‘तहव्वुर राणा को मिले मौत की सजा, वो भी जनता की नजरों के सामने’; कसाब को पकड़ने वाले शहीद तुकाराम ओंबले के भाई की मांग

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मुंबई हमलों में आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है. शहीद तुकाराम ओंबले के भाई एकनाथ ने राणा को कड़ी सजा देने की मांग की है. राणा पर हमलों की योजना बनाने का आरोप है.
शहीद तुकाराम ओंबले के भाई की तहव्वुर राणा को सार्वजनिक रूप से फांसी देने की मांग. (Image:PTI)
हाइलाइट्स
- तहव्वुर राणा को भारत लाया गया, कड़ी सजा की मांग.
- शहीद तुकाराम ओंबले के भाई ने राणा को फांसी देने की मांग की.
- राणा पर 2008 मुंबई हमलों की योजना बनाने का आरोप.
मुंबई. 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में कथित भूमिका के लिए भारत में मुकदमे का सामना करने वाले तहव्वुर राणा को लेकर एक प्रमुख पुलिस अधिकारी के परिवार ने सबसे कड़ी सजा की मांग की है. मुंबई हमले में आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने की कोशिश में शहीद हुए सहायक उप-निरीक्षक तुकाराम ओंबले के भाई एकनाथ ओंबले ने कहा कि राणा को सबसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए. एकनाथ ने कहा कि आतंकवादियों को जनता के सामने फांसी दी जानी चाहिए. अगर वे भारत पर हमला करने के बारे में सोचें भी तो ये सजा एक संदेश होनी चाहिए.
तहव्वुर राणा एक और आतंकी डेविड कोलमैन हेडली के साथ हमलों की योजना बनाने का आरोपी है. उसको गुरुवार को अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद दिल्ली लाया गया. उसे कड़ी सुरक्षा के बीच एक विशेष उड़ान में लाया गया है. उससे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा एक उच्च-सुरक्षा वाली जगह में पूछताछ की जाएगी. 2008 के मुंबई हमले तीन दिनों तक चले, जिसमें 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए. पाकिस्तान स्थित समूह लश्कर-ए-तैयबा के दस भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने शहर के कई स्थानों पर हमला किया. जिसमें ताज होटल, सीएसटी रेलवे स्टेशन और नरीमन हाउस शामिल थे.
उस रात ड्यूटी पर मौजूद एएसआई तुकाराम ओंबले ने अजमल कसाब को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो एकमात्र जीवित पकड़ा गया हमलावर था. कसाब और उसके साथी इस्माइल खान ने सीएसटी स्टेशन पर गोलीबारी की और बाद में भागने के प्रयास में एक कार को हाईजैक कर लिया. पुलिस ने उनकी गतिविधियों का पता लगाया और गिरगांव चौपाटी पर बैरिकेड्स लगाए. वहीं ओंबले और उनकी टीम ने उनका सामना किया. एक लकड़ी की लाठी के अलावा निहत्थे होने के बावजूद, ओंबले कसाब को रोकने के लिए आगे बढ़े. कसाब ने गोलीबारी की, लेकिन ओंबले ने उसकी बंदूक की नली पकड़ ली, कई गोलियां खाईं लेकिन दूसरों को गोली मारने से रोका. उनके इस साहसिक कदम ने अन्य अधिकारियों को कसाब को काबू करने और गिरफ्तार करने का मौका दिया.
कसाब की गिरफ्तारी जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गई. इससे ऑपरेशन की पूरी योजना और सीमा पार के हैंडलरों की संलिप्तता का खुलासा हुआ. तुकाराम ओंबले को उनकी बहादुरी और बलिदान के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र दिया गया. जो भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है. अब तहव्वुर राणा भारत में मुकदमे का सामना करने की तैयारी कर रहा है. तो मुंबई हमले के पीड़ितों के परिवार न्याय का इंतजार कर रहे हैं. तुकाराम ओंबले के भाई एकनाथ कहते हैं कि उन्हें पहले ही सजा मिल जानी चाहिए थी.
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