस सेवाएं काफी कम है। इंदौर एआईसीटीएसएल ने बस सेवा शुरू की है, लेकिन वह भी इंदौर रुक कर जाती है।

-कई रेलगाड़ियां सीधे उज्जैन होकर जाती है तो कुछ रेल गाड़ियां बड़नगर होते हुए जाती है। बीच में उज्जैन स्टेशन नहीं आता है। इस कारण भी दूसरे प्रदेशों को आने वाले यात्रियों को काफी परेशानी होती है।

-उज्जैन की सड़कों पर पर्यटन स्थलों की जानकारी, दूरी और संकेतक के लिए बोर्ड नहीं लगे है। पर्यटक लोगों से पता पूछते रहते है।

-महाकाल लोक की तरफ जाने का रास्ता चौड़ा नहीं है। वहां पर्याप्त पार्कंिग भी नहीं है। निजी वाहनों से आने वाले पर्यटकों को वाहनों को रखने में परेशानी होती है।

मंदिर तक जाने के लिए दूरी

मंदिर में जाने वाले महाकाल लोक का भ्रमण भी करते है। ज्यादातर भक्त प्रसाद की दुकानों पर ही जूते-चप्पल उतारकर आ जाते है। पर्र्यटकों का कहना है कि मंदिर परिसर में इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इस वजह से लोगों को नंगे पैर ही एक से डेढ़ किलोमीटर घूमना पड़ता है। गर्मी के दिनों या तेज धूप पड़ने पर नंगे पैर पैदल चलने में परेशानी होती है।

टैक्सी वाहनों बढ़ना जरुरी

उज्जैन में प्रतिदिन 40 हजार से ज्यादा लोग आ रहे है। रविवार-शनिवार सोमवार को यह संख्या एक लाख से ज्यादा हो जाती है। पर्यटकों के आने की तुलना में टैक्सी वाहनों की संख्या काफी कम है। ज्यादा निजी वाहन ही टैक्सी में चलाए जाते है और चालक भी प्रशिक्षित नहीं रहते है। उज्जैन में पर्यटकों की सुविधाएं बढ़ाना चाहिए।

राजेश श्रीवास्तव, ट्रेंवल संचालक

पर्यटक थाना भी नहीं

मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान में पर्यटकों के लिए पर्यटक थाने खोले गए है। वहां पर्यटन से जुड़ी जानकारी, नक्शे, चित्र आदि मिल जाते है। मध्य प्रदेश में इसके लिए कोई पहल नहीं की गई है।हेमेंद्र सिंह जादौन, अध्यक्ष (मध्य प्रदेश चैप्टर)ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया

क्या कहते है मंदिर प्रशासक

पर्यटकों के हिसाब से उज्जैन में सुविधाएं कम है। इसे क्यों नहीं दूर किया जा रहा है?

-धीरे-धीरे सुविधाएं बढ़ाने का काम किया जा रहा है। शहर की सड़कों पर हम जानकारी के लिए बोर्ड लगा रहे है।

-उज्जैन दर्शन की व्यवस्था को लेकर क्या योजना है?

-इसके लिए भी तैयारियां की जा रही है। उज्जैन दर्शन के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाएगी।

-जानकारी के अभाव में पर्यटकों को परेशान होना पड़ता है। मंदिर परिसर में कोई गाइड भी नहीं है।

– मंदिर प्रशासन एक कॉल सेंटर जल्दी ही संचालित करेगा, जो 24 घंटे चलेगा। इसके लिए प्लानिंग पूरी तैयार हो चुकी है।

-भविष्य में क्या सुविधाएं दी जाएगी।

– हमने अभी मोबाइलों के लिए लॉकर बनाए है। महाकाल लोक में लाइट एंड साउंड शो भी जल्दी ही शुरू होगा। महाकाल लोक के अलावा दूसरे स्थानों को भी संवारा जा रहा है।

(जैसा मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया।)   




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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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