Detail Review: जाकिर खान का ‘तथास्तु’, हंसाते-हंसाते आपको रुला देगा

हिंदुस्तान के सबसे चहीते स्टैंड अप कॉमेडियन के तौर पर आप सोचना शुरू करते हैं तो राजू श्रीवास्तव के बाद सीधे ज़ाकिर खान पर आ कर रुकते हैं. दोनों की स्टैंड अप कॉमेडी की सबसे बड़ी ताक़त है सच्चाई. जब तक राजू श्रीवास्तव थे, वे अपने एक्ट में गढ़े हुए किरदारों को लेकर किस्सों के ज़रिये हास्य पैदा करते थे, वहीं ज़ाकिर का सारा कुछ खुद पे बीता हुआ है. उसका हर एक एक्ट, हर एक बात, हर एक अदा… ज़ाकिर की अपनी है. इंदौर शहर में एक महान सारंगी वादक उस्ताद मोईनुद्दीन खान साहब का ये पोता, अपने ही दादा से क्यों ज़िंदगीभर जंग करता रहा, ये मजमून है उसके नए स्टैंड अप स्पेशल ‘तथास्तु’ का जो उन्होंने अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज़ किया है.
अपने दादा उस्ताद मोईनुद्दीन खान साहब की अजीबोगरीब हरकतों से तंग आ कर ज़ाकिर ने परिवार की ट्रेडिशन तोड़ने का निर्णय लिया और सारंगी वादक बनने के बजाये, रेडियो में काम करने का फैसला कर लिया. घरवालों ने दिल्ली में एक कोर्स भी करवा दिया. किस्मत इतनी लाजवाब की कई महीनों तक बिना नौकरी के फाकाकशी करते हुए ज़ाकिर ने काम ढूंढना जारी रखा. जैसे तैसे स्टैंड अप का कुछ काम मिलना शुरू हुआ. फिर एक रेडियो स्टेशन में नौकरी भी लग गयी मगर रेडियो जॉकी की नहीं कॉपीराइटर की. एक बार मुंबई में एआईबी ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया और जितना ज़ाकिर पूरे साल में कमाते थे उतने रुपये महीने में देने का वादा कर के ज़ाकिर को कॉमेडी स्क्रिप्ट लिखने के रख लिया. यहां से शुरू हुआ उनके ज़ाकिर खान, देश का सबसे पसंदीदा स्टैंड अप कॉमेडियन बनने का सिलसिला.
ज़ाकिर का ये कॉमेडी स्पेशल कई मायनों में लीक से हटकर है. तीन हिस्सों (स्वर्ग, निर्वासन, घर वापसी) में बंटा ज़ाकिर का ये शो, ज़ाकिर की ज़िंदगी में से नायब मोती चुन चुन कर लाया है. ये वो माला है जिसको गले में भी पहना गया है और तस्बीह के लिए भी इस्तेमाल किया गया है. ज़ाकिर बड़े भोलेपन से और एकदम ठेठ अंदाज़ में अपने स्ट्रगल की कहानियां सुनाते हैं. बड़ी नज़ाकत से ज़ाकिर अपने इन किस्सों को अपने अब्बाजी यानि दादाजी यानि उस्ताद मोईनुद्दीन खान साहब सारंगीवाले के धागे में पिरोये जाते हैं. कैसे उन्होंने घर पर विद्रोही होने का खिताब पाया और कैसे उनके अब्बाजी उन्हीं के बारे में अफवाहें फैलाते रहते थे. कैसे एक रियलिटी शो में जज बने ज़ाकिर और उनके साथी जजेस को को बड़े ही कॉर्पोरेट तरीके से बाहर का रास्ता दिखाया गया था और कैसे लोग मातम में भी हंस सकते हैं. ज़ाकिर अपने ही अंदाज़ में सब बयां करते जाते हैं और दर्शक उनके साथ हंसते हंसते रोने लगते हैं.
तथास्तु का फॉर्मेट थोड़ा नया है, दर्शकों को अलग तरीके से बिठाया गया है. लगता है दिवाली के आसपास इसकी शूटिंग की गयी थी क्योंकि दर्शकों ने बड़े ही फेस्टिवल फील वाले कपडे पहले हुए हैं. ज़ाकिर का तथास्तु, खुद ज़ाकिर का मज़ाक बनाता है और ज़ाकिर का हाथ पकड़ का रदर्शक भी उनके साथ उन्हीं पर हंस रहे होते हैं. इस बार ज़ाकिर कुछ साथी कॉमेडियंस की स्टाइल कॉपी करते हुए नज़र आये. अनजाने में कॉपी हो जाती है. पूरे देश घंटे ज़ाकिर अकेले ही सबको बांधे रहते हैं. बीच बीच में अपनी कुछ खास अदाएं दिखा कर भी ज़ाकिर सबको जोड़ के रखते हैं. उनके इस स्पेशल में एन्ड क्रेडिट में एक गाना भी है – खोया है दिल मेरा कहीं पे. बहुत ही बढ़िया गाना है और इसका अनप्लग्ड वर्शन जल्द ही पॉपुलर हो सकता है.
ज़ाकिर का तथास्तु तुरंत देख डालिये. ऐसी कॉमेडी सिर्फ ज़ाकिर ही करते हैं दो चार जगह गालियां हिन् लेकिन वो भी इतने सहज अंदाज़ में आ जाती हैं कि झटका नहीं लगता. तथास्तु, ज़ाकिर के बेस्ट कामों में से एक माना जाएगा और आगे आने वाले समय में इस कॉन्टेंट की रिपीट वैल्यू बढ़ती ही जायेगी.
डिटेल्ड रेटिंग
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Tags: Bollywood films, Film review
FIRST PUBLISHED : December 18, 2022, 19:13 IST
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