ऑटो बेचा, सपने नहीं! ऑटो चलाते-चलाते बना अधिकारी, इस युवा की कहानी आपको प्रेरित कर देगी!

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Success Story: गरीब किसान के बेटे परमेश ने ऑटो चलाकर पढ़ाई की और तेलंगाना ग्रुप 2 परीक्षा में शानदार सफलता पाई. गांव वालों के तानों को नजरअंदाज कर उन्होंने मेहनत जारी रखी और रेलवे की नौकरी के साथ तैयारी कर सरका…और पढ़ें
मेहनत से सफलता की कहानी
तेलंगाना के नलगोंडा जिले के केथापल्ली मंडल के गुडीवाड़ा गांव के रहने वाले परमेश ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है. एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले परमेश को अपनी पढ़ाई के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके माता-पिता ने एक एकड़ जमीन पर खेती कर किसी तरह उन्हें पढ़ाया. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे सकें. साल 2013 में जब उन्होंने अपनी डिग्री के पहले वर्ष में कदम रखा, तब उन्होंने ऑटो चलाने का फैसला किया.
ऑटो चलाने पर लोगों ने उड़ाया मजाक
परमेश के लिए यह आसान नहीं था. दिन में वह कॉलेज जाते और बाकी समय ऑटो चलाकर अपने परिवार की मदद करते. गांव के लोग उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की. उनका मानना था कि वह कोई अपराध नहीं कर रहे, बल्कि अपनी मेहनत से अपने सपने पूरे करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, कभी-कभी यह ताने उन्हें परेशान कर देते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
डिग्री के बाद नौकरी की तलाश और तैयारी
अपनी डिग्री पूरी करने के बाद परमेश ने अपनी ऑटो बेच दी और सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर दी. शुरुआत में उन्हें रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी मिली और साल 2018 से वह रेलवे में काम करने लगे. नौकरी के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बड़ी परीक्षाओं की तैयारी करते रहे. उनकी मेहनत आखिरकार रंग लाई और हाल ही में घोषित ग्रुप 2 और ग्रुप 3 परीक्षाओं के नतीजों में उन्होंने शानदार सफलता हासिल की.
सफलता की बड़ी छलांग
परमेश ने ग्रुप 2 परीक्षा में पूरे राज्य में 759वीं रैंक हासिल की, एससी वर्ग में 35वीं रैंक और जोनल स्तर पर 8वीं रैंक प्राप्त की. यह सफलता उनके कठिन परिश्रम और अनुशासन का परिणाम है. उन्होंने बताया कि वह किसी भी विषय को गहराई से समझने के लिए एक ही किताब को बार-बार पढ़ते थे और महत्वपूर्ण हिस्सों का अधिक अभ्यास करते थे. उनका मानना है कि कई छात्र हर नई किताब खरीदकर पढ़ने लगते हैं, लेकिन इससे विषय की गहराई नहीं मिलती.
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