मध्यप्रदेश

Congress MLA paid off his loan using his voluntary grant money | कांग्रेस विधायक ने गरीबों के रुपयों से चुकाई उधारी: टेंटवाले और रेस्टोरेंट मालिक को दिए पैसे, रिश्तेदारों को भी दी आर्थिक मदद – Madhya Pradesh News

.

ये कहना है झाबुआ जिले के रानापुर के टेंट कारोबारी सतीश जैन का। दरअसल, सतीश जैन को झाबुआ के कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने स्वेच्छानुदान राशि से आर्थिक मदद दी है। उन्हें गरीब और जरूरतमंद बताया गया है। न केवल सतीश जैन बल्कि इलेक्ट्रॉनिक व्यापारी, रेस्टोरेंट संचालक के बिल का पेमेंट भी स्वेच्छानुदान राशि से करने के आरोप हैं।

दैनिक भास्कर ने लिस्ट में दिए गए चुनिंदा लोगों से बात की तो वे बोले कि भूरिया जी ने जो सामान खरीदा था हमने तो उसके बिल भेजे थे। हमने उनसे किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मांगी थी।

बता दें कि झाबुआ के ही पूर्व कांग्रेस नेता मिथियास भूरिया ने सूचना के अधिकार के तहत ये जानकारी हासिल की है। मिथियास का आरोप है कि विक्रांत भूरिया ने स्वेच्छानुदान राशि को अपने निजी कार्यों में खर्च किया है। उन्होंने इसकी शिकायत कलेक्टर, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से भी की है। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं विक्रांत भूरिया ने भास्कर से बातचीत में सारे आरोपों को निराधार बताया है।

अब जानिए किस तरह से आरोप लगे

रेस्टोरेंट संचालक को गरीब बताया, चुकाया चाय-नाश्ते का बिल झाबुआ में विधायक विक्रांत भूरिया के कार्यालय से 100 मीटर दूर स्थित है न्यू बालाजी रेस्टोरेंट। आरटीआई से जो दस्तावेज मिले हैं उसमें न्यू बालाजी रेस्टोरेंट के संचालक गोविंद बैरागी और उनकी पत्नी पूजा बैरागी को 10-10 हजार रु. स्वेच्छानुदान मद से आर्थिक मदद विधायक ने की है।

इसमें लिखा है कि दोनों को गरीबी के लिए आर्थिक सहायता दी गई है। यानी रेस्टोरेंट के मालिक गोविंद बैरागी और उनकी पत्नी को गरीब बताया गया है। इसके अलावा रेस्टोरेंट में काम करने वाले कर्मचारी भारत को स्वेच्छानुदान राशि के 10 हजार रुपए दिए हैं।

झाबुआ का न्यू बालाजी रेस्टोरेंट विधायक विक्रांत भूरिया के दफ्तर से 100 मीटर दूरी पर है।

झाबुआ का न्यू बालाजी रेस्टोरेंट विधायक विक्रांत भूरिया के दफ्तर से 100 मीटर दूरी पर है।

कर्मचारी बोला- भूरिया जी के यहां जाता है चाय-नाश्ता भास्कर की टीम जब बालाजी रेस्टोरेंट पहुंची तो वहां गोविंद बैरागी नहीं मिले। रेस्टोरेंट के कर्मचारी भारत ने बताया कि सेठजी बाहर गए हैं। उससे पूछा कि विधायक विक्रांत भूरिया ने सेठजी को गरीबी के लिए 10 हजार रु. की आर्थिक सहायता दी है, तो वह बोला- कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई।

रेस्टोरेंट से भूरिया जी के दफ्तर जो सामान गया था ये उसी का पेमेंट है। क्या सामान गया था ? ये पूछने पर बताया कि हमारे रेस्टोरेंट से भूरिया जी के दफ्तर में चाय-नाश्ता जाता रहता है।

टेंट व्यापारियों को भी 2 लाख से ज्यादा स्वेच्छानुदान से दिए

इसी तरह स्वेच्छानुदान राशि के 2 लाख 40 हजार रु. जिले के रानापुर के दो टेंट व्यवसायियों को दिए गए है। एक हैं सतीश जैन और दूसरे हैं विक्की सकलेचा। सतीश जैन को साल 2023 में 9 फरवरी और 16 जून को दो बार 10-10 हजार रु. आर्थिक सहायता दी गई है। साथ ही 11 सितंबर 2024 को तीसरी बार 10 हजार रु. की सहायता दी है। यानी इस तरह से 30 हजार रु. की सहायता दी है।

वहीं सतीश की पत्नी सरिता जैन को भी 6 जनवरी 2025 को 25 हजार रु. की आर्थिक सहायता दी गई है। इसके अलावा जैन के रिश्तेदार मनीष नाहर, नीलम मनीष नाहर, राजेंद्र कुमार, सुनील कुमार जैन और पवन नाहर को भी आर्थिक सहायता के तौर पर 80 हजार रु. दिए हैं।

मैंने तो टेंट का बिल दिया था- सतीश जैन भास्कर ने जब सतीश जैन से बात की तो पहले तो वह ये सुनकर हैरान रह गए कि उन्हें विधायक भूरिया ने आर्थिक मदद की है। फिर बोले- मैंने तो टैंट का बिल दिया था। उनसे पूछा कि कितने का बिल था? तो बोले कि 20 हजार रु. का था। भास्कर रिपोर्टर ने बताया कि आपको और भाभी को कुल 55 हजार रुपए की राशि स्वेच्छानुदान से दी गई है।

सतीश जैन ने कहा कि मेरी पत्नी के अकाउंट में तो पैसा ही नहीं आया। सतीश जैन से पूछा कि ये मनीष नाहर कौन है तो बोले ये रिलेटिव हैं, झाबुआ में रहते हैं। भास्कर ने बताया कि मनीष और उनके परिवार के सदस्य को भी आर्थिक सहायता मिली है, तो सतीश ने कहा कि मैं ये कुछ नहीं जानता।

विक्की सकलेचा बोले- कोई आर्थिक मदद नहीं ली इसी तरह विक्की सकलेचा भी रानापुर में टेंट का कारोबार करते हैं। उन्हें 13 सितंबर 2023 को आर्थिक सहायता के तौर पर 25 हजार रु. विधायक भूरिया की तरफ से दिए गए। उनकी पत्नी चेतना सकलेचा को भी इसी दिन 25 हजार रु. की आर्थिक सहायता दी गई, यानी सकलेचा दंपत्ति को 50 हजार रु.आर्थिक सहायता दी गई।

सकलेचा के रिलेटिव रूपेश सकलेचा को 2 मार्च 2023 को 10 हजार रु. और 21 अक्टूबर 2024 को 25 हजार की आर्थिक सहायता दी गई है। बबीता सकलेचा और मधु सकलेचा को एक ही दिन 8 सितंबर 2023 को 10-10 हजार की आर्थिक सहायता दी गई है। इस तरह सकलेचा फैमिली को 2023-24 के बीच 1 लाख 5 हजार रु. की आर्थिक सहायता दी गई।

जब दैनिक भास्कर ने इस बारे में विक्की सकलेचा से पूछा तो उन्होंने कहा-

QuoteImage

मैं तो टेंट व्यापारी हूं। हम सभी लोग काम करते हैं। काम करने के बाद बिल लगाते हैं। मैंने कोई आर्थिक मदद नहीं ली है, बाकी इस बारे में कुछ भी ऑन द रिकॉर्ड नहीं बता सकता।

QuoteImage

बहन के खाते में पैसा कैसे आया, मुझे नहीं पता झाबुआ में होर्डिंग्स और बैनर का काम करने वाले साथ ही इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाने वाले प्रतीक मोदी को पढ़ाई के नाम पर 16 जनवरी 2023 को 10 हजार की मदद की गई। वहीं उनकी बहन प्राची मोदी को भी इसी तारीख को पढ़ाई के नाम पर 10 हजार की मदद की गई।

प्रतीक मोदी की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान का नाम रिषभ इलेक्ट्रॉनिक है। 15 मार्च 2023 को रिषभ इलेक्ट्रॉनिक को पढ़ाई के नाम पर 10 हजार रु. की आर्थिक मदद की गई। इस संबंध में जब भास्कर ने प्रतीक मोदी से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे पढ़ाई के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई।

मैंने उनसे ऐसे ही सहायता मांगी थी, इसलिए उन्होंने अनुदान दिया। प्रतीक से पूछा कि बहन प्राची को भी पढ़ाई के नाम पर आर्थिक मदद दी गई है, तो कहा- प्राची का मुझे पता नहीं, उसने कोई सहायता मांगी थी ये भी नहीं जानता? दरअसल, मेरी बहन से पटती नहीं है। ज्यादा बातचीत भी नहीं होती है। रिषभ इलेक्ट्रानिक्स मेरी ही दुकान है, लेकिन इसके खाते में पैसा आया इसकी जानकारी मुझे नहीं है।

कांग्रेस-एनएसयूआई पदाधिकारियों को भी दी आर्थिक सहायता सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेजों से ये भी पता चला है कि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं को भी स्वेच्छानुदान की राशि बांटी गई है। रानापुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गाहरी को 2 मार्च 2023 को 5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है। वे पेशे से डॉक्टर हैं। उनका मेडिकल स्टोर है और कपड़े की दुकान भी है।

वहीं यूथ कांग्रेस के जिला महामंत्री दरियाव सिंगाड़ और उनकी पत्नी वाना सिंगाड को आर्थिक सहायता के तौर पर कुल 5 हजार रुपए दिए हैं। दरियाव को दूसरी बार 23 दिसंबर 2024 को 4 हजार रु. आर्थिक सहायता दी गई। एनएसयूआई जिला अध्यक्ष नरवेश अमलीयार को 16 जनवरी 2023 को 2500 रुपए आर्थिक सहायता के तौर पर दिए।

विधायक कार्यालय के कर्मचारी और रिश्तेदारों को भी मिली सहायता

आरटीआई से दस्तावेज जुटाने वाले मिथियास भूरिया का आरोप है कि विधायक कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी और उनके रिश्तेदारों को भी आर्थिक सहायता दी गई है। वे कहते हैं कि रोहित हटिला विधायक कार्यालय का कर्मचारी है। उसे और रिश्तेदारों को 2 लाख 75 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है।

इसी तरह विधायक पर रिश्तेदारों को 2 लाख 90 हजार रुपए देने के आरोप है। मिथियास भूरिया के दस्तावेजों में 18 ऐसे लोगों के नाम हैं जिनका सरनेम भूरिया है। मिथियास के मुताबिक ये सभी विक्रांत और कांतिलाल भूरिया के रिश्तेदार हैं। इनमें से कई लोगों को दो से तीन बार में 30 से लेकर 45 हजार रु. आर्थिक सहायता दी गई है।

विधायक से वसूली हो और एफआईआर दर्ज की जाए- मिथियास मिथियास भूरिया ने इस मामले की शिकायत जिला कलेक्टर, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल से की है। मिथियास का कहना है कि कांतिलाल भूरिया पिछले 50 साल से राजनीति कर रहे हैं। उनके बेटे विक्रांत को भी राजनीति करते हुए काफी समय हो चुका है।

विधायक को मिलने वाली स्वेच्छानुदान की राशि गरीब और जरूरतमंदों के लिए होती है। विक्रांत और कांतिलाल भूरिया ने व्यापारियों से जो सामान खरीदा या उधार लिया उसका पेमेंट स्वेच्छानुदान मद से किया गया। गरीबों का पैसा अपने परिवार के सदस्यों में बांट दिया।

इस तरह से स्वेच्छानुदान की राशि में महाघोटाला किया है। मैंने 2023 से 2025 तक की जानकारी मांगी थी। इस दौरान विक्रांत भूरिया को डेढ़ करोड़ रु. मिले हैं। इससे पहले का रिकॉर्ड निकालेंगे तो हो सकता है कि और भी बड़ी गड़बड़ी सामने आए।

प्रशासन ने जांच शुरू की, विक्रांत ने कहा- आरोप निराधार

मामला सामने आने के बाद बीजेपी हमलावर है। झाबुआ के बीजेपी जिलाध्यक्ष और विक्रांत भूरिया के सामने 2023 विधानसभा का चुनाव लड़े भानू भूरिया कहते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष रूप जांच की जानी चाहिए। विधायक और पूर्व विधायक ने गरीबों के हक का पैसा अपनी उधारी चुकाने के लिए किया है, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए।

वहीं इस मामले में जब प्रशासन से बात की तो कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ जितेंद्र सिंह चौहान से बात करने के लिए कहा। जिला पंचायत सीईओ जिंतेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि झाबुआ के विधायक और पूर्व विधायक के संबंध में स्वेच्छानुदान राशि के दुरुपयोग को लेकर जनसुनवाई में शिकायत आई थी। इस मामले की जांच की जा रही है।

दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। भास्कर से बात करते हुए विक्रांत ने कहा कि जो भी मदद के लिए आता है उसका आधार कार्ड लिया जाता है। उसके बाद उसकी एक एप्लिकेशन बनाकर आगे कलेक्टर को फॉरवर्ड कर दी जाती है।


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!