Shocking Crimes of Udayan: Murdered Parents, Buried in Garden | सात साल पहले मां-बाप की हत्या कर गार्डन में दफनाया: रिश्तेदारों से कहा- मां अमेरिका चली गई, बैंक को गुमराह कर पेंशन लेता रहा – Madhya Pradesh News

मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि किस तरह उदयन के झांसे में आकर आकांक्षा ने अपना घर छोड़ा और वो उसके साथ भोपाल आ गई। बड़े-बड़े सपने दिखाकर उदयन ने आकांक्षा को अपनी तरफ आकर्षित किया था। मगर उसके सपने पूरे नहीं हुए और इस बीच वो लापता हो
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बंगाल पुलिस उसकी मोबाइल लोकेशन के आधार पर भोपाल आई। यहां उसके साथी उदयन तक पहुंची। उसे हिरासत में लिया। उदयन ने पुलिस को जो बात बताई उसे सुनकर पुलिस के होश उड़ गए। उदयन ने आकांक्षा की हत्या कर उसकी लाश को एक संदूक में बंद कर दिया था। उस संदूक के ऊपर सीमेंट का चबूतरा बना दिया था।
पुलिस ने आठ घंटे की खुदाई के बाद चबूतरे से लाश बाहर निकाली। इसके बाद पूछताछ में उदयन ने जो राज खोले वो और भी खौफनाक थे।
पार्ट-2 में पढ़िए सीरियल किलर के आगे की कहानी……
आंकक्षा जान गई थी उदयन की असलियत पुलिस ने उदयन के घर से आकांक्षा की लाश बरामद कर ली थी। अब पुलिस ने उदयन से सिलसिलेवार तरीके से पूछताछ की। उसने बताया कि 14 जुलाई 2016 को ही उसने आकांक्षा की हत्या कर दी थी। ये सुनकर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए क्योंकि साढ़े सात महीने बाद पुलिस ने आकांक्षा की लाश को बरामद किया था।
अधिकारियों ने उदयन से पूछा कि उसने आकांक्षा को क्यों मारा? उदयन ने बताया कि 24 जून को आकांक्षा उसके साथ भोपाल आई तो उनके रिश्तों में खटास आ गई थी। दरअसल, आकांक्षा को उदयन की सच्चाई का पता चल गया था। वो समझ गई थी कि उदयन एक धोखेबाज है। वह न तो कभी अमेरिका गया और न ही उसके पास अमेरिकी नागरिकता है।
उदयन ने आकांक्षा को अमेरिका में नौकरी का जो ऑफर लैटर दिया था वो भी नकली था। आकांक्षा ने तय कर लिया था कि वह अपने घर बांकुरा लौट जाएगी। उसने घर जाने के लिए ट्रेन की टिकट भी बुक करा ली थी। उदयन को उसके वापस जाने की भनक लग गई। उसने आकांक्षा को समझाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं मानी।

वॉकिंग डेथ सीरियल देखकर मिला दफनाने का आइडिया 15 जुलाई की सुबह वह आकांक्षा के सीने पर बैठ गया और तकिए से उसका तब तक मुंह दबाया जबतक कि उसकी सांसें नहीं थम गईं। इसके बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने हाथ से उसका गला घोंट दिया। जब उसका गुस्सा शांत हो गया तो वो दो दिन तक आकांक्षा के जिंदा होने का इंतजार करता रहा।
जब आकांक्षा की डेड बॉडी से बदबू आने लगी तो उदयन ने एक पुराने बक्से को खाली कर उसमें शव डाल दिया। उसने बॉक्स में सीमेंट का घोल भर दिया। फिर उसे एक सीमेंट के चबूतरे में दफन कर दिया। उदयन ने बताया कि शव काे बॉक्स में दफनाने का आइडिया इंग्लिश चैनल पर “वॉकिंग डेथ” सीरियल से मिला था।
इसमें उसने एक ऐसी ही मर्डर मिस्ट्री देखी थी। हत्या के बाद वह चबूतरे पर ही गद्दा बिछाकर सो जाता था। चबूतरे पर परफ्यूम भी छिड़कता था।

गर्लफ्रेंड की हत्या की गुत्थी सुलझी मगर माता-पिता कहां थे? लापता आकांक्षा की गुत्थी सुलझ चुकी थी, लेकिन उदयन के माता-पिता कहां है? ये सवाल अभी भी बना हुआ था। पुलिस ने उदयन से उसके माता-पिता के बारे में पूछा तो वह ठीक से जवाब नहीं दे पाया। कहने लगा कि मां अमेरिका में रहती है और पिता की बीमारी के कारण डेथ हो चुकी है।
इस पर पुलिस अफसरों ने मां का पता, फोन नंबर पूछा। उसकी मां से कब बात होती है? इस संबंध में पूछताछ की। उदयन पुलिस को गुमराह करने लगा। पुलिस अधिकारियों को शक हुआ और उन्होंने सख्ती से उदयन से पूछताछ की। इस पर वो टूट गया। पूछताछ में उसने जो खुलासा किया वो जानने के बाद पुलिस वाले भी दंग रह गए।…..

सात साल पहले मां-बाप की हत्या कर चुका था उदयन उदयन ने बताया कि वह 2010 में ही मां इंद्राणी और पिता बीके दास की गला घोंटकर हत्या कर चुका है। पुलिस ने पूछा कि शव कहां है? तो उसने बताया कि रायपुर वाले मकान के गार्डन में उन्हें दफना दिया है। भोपाल पुलिस ने ये सूचना रायपुर पुलिस को दी और उदयन को लेकर पुलिस रायपुर पहुंची।
रायपुर पहुंचने के बाद पुलिस उदयन को सीधे उसके मकान पर ले गई जहां उसने इशारे से बताया कि माता-पिता को उसने कहां दफनाया था। दरअसल, जहां माता पिता को दफनाया था वहां उसने एक निशान भी लगा दिया था। इसके बाद वह मकान बेचकर भोपाल आ गया था।

उदयन पुलिस वालों को वह जगह बताता हुआ जहां उसने माता-पिता के शवों को दफनाया था।
पढ़ाई के लिए डांटने पर माता-पिता को मार डाला उदयन की बताई जगह पर पुलिस ने खुदाई की। वहां उसे दो कंकाल मिले। कंकाल के सिर पर जूट के बोरे और कपड़ा बंधा हुआ था। उदयन ने बताया कि शवों को दफनाने से पहले उसने ऐसा किया था, ताकि थोड़ी भी सांस चल रही हो तो वह बंद हो जाए।
उदयन ने पुलिस को बताया कि 2010 अगस्त का महीना था। एक रात बारिश हो रही थी। पढ़ाई को लेकर पिता वीरेंद्र दास ने उसे डांटा। इससे वह नाराज हो गया। उसने पहले पिता वीरेंद्र दास को गला दबाकर मारा। बाद में मां इंद्राणी दास का भी गला दबा दिया। दोनों के शव को कमरे में ले गया। रातभर शव के पास बैठा रहा।
सुबह सेप्टिक टैंक खोदने के नाम पर मजदूर बुलाया। मुकेश यादव नाम के मजदूर ने गार्डन में गड्ढा खोदा। देर रात उदयन ने वीरेंद्र और इंद्राणी के शव को गड्ढे में दफना दिया। कुछ दिन बाद परिचित संदीप श्रीवास्तव से संपर्क कर मकान बेचने के लिए कहा। सुरेश दुआ के नाम से पावर ऑफ अटार्नी बनाई गई।
2013 में वकील हरीश पांडेय को 21 लाख में मकान बेचकर भोपाल आ गया। रिश्तेदारों को बताता था कि माता-पिता अमेरिका में शिफ्ट हो गए हैं।

गार्डन की खुदाई में पुलिस को हड्डियां, सोने के कंगन और कई चीजें मिलीं।
सात साल तक मां की पेंशन ली उदयन ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर 7 साल तक मां के नाम की पेंशन लेता रहा। मां इंद्राणी को पेंशन के रूप में 28 हजार रु. महीना मिलता था। उदयन ये पैसा निकालने के लिए चेकबुक का इस्तेमाल करता था। इस चेकबुक पर मां के फर्जी हस्ताक्षर करता था। उसने मां के नाम की एफडी तुड़वाकर वो पैसा भी अपने अकाउंट में जमा करवा लिया था।
पिता के पैसे को भी निकालने के लिए झूठ बोला उदयन ने बताया कि सुंदरनगर की प्रापर्टी बेचने और पैसे लेने के बाद उसने 2014 में पिता के पैसे को भी निकालने का प्रयास किया था। यह पैसे रायपुर के पंजाब नेशनल बैंक की एक ब्रांच में थे। इसके लिए वह पहले बैंक गया और अफसरों को बताया कि पिता अमेरिका चले गए हैं।
उनकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए डाक्टरों ने सफर से मना किया है। पैसे निकालने के लिए वे भारत नहीं आ सकते, इसलिए उसे लॉकर और एफडी के पैसे दिए जाएं। तब बैंक वालों ने कह दिया था कि वीरेंद्र दास के आए बगैर इनमें से कोई काम नहीं हो पाएगा।
पिता की आवाज में बैंक को फोन किया, अथॉरिटी देने को कहा कुछ महीने बाद उदयन ने वीरेंद्र दास बनकर बैंक में फोन किया और मैनेजर से पिता की आवाज में बात की। उसने मैनेजर से कहा कि वह अमेरिका में हैं और नहीं आ सकते। इसलिए बेटे उदयन दास को भेज रहे हैं। वह बैंक आएगा, तब उसे एफडी की रकम दे दी जाए।
उसने यह भी कहा कि लॉकर की एक चाबी अमेरिका में उन लोगों के पास है। इसलिए दूसरी चाबी उदयन को दी जाए ताकि वह लॉकर खोलकर उसमें रखी चीजें और पैसे निकाल सके। पिता की आवाज में उदयन ने ये भी कहा कि चाहें तो वे अमेरिका से उदयन के नाम अथारिटी मेल कर देंगे।
इसके बाद भी मैनेजर नहीं माना और इस बात अड़ गया कि जब तक वे खुद नहीं आएंगे, न एफडी तोड़ी जाएगी और न ही लॉकर खुलेगा।

साल 2020 में हुई उम्र कैद की सजा पुलिस ने आकांक्षा की हत्या के मामले में जांच के बाद अप्रैल 2017 में कोर्ट में चालान पेश किया। उदयन ने हत्या भोपाल और रायपुर में की थी। आकांक्षा की गुमशुदगी का केस बांकुरा में दर्ज हुआ था इसलिए बांकुरा की फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस की सुनवाई हुई। मामले में उदयन को फांसी की सजा देने की मांग की गई।
अगस्त 2020 में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। 30 वर्षीय उदयन दास को दोषी माना और उम्र कैद की सजा सुनाई। हत्या के लिए 20 हजार रुपए का जुर्माना और उम्र कैद की सजा के साथ सबूतों से छेड़छाड़ के लिए 2 हजार रुपए का जुर्माना और दो साल की कैद की सजा अलग से सुनाई गई।
हत्या का उसे न तो कोई मलाल था और न ही कोई पछतावा था। तब मीडिया से बात करते हुए उदयन ने कहा था कि -“मुझे कोई पछतावा नहीं है और मैं निश्चित रूप से उच्च न्यायालय जाऊंगा।” वहीं साल 2023 में रायपुर कोर्ट ने माता-पिता की हत्या के मामले में उदयन को उम्र कैद की सजा सुनाई।

पार्ट-1 भी पढ़िए
प्रेमिका की हत्या कर घर में दफनाया, ऊपर बनाया चबूतरा

तारीख- 2 फरवरी 2017। जगह- भोपाल के साकेत नगर का मकान नंबर MIG-62। दोपहर के करीब 12 बज रहे थे। मकान के बाहर मीडियाकर्मियों का जमावड़ा था। लोगों की भीड़ भी बढ़ती जा रही थी। हर कोई ये जानने की कोशिश कर रहा था कि आखिर मकान के भीतर हो क्या रहा है? पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें
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