गिरिडीह का अप्सर मछली से बना स्टार, हर महीने कर रहा 40 हजार की कमाई

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Fish Farming Success Story: गिरिडीह के मोहम्मद अप्सर ने फिश फार्मिंग से बदली अपनी किस्मत, हर महीने 40 हजार की कमाई. जानें उनकी मेहनत और योजना की पूरी कहानी.
Fish farming success story
हाइलाइट्स
- मोहम्मद अप्सर फिश फार्मिंग से हर महीने 40 हजार कमा रहे हैं.
- अप्सर ने सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षण से फिश फार्मिंग सीखी.
- अप्सर के फार्म की मछलियों की मांग दूर-दराज तक फैल चुकी है.
झारखंड के गिरिडीह जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर मोहम्मद अप्सर ने ऐसा काम किया है, जो न सिर्फ प्रेरणा देता है, बल्कि ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की राह भी दिखाता है. बेंगाबाद प्रखंड निवासी अप्सर पिछले 10 वर्षों से मछली पालन कर रहे हैं और आज उनकी मासिक कमाई 30 से 40 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है.
अप्सर ने यह सफर आसान नहीं पाया. उन्होंने पहले सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी ली, फिर फिश फार्मिंग की बारीकियां सीखीं. मछली का जीरा, केज और अन्य उपकरण उन्हें सरकार से सब्सिडी पर मिले, जिससे शुरुआत करना थोड़ा आसान हुआ. आज वो खुद अन्य युवाओं को फिश फार्मिंग सिखा रहे हैं.
उनके फार्म में राहू, कतला, झींगा और लेलून जैसी कई प्रजातियों की मछलियां पाली जाती हैं. इन मछलियों को पालने में करीब 80 से 90 दिन का समय लगता है, जिसके बाद वे बाजार में बिकने के लिए तैयार हो जाती हैं. अप्सर बताते हैं कि वे रोज़ाना करीब 50 किलो मछली बेचते हैं, और बड़ी मछलियों की कीमत 350 रुपये प्रति किलो तक जाती है.
उनके फार्म की मछलियों की मांग अब स्थानीय क्षेत्र से निकलकर दूर-दराज के गांवों और शहरों तक फैल चुकी है. मछली पालन के इस सफर में अप्सर खुद हर दिन सीखते हैं और मेहनत को ही अपनी सबसे बड़ी पूंजी मानते हैं.
अप्सर का सपना है कि सरकार उन्हें और ज्यादा मछली बीज की सुविधा दे ताकि वे अपने कारोबार को और आगे बढ़ा सकें. उनकी ये यात्रा न सिर्फ आर्थिक मजबूती की है, बल्कि खुद के पैरों पर खड़े होने की जिद और उम्मीद की मिसाल भी है.
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