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Earthquake News Today: भूकंप के कहर में नर्क बना म्यांमार,सैटेलाइट तस्वीरों में दिखा मौत का तांडव

Myanmar Earthquake News: एक भयानक रात, जब म्यांमार की धरती 7.7 तीव्रता के भूकंप से कांपी. पहले से ही गृहयुद्ध से त्रस्त इस देश में तबाही का मंजर नर्क से भी बदतर दिखा. प्लैनेट लैब्स और मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरों ने विनाश की वो भयानक तस्वीरें पेश की है जिन्हें देखकर रूह कांप उठे.

इन तस्वीरों में म्यांमार के केंद्रीय हिस्से में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को हुए भारी नुकसान की साफ झलक मिलती है. नेपीडॉ में शहर का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो कभी व्यस्त और सक्रिय था, अब मलबे का ढेर बन चुका है. मांडले में घनी आबादी वाले घरों के पूरे ब्लॉक राख और मलबे में तब्दील हो चुके हैं, केवल ग्रिड जैसी सड़कें बची हैं जो कभी वहां की जीवन रेखा थीं.

इन तस्वीरों में म्यांमार के केंद्रीय हिस्से में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को हुए भारी नुकसान की साफ झलक मिलती है. (फोटो AFP)

खंडर बना शहर
उत्तर में, इरावदी नदी पर स्थित इनवा ब्रिज, जो मांडले के पास एक महत्वपूर्ण मार्ग था, अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, इसके ट्रस नीचे कीचड़ भरे पानी में गिर चुके हैं. सगाइंग के पास आए इस भूकंप के कुछ ही मिनट बाद, एक और 6.7 तीव्रता का झटका महसूस किया गया. म्यांमार की सैन्य सरकार के अनुसार, इस भूकंप ने 1,600 से अधिक लोगों की जान ले ली और पड़ोसी थाईलैंड में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई है. संचार व्यवस्था खराब होने और दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने में कठिनाई के कारण वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है.

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मांडले में जो 1.7 मिलियन से अधिक लोगों का शहर है, निवासी अपने नंगे हाथों से मलबे को छान रहे हैं. बचाव प्रयासों को क्षेत्र के चल रहे संघर्ष ने और भी जटिल बना दिया है. 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में गृहयुद्ध चल रहा है, जिसने बड़े पैमाने पर विरोध और सशस्त्र प्रतिरोध को जन्म दिया.

मांडले में जो 1.7 मिलियन से अधिक लोगों का शहर है, निवासी अपने नंगे हाथों से मलबे को छान रहे हैं. (फोटो AFP)

दो सप्ताह के संघर्ष विराम की घोषणा
विपक्षी राष्ट्रीय एकता सरकार जो देश के प्रतिरोध बलों के साथ गठबंधन में है, ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में दो सप्ताह के संघर्ष विराम की घोषणा की है ताकि सहायता और बचाव कार्य जारी रह सकें. लेकिन खबरें मिल रही हैं कि सेना ने सभी क्षेत्रों में अपने अभियान नहीं रोके हैं, जिससे मानवीय राहत में बाधा आने की आशंका है.

सैन्य सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहायता का अनुरोध किया गया है. जो ऐतिहासिक रूप से विदेशी सहायता को अस्वीकार करती रही है. यह संकट की गंभीरता को दर्शाता है. भारत, चीन और थाईलैंड सहित देशों से चिकित्सा आपूर्ति, भोजन और बचाव उपकरणों की खेपें पहुंचनी शुरू हो गई हैं, जिन्होंने बचाव मिशनों में सहायता के लिए सैन्य कर्मियों और खोजी कुत्तों को भेजा है.

संयुक्त राष्ट्र की बड़ी चेतावनी
फिर भी, जमीन पर जरूरतें वर्तमान राहत प्रयासों से कहीं अधिक हैं. संयुक्त राष्ट्र ने चिकित्सा उपकरण, साफ पानी और आश्रय की गंभीर कमी की चेतावनी दी है. सहायता समूहों का कहना है कि देश इस पैमाने की आपदा से निपटने के लिए तैयार नहीं है, खासकर जब युद्ध के कारण पहले से ही 3.5 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं. जैसे-जैसे आफ्टरशॉक्स इमारतों को हिलाते रहते हैं और लोगों की नसें झकझोरते रहते हैं, मलबे के नीचे फंसे लोगों का समय तेजी से खत्म हो रहा है.


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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