कभी 70 रुपये रोज थी दिहाड़ी मजदूरी, अब हर साल 60 लाख कमाती हैं संगीता, खेती को कैसे बनाया बड़ा बिजनेस

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Success Story : हमारे देश में जहां खेती को सिर्फ गुजारा चलाने का काम माना जाता है, उस दौर में झारखंड की एक महिला ने खेती को 60 लाख रुपये का बिजनेस बना दिया है. वह भी बहुत ही सीमित संसाधन से इसकी शुरुआत करके यह …और पढ़ें
झारखंड की संगीता देवी ने खेती से लाखों रुपये का बिजनेस खड़ा कर दिया है.
हाइलाइट्स
- संगीता देवी ने खेती से 60 लाख का बिजनेस खड़ा किया.
- पहले 70 रुपये रोज की दिहाड़ी मजदूरी करती थीं.
- नई तकनीक से सालभर में 3 फसलें उगाती हैं.
नई दिल्ली. भारत कृषि प्रधान देश है, आधुनिकता और कॉरपोरेट की अंधी दौड़ में यह बात सिर्फ किताबों तक सीमित रह गई है. लेकिन, झारखंड की संगीता देवी ने इस परिभाषा को एक बार फिर किताबों से निकालकर हकीकत में बदल दिया है. एक समय था जब संगीता दिन के 70 रुपये की दिहाड़ी मजदूरी करतीं थी, आज उनका बिजनेस सालाना 60 लाख रुपये का टर्नओवर करता है.
कमाल की बात ये है कि संगीता ने एक ऐसे पेशे में हाथ डाला, जिसे खासकर मर्दों का पेशा माना जाता है. उन्होंने यह 60 लाख रुपये का टर्नओवर खेती से तैयार किया है. सुनकर आपको भी अचरज हुआ होगा, लेकिन यह बिलकुल सच है कि संगीता ने अपने पति की मदद से लीज पर जमीन पर लेकर खेती का काम शुरू किया और सालाना 50 से 60 लाख रुपये का बिजनेस करती हैं. उन्होंने यह सफर कैसे तय किया, इसके बारे में जानने से पहले यह समझते हैं कि इसका आइडिया उन्हें कहां से मिला.
दिहाड़ी मजदूरी से नहीं भरता था पेट
झारखंड की राजधानी रांची के ओरमांझी सीडी ब्लॉक स्थित ओरमांझी गांव की रहने वाली संगीता देवी कुछ साल पहले तक 70 रुपये रोज की दिहाड़ी मजदूरी करती थीं. इन पैसों से न तो परिवार का खर्चा पूरा होता था और न ही उनके बच्चों के सपनों की सड़क बनाई जा सकती थी. लिहाजा उन्होंने दिहाड़ी मजदूरी का काम छोड़ने का फैसला कर लिया.
आधे एकड़ खेत से हुई शुरुआत
संगीता ने दिहाड़ी मजदूरी का काम छोड़कर 14 साल पहले अपने पति के साथ फार्मिंग का काम शुरू किया. इसके लिए आधा एकड़ जमीन किराये पर ली और फार्मिंग शुरू कर दी. उनके सामने सबसे बड़ी समस्या पानी की थी, क्योंकि जिस इलाके में वह रहती हैं वहां सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं थी. लिहाजा फार्मिंग शुरू करने से पहले संगीता ने ड्रिप सिंचाई और पॉलीहाउस फार्मिंग की तकनीक सीखी और तब काम शुरू किया.
सालभर में 3 फसल
संगीता का कहना है कि नई तकनीक से खेती शुरू करके उन्हें काफी मुनाफा हुआ. अब उनकी लागत भी कम आती है और कमाई ज्यादा होती है. एक साल में खेत से 3 फसल निकालती हैं. गर्मियों में पहले तरबूज की फसल उगाई जाती है और फिर अगस्त के बाद मटर की खेती होती है. इसे निकालने के बाद सर्दियों में सब्ज्यिों की फसल उगाई जाती है. इस तरह, सालभर में 3 तरह की फसल निकाल ली जाती है.
कितनी लागत-कितना मुनाफा
संगीता का कहना है कि उन्होंने आधे एकड़ से जो शुरुआत की थी आज 70 एकड़ के बड़े बिजनेस में तब्दील हो चुका है. उनकी फसल बोकारो, रांची और रिलायंस फ्रेश में बिकती है. एक साल में 3 फसल निकालने में उनके करीब 15 से 20 लाख रुपये खर्च हो जाते हैं, जबकि 50 से 60 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि नई तकनीक के इस्तेमाल से उनकी लागत कम होने के साथ ही मुनाफा भी बढ़ जाता है.
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