अजब गजब

Success Story: दिल्ली के लड़के ने छोड़ी MNC की आरामदायक नौकरी, फिर सामान ढो-ढोकर बना ली अरबों की कंपनी

Success Story: अगर आपके सामने कोई ऐसी समस्या आती है, जिसका हल खोजने से भी न मिले तो समझिए किस्मत ने आपका दरवाजा खटखटाया है. यदि आपने समय रहते दरवाजा खोल लिया तो समझिए आपका अच्छा समय जल्द शुरू होने वाला है. ऐसा ही कुछ हुआ दिल्ली के एक लड़के प्रणव गोयल के साथ. अच्छी-खासी पढ़ाई करने के बाद जब वह नौकरी के लिए गुरुग्राम से मुंबई शिफ्ट होना चाह रहा था उसे मिनी ट्रक नहीं मिला. बस, इसी परेशानी को उन्होंने लपक लिया और यहीं से लगभग 2,000 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर डाली. प्रणव केवल 35 वर्ष के हैं और उनकी सक्सेस स्टोरी काफी दिलचस्प रही है.

दिल्ली में 1990 में पैदा हुए प्रणव गोयल ने आईआईटी खड़गपुर से स्नातक की डिग्री हासिल की. उन्होंने गुड़गांव के कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन्स में एसोसिएट के पद पर नौकरी से अपना करियर शुरू किया. बाद में उन्होंने ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन में एनालिस्ट के तौर पर काम किया. जेपी मॉर्गन में प्रणव यूएस इंटरनेट इक्विटी रिसर्च टीम का हिस्सा थे, जो बड़ी टेक कंपनियों को कवर करती थी.

यूएस इक्विटी रिसर्च टीम में काम करने के लिए उन्हें गुरुग्राम से मुंबई शिफ्ट होना पड़ा. फर्नीचर शिफ्ट करने के लिए मिनी ट्रक बुक करते समय उन्हें बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा. शहर के अंदर का लॉजिस्टिक्स सिस्टम, जैसे फॉरवर्डर्स, इंटरमीडियरी और ग्राहक, सब कुछ अव्यवस्थित था. एक ऐसी स्थिति कि इसी काम में इंसान का पूरा टाइम निकल जाए, और फिर भी काम की कोई गारंटी नहीं.

प्रणव गोयल ने एकसाथ खोजे कई समाधान
प्रणव गोयल ने समस्या तो देखी ही, साथ ही एक अवसर भी पहचाना. वे भारत के शहरों के भीतर सामान ढोने वाली लॉजिस्टिक्स सेवाओं की समस्याओं को हल करने के बारे में सोचने लगे. साथ ही उन्होंने देखा कि हल्के कमर्शियल वाहन (LCV) पूरे दिन में सिर्फ एक या दो ग्राहक ही ढूंढ पाते थे, यानी उनके संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं हो रहा था. इस समस्या को समझते हुए उन्होंने एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने के बारे में सोचा आम लोगों को भरोसेमंद और तुरंत मिलने वाली लॉजिस्टिक सेवाएं दे और ड्राइवरों को ज्यादा काम मिल सके.

उनके दिमाग में पूरी पिक्चर तैयार हो चुकी थी. उन्होंने अप्रैल 2014 में जेपी मॉर्गन की नौकरी छोड़ दी और अपने दो आईआईटी बैचमेट्स उत्तम डिग्गा (Uttam Digga) और विकास चौधरी (Vikas Choudhary) के साथ मिलकर एक कंपनी की शुरुआत की. इस तरह हमारे सामने आई पोर्टर (Porter). वही कंपनी, जो आपके घर के सामान को बड़ी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकती है.

मिनी ट्रक से लेकर थ्री-व्हीलर तक
पोर्टर ने शुरुआत कमर्शियल वाहनों को जोड़ने से की. मिनी ट्रक, दो-पहिया वाहन और थ्री-व्हीलर तक की बुकिंग शुरू की गई. ड्राइवरों ने भी कंपनी के साथ इसलिए जुड़़ना चाहा क्योंकि उन्हें हर समय ऑर्डर मिल जाते, जीपीएस नेविगेशन सिस्टम मिला और भाड़ा तय करने में माथापच्ची और हां-ना नहीं करनी पड़ती. सबकुछ ऐप पर था, और पहले से निर्धारित था. ड्राइवरों और वाहन मालिकों की लाइफ भी आसान हो गई. ऐप तेजी से बढ़ी और 18 महीनों के भीतर 1 लाख बुकिंग हो गईं. बाद में कंपनी ने मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई में विस्तार करते हुए, 2015 में सीरीज ए फंडिंग में सिकोइया कैपिटल और काई कैपिटलट से 35 करोड़ रुपये जुटाए.

कितना कमीशन, कितनी कमाई
पोर्टर का मॉडल काफी अच्छा था. हर बुकिंग पर 10 से 15 फीसदी कमीशन लेने के बाद भी क्लाइंट्स को लगभग 20 फीसदी की बचत होती. जैसे-जैसे लोगों को इस सुविधा के बारे में पता चला तो डिमांड बढ़ने लगी और 3 सालों के अंदर ही पोर्टर ने 15 लाख डिलीवरी कर दी थीं. कंपनी के साथ 10,000 ड्राइवर जुड़ चुके थे और भारत के पांच बड़े शहरों में 2 लाख से अधिक क्लाइंट हो गए थे. अप्रैल 2018 में पोर्टल ने महिंद्रा की स्मार्टशिफ्ट (Smartshift) के साथ विलय किया और महिंद्रा ग्रुप से 50 करोड़ रुपये का फंड भी जुटाया. इसके बाद कंपनी 10 शहरों तक फैला और लगभग 1600 पिन कोड कवर कर डाले.

फंडिंग के पुरोधाओं ने किया भरोसा
2019 तक, पोर्टर ने 30 लाख डिलीवरी की और 227 करोड़ रुपये के रेवेन्यू बनाया. जहां इंडस्ट्री इंटर-सिटी लॉजिस्टिक्स पर ध्यान केंद्रित कर रही थी, प्रणव ने एक और गैप पहचाना और टू-व्हीलर्स और ऑवरली टेम्पो रेंटल्स के साथ उसी दिन की कूरियर सेवाओं में एंट्री की. अप्रैल 2020 में, पोर्टर ने सीरीज डी में Lightstone से 140 करोड़ रुपये जुटाए, जिसकी वैल्यूएशन 774 करोड़ रुपये थी. 2022 तक पोर्टर का रेवेन्यू 1,789 करोड़ रुपये से अधिक हो गया और इसने टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) से 750 करोड़ रुपये का फंड हासिल किया.

16 मई 2024 को डबल रेवेन्यू ग्रोथ के बाद पोर्टर ने अपने ऑप्शन पूल को लिक्विडेट किया और 1 बिलियन डॉलर वैल्यूएशन पर निवेश प्राप्त किया. कंपनी 2024 का तीसरा यूनिकॉर्न थी. आज, पोर्टर का रेवेन्यू 2,733 करोड़ रुपये है. 2.5 लाख से अधिक ड्राइवर्स इनके साथ जुड़े हुए हैं और हर महीने 50 लाख से अधिक डिलीवरी करता है. Porter साल 2025 तक भारत के 35 से ज्यादा शहरों तक जड़े जमा चुका है. अभी वे इस प्लेटफॉर्म में AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी शुरू करने का प्लान कर रहे हैं. वे चाहते हैं पर्यावरण के लिए भी कुछ किया जाना चाहिए, इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों की जरूरत के बारे में बात करते हैं.


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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