महिला ने शुरू किया यह काम तो पहले लोगों ने उड़ाया मजाक, आज तरक्की देख हैं चकित, दूसरों को दे रही रोजगार

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Success Story: अमेठी की सुमित्रा देवी ने ममता स्वयं सहायता समूह से जुड़कर स्लीपर बनाने का व्यवसाय शुरू किया और तगड़ा मुनाफा कमाया. अब वे अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं. उन्होंने बताया कि जब वह समूह में श…और पढ़ें
सुमित्रा.
हाइलाइट्स
- सुमित्रा देवी ने स्लीपर बनाने का व्यवसाय शुरू किया.
- पहले मजाक उड़ाया, अब सुमित्रा की तरक्की से लोग चकित हैं.
- सुमित्रा अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं.
आदित्य कृष्णा/ अमेठी: अमेठी में स्वयं सहायता समूह महिलाओं की तकदीर और तस्वीर को बदल रहा है और उन्हें रोजगार की नई दिशा दे रहा है. स्वयं सहायता समूह में जुड़कर ही अमेठी की एक मेहनती महिला ने अपनी किस्मत को चमकाया है. महिला आज खुद के रोजगार सृजन के साथ अन्य में बेरोजगार महिलाओं को रोजगार दे रही है और तगड़ा मुनाफा कमा रही है. कम लागत में अच्छा व्यवसाय शुरू कर घर का काम निपटाने के साथ वह रोजगार से भी जुड़ी हुई है.
हम जिस मेहनती और संघर्षरत महिला की बात कर रहे हैं उनका नाम है सुमित्रा देवी. जी हां सुमित्रा देवी ममता स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं. इस स्वयं सहायता समूह के जरिए वे स्लीपर बनाने का काम करती हैं. फैंसी और घर के उपयोग होने वाले स्लीपर वह तैयार कर उसकी बिक्री कर देती हैं. आपको बता दें कि उन्हें स्वयं सहायता समूह की तरफ से स्लीपर बनाने का उपकरण यानी मशीन भी दी गई है, जिससे वे मुनाफा कमा रही हैं.
कम लागत में होता है ज्यादा मुनाफा
स्लीपर बनाने का काम से सुमित्रा को काफी मुनाफा को हो रहा है. इसमें 3 से 4 हजार की लागत लगती है. तो उन्हें 10 से 12 हजार का मुनाफा समूह के जरिए होता है. वह अलग-अलग डिजाइन के चप्पल तैयार करती हैं और उसकी बिक्री गांव में करने के साथ-साथ दुकानों पर की जाती है. इसके अलावा समूह द्वारा लगने वाली स्वालंबन प्रदर्शनी में भी उनके स्टाल लगते हैं. जहां पर उनके चप्पल की बिक्री होती है और उससे वह मुनाफा कमाकर अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं. सुमित्रा के समूह में करीब 10 महिलाएं जुड़ी हैं और सभी को रोजगार मिला है.
पहले लोगों ने उड़ाया मजाक समूह में हो रहा फायदा
सुमित्रा ने लोकल 18 से खास बातचीत में बताया कि जब वह समूह में शुरू-शुरू में जुड़ी तो पहले लोगों ने उनका खूब मजाक उड़ाया, उनका अपमान किया, लेकिन इन सब बातों को नजर अंदाज कर सुमित्रा समूह में मेहनत करने लगी और फिर उन्हें समूह की तरफ से स्लीपर बनाने की मशीन उपलब्ध कराई गई. जिसकी वजह से वह महिलाओं को इकट्ठा कर स्लीपर बनाने का काम करती हैं. उन्होंने कहा कि समूह में जुड़कर उन्हें फायदा हो रहा है और उनकी आजीविका अच्छे से चल रही है. परिवार का बेहतर भरण पोषण हो रहा है और उन्हें फायदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि अन्य महिलाओं को भी समूह में जोड़कर फायदा कमाना चाहिए. समूह में अधिक फायदा है.
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