सहारनपुर के लोगों के लिए नहीं की शादी, हैरान कर देगी दो फिट के इस शख्स की कहानी

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Success story in hindi: कई लोग शरीर से स्वस्थ होने के बाद भी दूसरे लोगों पर भारी बोझ बने रहते हैं. वहीं सहारनपुर के…
गांव के लोगों के प्यारे हैं सालिम, किसी पर बोझ नहीं बने हैं आत्मनिर्भर
सहारनपुर: दिव्यांगों के बारे में आमतौर पर यह कहा जाता है कि ये शारीरिक रूप से दिव्यांग होते हैं लेकिन, इनमें कोई न कोई अद्भुत क्षमता भी होती है. इसी तरह अद्भुत क्षमताओं के धनी सहारनपुर के सालिम हैं. सालिम ने इस दुनिया में जन्म तो लिया लेकिन सही से चल नहीं पाए और दूसरों पर आश्रित हो गए. सहारनपुर के रहने वाले 2 फीट के व्यक्ति सालिम जन्म से ही दोनों पैर छोटे होने के कारण चल नहीं पाते.
सालिम का सिर्फ पैर ही छोटा नहीं है. उनके शरीर का आकार भी अन्य व्यक्तियों के मुकाबले काफी छोटा है. जब सालिम को लगा कि वह अन्य व्यक्ति से काफी अलग हैं तो उनको काफी निराशा हुई. हालांकि, इसके बाद भी सालिम कभी किसी पर बोझ नहीं बनने की ठानी और कक्षा 8 तक पढ़ाई की जिससे वह अपना जीवन अच्छे से जी सकें.
सालिम चल नहीं सकते इसलिए वह कुछ काम नहीं कर पाते थे. ऐसे में उन्होंने अपने घर पर ही जन सेवा केंद्र खोल लिया. इसी से वह अपने घर का खर्च भी चला रहे हैं. सालिम उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रहे हैं जो लोग स्वस्थ होने के बाद भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं. सालिम न केवल जन सेवा केंद्र चल रहे हैं बल्कि गांव के लोगों की समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं. इस जीवन से सालिम नाराज नहीं बल्कि काफी खुश हैं. उनका कहना है कि इस जीवन में भी उनको किसी चीज की कमी नहीं है. पूरा परिवार है और घर के सभी सदस्य उनको बहुत प्यार करते हैं. उनके आने-जाने में भी परिजन सहयोग करते हैं. सालिम के पास अपनी बाइक, ट्रैक्टर और खुद की जमीन भी है.
सालिम ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया उनकी उम्र 32 साल है. उन्होंने कक्षा आठ तक पढ़ाई की है जबकि उनके गांव के अंदर मात्र कक्षा 5 तक का सरकारी स्कूल है. गांव में स्कूल न होने से सालिम आगे नहीं पढ़ पाए इसलिए उनकी एक इच्छा यह भी है कि गांव के स्कूल को बढ़ाया जाए जिससे गांव के बाकी बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें. सालिम के दो बड़े भाई और एक छोटी बहन है. सालिम भरे ही शरीर से छोटे हैं लेकिन, इरादों के बड़े इंसान हैं.
सालिम 2011 से जन सेवा केंद्र चला रहे हैं. उनके पास अपनी मोटरसाइकिल, अपना ट्रैक्टर और जमीन भी है. सालिम बताते हैं की बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो शरीर ठीक नहीं होने के कारण भिक्षा मांग कर खाते हैं लेकिन, उनपर ऊपर वाले की कृपा बनी हुई है और वह खुद अपना काम कर अपना और अपने परिवार के लोगों का खर्च आसानी से उठा रहे हैं.
सालिम बताते हैं कि कभी उन्होंने शादी के बारे में नहीं सोचा और वह शादी करना भी नहीं चाहते क्योंकि उन्होंने अपना जीवन परिवार और गांव के लोगों को समर्पित कर दिया है. किसी के सुख दुख में वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. किसी को जरूरत होती है तो सालिम उनकी मदद भी करते हैं. यहां तक कि वह अधिकारियों से मिलकर लोगों की समस्याओं का समाधान करने में भी आगे रहते हैं. अधिकारी लोग भी सालिम का काम देखकर हैरान हैं.
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