उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के बीच बढ़ती खाई: इंडिया गठबंधन पर सवाल

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Uddhav Thackeray Vs Congress: उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कांग्रेस के स्टैंड पर असहमति जताई है और इंडिया गठबंधन में दरारें उभर रही हैं. सामना संपादकीय में कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया गया है.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कांग्रेस अधिवेशन को लेकर सवाल उठाए गए हैं. (फाइल फोटो PTI)
हाइलाइट्स
- उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कांग्रेस पर असहमति जताई.
- संपादकीय में कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया गया.
- तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण पर भी दोनों पार्टियों में मतभेद.
नई दिल्ली: विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ब्लॉक में इन दिनों केवल दरार नहीं आई बल्कि खाई बन गई है. इंडिया गठबंधन के नेता अब आपस में ही भिड़ रहे हैं. उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी इन दिनों कांग्रेस से कन्नी काट रही है. हाल के दिनों में कांग्रेस के कई स्टैंड को लेकर उद्धव सेना के नेताओं ने असहमति जताई है. इस बीच पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कांग्रेस अधिवेशन को लेकर सवाल उठाए गए हैं.
संपादकीय में कहा गया है कि कांग्रेस ने केवल अपने बारे में बात की. इंडिया गठबंधन का कहीं भी जिक्र नहीं किया. संपादकीय में कहा गया, “लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया ब्लॉक कहां खड़ा है, इस पर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस को अपने अहमदाबाद सत्र में इस पर बात करनी चाहिए थी. गठबंधन का क्या हुआ? क्या यह जमीन में दफन हो गया या हवा में गायब हो गया? इस सवाल का जवाब देने की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष की है.”
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कैसे बढ़ी कांग्रेस और उद्धव के बीच खाई?
हाल की सबसे बड़ी घटना तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण था. इस पर भी दोनों पार्टी के बीच दरार साफ झलकी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की धुर विरोधी उद्धव की शिवसेना ने भी इस मामले पर सरकार का साथ दिया. साथ ही सरकार के फैसले को स्वागत योग्य बताया है. वहीं, कांग्रेस पार्टी के नेता कन्हैया कुमार तहव्वुर राणा मामले को सोची समझी साजिश करार दी है.
वहीं शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने तहव्वुर राणा पर बयान जारी किया. चतुर्वेदी ने कहा, ‘उसका प्रत्यर्पण स्वागत योग्य है और कन्हैया कुमार का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण देश की उपलब्धि है. जिन लोगों ने भी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण कराया वह फैसला और कदम स्वागत योग्य है.’
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में उद्धव ने AAP का किया था समर्थन
जनवरी 2025 में संजय राउत ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रति कांग्रेस के रुख पर भी असंतोष व्यक्त किया था. उन्होंने कहा था कि आप और कांग्रेस दोनों इंडिया ब्लॉक के सदस्य हैं, और उन्हें आपस में लड़ने की बजाय बीजेपी के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. राउत ने कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा अरविंद केजरीवाल को ‘देशद्रोही’ कहे जाने पर भी आपत्ति जताई थी. उनका मानना था कि इस तरह की बयानबाजी से गठबंधन कमजोर होगा और बीजेपी को फायदा मिलेगा.
उद्धव ठाकरे ने भी स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर कुछ असहमति व्यक्त किए हैं. हालांकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कोई तीखी टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पार्टी के भीतर से ऐसी खबरें आई हैं कि कुछ नेता आगामी बीएमसी चुनावों में अकेले लड़ने के पक्ष में हैं. उनका मानना है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से शिवसेना (UBT) की संगठनात्मक क्षमता कमजोर हो सकती है और पार्टी को अपने दम पर अपनी ताकत दिखानी चाहिए.
अब संपादकीय में कांग्रेस पर तीखा प्रहार
संपादकीय में सेना-यूबीटी ने बिहार, गुजरात और पश्चिम बंगाल राज्य चुनावों के लिए कांग्रेस का रुख जानने की भी मांग की. उसने पूछा, “या फिर पार्टी फिर से हार का स्वागत करेगी?” सेना ने कहा कि कांग्रेस को मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में प्रयास करने की जरूरत है. जबकि पार्टी ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में सफलता प्राप्त की उसे राज्य विधानसभा चुनावों में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा.
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