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बिना फैशन डिग्री बहराइच की ये महिलाएं बना रहीं हाई-क्वालिटी फैंसी पर्स, इनके आगे ब्रांडेड पर्स भी लगते है फीके

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Women Empowerment: बहराइच के गांव बघौड़ा की किरण देवी और अन्य महिलाएं फैंसी लेडीज पर्स बनाकर आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही हैं. ये पर्स खूबसूरती, टिकाऊपन और सस्तेपन में दिल्ली-मुंबई के ब्रांडेड पर्स को टक्कर देत…और पढ़ें

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महिलाओं द्वारा बनाए गए लेडीज फैंसी पर्स!

हाइलाइट्स

  • बहराइच की महिलाएं बना रहीं खूबसूरत और टिकाऊ फैंसी पर्स.
  • किरण देवी ने स्वंय सहायता समूह से महिलाओं को सिखाया पर्स बनाना.
  • दिल्ली-मुंबई के ब्रांडेड पर्स भी इनके सामने फीके लगते हैं.

बहराइच: बहराइच के एक छोटे से गांव की महिलाओं ने वो कर दिखाया है, जो बड़े शहरों की चमक-दमक भी नहीं कर पाई. यहां गांव की महिलाएं अपने हाथों से ऐसे-ऐसे फैंसी लेडीज पर्स बना रही हैं जो न सिर्फ खूबसूरती में टॉप हैं, बल्कि टिकाऊ और सस्ते भी हैं. इनकी मेहनत, हुनर और जुनून ने न सिर्फ उनके घर की हालत बदली है, बल्कि बाकी महिलाओं को भी एक नई राह दिखाई है. दिल्ली-मुंबई के पर्स भी इनके सामने फीके लगते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे गांव की महिलाएं खुद का एक ब्रांड बना रही हैं – और कैसे यह कहानी हर महिला के लिए इंस्पिरेशन बन सकती है.

ब्रांडेड पर्स भी इनके सामने लगेंगे फीके
बहराइच जिले के चित्तौरा ब्लॉक के गांव बघौड़ा में रहने वाली किरण देवी एक स्वंय सहायता समूह से जुड़कर फैंसी लेडीज पर्स बनाने का काम कर रही हैं. ये पर्स देखने में इतने खूबसूरत होते हैं कि पहली नजर में यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ये गांव की महिलाओं के हाथों से बने हैं. यहां तक कि दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में मिलने वाले ब्रांडेड पर्स भी इनके आगे फीके नजर आते हैं.

कैसे तैयार होता है एक फैंसी लेडीज पर्स?
किरण देवी बताती हैं कि पर्स बनाने के लिए जरूरी रॉ मटेरियल बाहर से मंगवाया जाता है. इसके बाद लोकल मार्केट से मोती, झालर और अन्य सजावटी सामान खरीदे जाते हैं. फिर बड़ी बारीकी से सिलाई का काम शुरू होता है, जो घंटों तक चलता है. मेहनत और रचनात्मकता का नतीजा होता है एक ऐसा पर्स जो खूबसूरत ही नहीं, बल्कि टिकाऊ भी होता है.
इन पर्स की लागत लगभग 100 से 120 रुपये तक आती है, जबकि बिक्री के समय यह 150 से 200 रुपये तक आराम से बिक जाते हैं. खास बात ये है कि ये पर्स होममेड होने के बावजूद क्वालिटी में किसी ब्रांड से कम नहीं हैं. यही कारण है कि इनकी मार्केट में अच्छी-खासी डिमांड भी है.

किरण देवी बनी बदलाव की मिसाल
किरण देवी ने जब यह काम शुरू किया था, तब वह अकेली थीं. लेकिन जैसे-जैसे लोगों को उनके हुनर का पता चला, उन्होंने आसपास की महिलाओं को भी यह काम सिखाना शुरू किया. अब कई महिलाएं उनके साथ जुड़ चुकी हैं और मिलकर पर्स तैयार करती हैं. यह केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की एक मजबूत मिसाल बन चुकी है.

अब बहराइच बनेगा फैशन की नई पहचान
दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों के मुकाबले अब बहराइच भी फैशन के नक्शे पर अपनी पहचान बना रहा है. यहां की महिलाओं के हाथों से बने फैंसी पर्स न सिर्फ लोकल मार्केट में, बल्कि दूसरे जिलों में भी पसंद किए जा रहे हैं.
स्थानीय लोग किरण देवी और उनके समूह की तारीफ कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह पहल न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की मिसाल है, बल्कि बहराइच को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी मजबूत बना रही है. महिलाएं अब केवल घर तक सीमित नहीं, बल्कि अपने हुनर से नई पहचान बना रही हैं.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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