Father removed from police job on the basis of anonymous letter | गुमनाम पत्र पर पिता को पुलिस की नौकरी से हटाया: वकील बनकर बेटे ने हाईकोर्ट में लड़ा केस, 11 साल बाद मिली नौकरी; कहा-पिता के लिए वकालत की – Jabalpur News

मध्यप्रदेश में अपने पिता को इंसाफ और फिर उनकी खोई हुई वापस नौकरी दिलाने के लिए एक युवक ने लाॅ की पढ़ाई की और फिर अपने पिता के लिए हाईकोर्ट में बहस करते हुए ससम्मान उन्हें बरी करवाया। मामला अनूपपुर जिले का है, जहां पर आय से अधिक संपत्ति के मामले पुलिस
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पिता के लिए बेटा बन गया वकील
अनूपपुर जिले के तत्कालीन एसपी की कार्रवाई को लेकर मिथलेश पांडे ने रेंज के डीआईजी और आईजी से भी गुहार लगाई, पर राहत कहीं से नहीं मिली। थक-हारकर मिथलेश पांडे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए 2013 में याचिका दायर की, उसके बाद से ही लगातार उनका केस चल रहा था। पिता के साथ पुलिस विभाग मे पदस्थ अधिकारियों की ज्यादती को उनका बेटा अभिषेक पांडे भी देख और समझ रहा था। जिसके बाद उसने तय किया कि पिता के हक की लड़ाई लड़ने के लिए वह वकालत करेगा। 2021 में अभिषेक पांडे ने भोपाल से बीए, एलएलबी की पढ़ाई की, इस बीच हाईकोर्ट के वकील महेंद्र पटेरिया के साथ जुड़ गया।
गुमनाम शिकायत पर हुई थी कार्रवाई
पुलिस विभाग मे पदस्थ मिथलेश पांडे पर जिस दौरान कार्रवाई हुई थी, तब वह पुलिस लाइन में डयूटी कर रहे थे। उन पर आरोप था कि आय से अधिक संपत्ति उन्होंने अर्जित कर रखी है। यह शिकायत अनूपपुर एसपी को एक गुमनाम चिट्ठी के जरिए मिली थी। तत्कालीन एसपी ने सिर्फ 10 दिन में ही जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मिथलेश पांडे बयान के लिए समय पर उपस्थित नहीं हुए थे। सेवा से हटाए जाने के बाद मिथलेश पांडे ने डीआईजी और आईजी के समक्ष भी जाकर अपील की पर वहां पर भी राहत नहीं मिली।
11 साल बाद मिली नौकरी-आरोप निकले निराधार
आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर घिरे मिथलेश पांडे की 4 जनवरी को डीआईजी के समक्ष अपील लगाई गई थी, जिस पर उन्होंने एक वेतन वृद्धि रोकते हुए नौकरी ज्वाइन करने के निर्देश दिए गए। डीआईजी के आदेश को शहडोल रेंज के आईजी ने स्वतः संज्ञान लिया, और फिर ज्वाइनिंग रोक दी, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने आईजी के संवत संज्ञान के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर कोर्ट ने मिथलेश पांडे को स्टे दे दिया। जस्टिस संजय द्विवेदी की कोर्ट ने अनूपपुर पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को पुनः सेवा से बहाल किया जाए। 11 साल की लंबी लड़ाई के बाद बेटे ने अपने पिता को न्याय दिलाया और पांडे परिवार में एक बार फिर खुशियां लौट आईं।
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