Pm Modi Is Going To Anandpur Dham… Know Its Specialty… Why Is It Famous All Over The Country – Ashoknagar News

परमहंस अद्वैत मत है… श्री परमहंस अद्वैत मत का विश्वव्यापी, भक्ति-परमार्थ का प्रमुख सत्संग केन्द्र श्री आनन्दपुर है। इस विशाल आश्रम से संबंधित परमार्थ के केन्द्र एवं सत्संग आश्रम सम्पूर्ण भारत में हैं। परमहंस अद्वैत मत उत्तरी भारत में पंथों का एक समूह है। इसकी स्थापना श्री श्री 108 स्वामी अद्वैत आनन्द जी महाराज प्रथम पादशाही जी ने की थी। इन्हें परमहंस दयाल जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है। इस मत का मूल सिद्धांत है कि जिज्ञासुओं को दीक्षित करके निष्काम सेवा, सुमिरण-ध्यान और आत्मोन्नति के अन्य साधन बताकर भक्त्ति के पथ पर अग्रसर किया जाए।
द्वितीय पादशाही के समय में हुई स्थापना
इस मत परंपरा में अब तक छः गुरु हुए हैं। जिन्हें पादशाही कहकर संबोधित करने की परंपरा है। प्रथम पादशाही श्री स्वामी अद्वैता आनंद जी महाराज 1919 तक रहे। द्वितीय पादशाही श्री परमहंस स्वरूप आनंद जी महाराज 1936 तक रहे। इनके समय में ही श्री आनंदपुर धाम की स्थापना हुई, जो आज परमहंस मत का सबसे प्रमुख केंद्र है। तृतीय पादशाही श्री वैराग्य आनंद महाराज जी 1964 तक रहे। चतुर्थ पादशाही श्री स्वामी बेअंत आनंद जी महाराज जी रहे। उन्होंने श्री आनंदपुर में श्री परमहंस अद्वैत मंदिर का उद्घाटन कर विधिवत आरती पूजा का नियम आरंभ किया। पंचम पादशाही श्री स्वामी दर्शन पूर्ण आनंद जी महाराज 2017 तक रहे। और वर्तमान में षष्टम पादशाही श्री स्वामी विचार पूर्ण आनंद जी महाराज हैं।
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शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में करता है काम
संस्था की चल व अचल सम्पत्ति की देखरेख, सुरक्षा व वृद्धि हेतु ट्रस्टी-समिति द्वारा अनुशासित श्री आनन्दपुर ट्रस्ट की स्थापना 22 अप्रैल सन् 1954 ई० में की गई। यह ट्रस्ट आश्रम निवासियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इस ट्रस्टी समिति द्वारा ट्रस्ट के सभी कार्यों का प्रबन्ध सुचारू रूप से हो रहा है। ट्रस्ट के माध्यम से वर्तमान में शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य किया जा रहा है। गरीब लोगों को लगभग निशुल्क स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं प्राप्त हो रही हैं। ईसागढ़ के पास सुखपुर हाॅस्पिटल के नाम से अस्पताल है।क्षेत्रीय लोगों को ट्रस्ट के माध्यम से रोजगार भी मिल रहा है।
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कहते हैं कि श्री परमहंस अद्वैत मत के संस्थापक श्री परमहंस दयाल जी श्री प्रथम पादशाही महाराज जब आगरा में अपने पावन सत्संग-वचनामृत सुना रहे थे। तब ईसागढ़ निवासी सेठ पन्नालाल जी मोदी ने इस सुअवसर को प्राप्त कर ईसागढ़ पधारने की विनती कर महाराज से निवेदन किया। महाराज ने बाद में आने की बात कही। लेकिन शुभ अवसर आया सन् 1929 ई० में तब श्री परमहंस सद्गुरु जी महाराज श्री द्वितीय पादशाही जी ने ग्वालियर राज्य में पदार्पण कर इस वन्य प्रदेश की भूमि को परमार्थ का केन्द्र बनाने के लिए उपयुक्त बताया।सन् 1930 ई० को महात्माजनों एवं भक्तजनों ने श्री आज्ञा के अनुसार इस पठारी क्षेत्र की उबड़-खाबड़ भूमि और झाड़ियों वाले स्थान को निरंतर परिश्रम और मेहनत से उद्यान और हरियाली से भर दिया। भूमि को उपजाऊ ही नहीं बनाया बल्कि इस पावन धरा पर श्री आनंदपुर धाम की स्थापना कर क्षेत्रीय संस्कृति को समृद्ध भी किया है।
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