वक्फ कानून हमारे मजहब की रीढ़, किसी कीमत पर नहीं मानेंगे! फिर नीतीश-नायडू के आगे क्यों गिड़गिड़ा रहे मौलाना रहमानी? – waqf amendment bill why aimplb president khalid saifullah rahmani beg before nitish kumar chandrababu naidu

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Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार विमर्श का दौर अब समाप्त हो चुका है. सरकार इस बिल को संसद में पेश करने की तैयारियों में जुटी है. दूसरी तरफ विपक्षी दलों के साथ ही मुस्लिम नेता और मौलाना ताबड़तोड…और पढ़ें
वक्फ संशोधन बिल को संसद में पेश की करने की तैयारी के बीच मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्ला रहमानी ने बड़ी बात कही है. (फोटो: पीटीआई/फाइल)
हाइलाइट्स
- नीतीश-नायडू के आगे क्यों गिड़गिड़ा रहे मौलाना रहमानी?
- खालिद सैफुल्ला रहमानी की ओर से इसपर बड़ा बयान दिया गया है
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष हैं सैफुल्ला रहमानी
विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश). वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में पेश करने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. व्यापक जनमानस से जुड़े होने के चलते विचार-विमर्श के लिए इसे संसदीय कमेटी के पास भी भेजा गया था. सभी स्टेकहोल्डर के साथ बातचीत के बाद अब इसे पार्लियामेंट में पेश करने की तैयारी शुरू हो चुकी है. इस बीच विपक्षी दलों के नेताओं के साथ ही अन्य मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं की तरफ से बयानबाजी का दौर तेज हो गया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अध्यक्ष खालिद सैफुल्ला रहमानी की ओर से बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वक्फ हमारे मजहब की रीढ़ है और इसे (वक्फ बोर्ड में संशोधन) किसी कीमत पर नहीं मानेंगे. मौलाना रहमानी ने इसके साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के लिए गिरगिराने भी लगे.
मौलाना रहमानी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष हैं, लिहाजा उनके अपने बयान का अपना अलग महत्व है. उन्होंने इससे पहले भी वक्फ संशोधन विधेयक पर अपनी बात सामने रख चुके हैं, लेकिन इस बार उन्होंने बड़े ही तल्ख अंदाज में अपनी बात सामने रखी है. AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना रहमानी ने कहा, ‘यह (कानून) हमारे धर्म और समाज की रीढ़ है. हम इस विधेयक को कभी स्वीकार नहीं करेंगे…मैं नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से अनुरोध करता हूं कि वे इस विधेयक से अपना समर्थन वापस लें और अपने धर्मनिरपेक्ष चेहरे पर दाग न लगाएं.’ बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए का हिस्सा हैं.
44 संशोधन प्रस्ताव
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों, मुस्लिम संगठनों और सामाजिक समूहों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई चुकी हैं. विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में इस विधेयक के खिलाफ 44 संशोधन प्रस्तावित किए थे, जिन्हें अस्वीकार कर दिया गया. जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के अनुसार, बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को मंजूरी दी गई, जबकि विपक्ष के सभी सुझाव खारिज कर दिए गए. संसदीय समिति को इस विधेयक पर 1.2 करोड़ से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं हैं, जिनमें विभिन्न दृष्टिकोणों का समर्थन किया गया है. इनमें से 75,000 प्रतिक्रियाएं दस्तावेजों के साथ थीं, जिससे समिति को अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ी.
मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और अन्य मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक का विरोध किया है. AIMPLB ने 26 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और स्वायत्तता पर चिंता जताई. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वक्फ की हिफाजत उनके लिए नमाज और रोजा जितनी ही महत्वपूर्ण है. वहीं, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को समाज के सभी वर्गों के उत्थान और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है.
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