प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेज के संचालन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार की तरफ से नर्सिंग कॉलेज की मान्यता व संबद्धता संबंधित ओरिजनल फाइल पेश की गई। जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया है कि 15 दिनों में ओरिजिनल फाइल का परीक्षण कर जिम्मेदार अधिकारियों के नाम सहित तथ्यात्मक रिपोर्ट न्यायालय में पेश करें।
गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित नर्सिंग काउंसिल द्वारा सभी अनसुटेबल नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता और संबद्धता से जुड़ी मूल फाइलें पेश करने आदेश जारी किए थे। याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया था कि तत्कालीन अधिकारियों द्वारा मान्यता नियम 2018 में तीन बार संशोधन किए गए थे। इसके अपात्र कॉलेजों को निरंतर लाभ पहुंचाया गया था। हाईकोर्ट ने नियमों में किए गए सभी संशोधनों की ओरिजिनल फाइल पेश करने के निर्देश जारी किए थे।
याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से मान्यता और संबद्धता संबंधित ओरिजिनल फाइल प्रस्तुत की गई। याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सीबीआई जांच के दौरान कॉलेजों ने छात्रों को प्रवेश देने से इंकार कर दिया था। सीबीआई की जांच में भी उन कॉलेजों में छात्रों का एडमिशन नहीं होना बताया गया था। ऐसे कॉलेजों ने बाद में बैक डेट पर एडमिशन दर्शाते हुए छात्रों के एनरोलमेंट नंबर के लिए आवेदन किया है। युगलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश को संशोधित करते हुए कहा है कि छात्रों के एनरोलमेंट सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर किए जाएं। इसके अलावा एक माह की अवधि में अनसुटेबल कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों का ट्रांसफर सुटेबल कॉलेज में किया जाए।