अजब गजब

फर्जी डाक्यूमेंट के आधार पर सरकारी स्कूलों में बना रहे थे प्रिंसिपल, शिक्षा विभाग के अधिकारी समेत 6 आरोपी गिरफ्तार

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गिरफ्तार किए गए आरोपी

महाराष्ट्र के नागपुर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां कुछ आरोपी फर्जी डाक्यूमेंट के सहारे सरकारी स्कूलों में लोगों को प्रिंसिपल नियुक्त कर दे रहे थे। मामला सामने आने के बाद विभाग और पुलिस हरकत में आई और 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। आरोपी इतने शातिर थे कि लोगों को असली जैसा फर्जी नियुक्ति पत्र थमा देते थे और उनकी फर्जी शलार्थ आईडी भी बनाकर दे देते थे। पुलिस ने दावा किया है कि इस मामले में अभी और भी गिरफ्तारियां हो सकती है। साथ ही बड़ा घोटाला उजागर होने के आशंका भी जताई है।

580 शिक्षकों की आईडी हैक की गई

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रिंसिपल नियुक्ति करने का मामले में पुलिस ने शिक्षा विभाग के उप संचालक को भी गिरफ्तार कर लिया है। शिक्षा विभाग के उपसंचालक, शिक्षा अधिकारी, वेतन देने वाले अधिकारी ही फर्जी डाक्यूमेंट तैयार करते थे। इसके बाद टीचर और प्रिंसिपल पद को मंजूरी देकर शलार्थ आईडी तैयार कर विभाग के अन्य अधिकारियों से मिली-भगत कर नियुक्तियां करवाते थे। शिकायत में कहा गया 580 शिक्षकों के शलार्थ आईडी हैक किया गया है, उनकी आईडी डुप्लीकेट की गई। 

कई स्कूलों की जांच अभी भी जारी

नागपुर के डीसीपी जोन 2 के राहुल मदने ने बातचीत के दौरान कहा, आरोपियों ने फर्जी डाक्यूमेंट के आधार पर वेतन भुगतान को आसान बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पोर्टल पर फर्जी शिक्षक पहचान संख्या स्वीकृत करवाई, जिससे फर्जी शिक्षक वेतन पाने के लिए पात्र हो गए। पुलिस उपायुक्त मदने ने आगे कहा कि कई स्कूलों की आईडी अभी भी जांच के दायरे में है। फर्जी दस्तावेज के आधार पर प्रिंसिपल पद पर नियुक्ति देने के मामले में पुलिस और भी आरोपियों की तलाश कर रही हैं।

पुलिस ने बताया कि मामले में पुलिस ने शिक्षण उपसंचालक उल्लास नरड, अधीक्षक निलेश मेश्राम, शिक्षा उप निरीक्षक संजय सुधाकर, लिपिक  सूरज नाईक और पराग पुटके को गिरफ्तार किया है।

कब मामला आया सामने?

गौरतलब है कि यह मामला तब सामने आया जब एक शिक्षक हेमंत गंजारे ने पराग पुडके नाम के व्यक्ति की शिकायत की कि वह फर्जी दस्तावेज के आधार पर प्रिंसिपल बन गया है। उन्होंने 10 फरवरी को इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के उप संचालक को किया। इसके बाद उन्हें 2 माह बाद 4 अप्रैल को इसका जवाब मिला। शिकायत में यह बताया गया था कि यादव नगर में एसकेबी नाम का स्कूल है, यहां एक व्यक्ति फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर अपने पिताजी के स्कूल में प्रिंसिपल बन गया। इसी तरह एक और शिकायत नागपुर के पुलिस थाने में की गई है, जिसमें कहा गया कि एक व्यक्ति जिसने शिक्षक के रूप में कभी अपनी सेवा नहीं दी, लेकिन उसे नियुक्ति देकर प्रिंसिपल बना दिया गया। 

शिक्षक उपसंचालक नागपुर द्वारा 4 अप्रैल को जारी पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि एसकेबी हाई स्कूल यादव नगर में कार्यरत पराग पुटके ने जो एक्सपीरिएंस सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग में जमा किया है वह फर्जी सर्टिफिकेट है।

एक और मामले का खुलासा

हेमंत गंजारे ने एक और खुलासा किया कि एक महिला जिसने फर्जी दस्तावेज के आधार पर एक शिक्षिका ने फ्रॉड B.ed की डिग्री के आधार पर 2014 से नौकरी कर रही और वेतन ले रही। उस पर भी 6 जनवरी को FIR दर्ज हो चुकी है। उसके बाद से वह फरार है। उसने नौकरी के दौरान बताया था कि उसने डिग्री IFTM मुरादाबाद यूनिवर्सिटी डिग्री ली है, यूनिवर्सिटी से पता करने सामने आया इस नाम की कोई स्टूडेंट वहां से पढ़ा ही नहीं है।

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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