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वाराणसी की असि और वरुणा नदी के जीर्णोद्धार का मामला, इलाहाबाद HC ने सरकार से मांगा जवाब, 22 नवंबर को अगली सुनवाई

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को वाराणसी में गंगा नदी की सहायक असि और वरुणा नदियों को अतिक्रमण मुक्त और जीर्णोद्धार की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने असी और वरुणा नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने के अभियान का ब्यौरा भी मांगा है.

हाईकोर्ट ने वाराणसी विकास प्राधिकरण और नगर निगम वाराणसी को जनहित याचिका में पक्षकार बनाए जाने का भी आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि वीडीए और नगर निगम को भी आदेश की कॉपी उपलब्ध कराएं.

22 नवंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई

गौरतलब है कि इसी साल जनवरी माह में असि और वरुणा नदियों को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल हुई थी. जनहित याचिका में नदियों की पुनर्स्थापना और जीर्णोद्धार की मांग की गई है. राज्य सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने केस एनजीटी को सौंपने की मांग की. उन्होंने दलील दी कि गंगा प्रदूषण का केस अदालत पहले एनजीटी को भेज चुकी है. इस पर याची अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने आपत्ति करते हुए एनजीटी का ऑर्डर कोर्ट में पेश किया. उन्होंने कोर्ट में दलील दी की एनजीटी के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है. कोर्ट ने कहा स्थानीय मुद्दों पर अदालत सुनवाई कर सकती है.

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22 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने 16 फरवरी को हुई पिछली सुनवाई में महाधिवक्ता से सरकार से निर्देश प्राप्त कर जबाब मांगा था. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी), प्रधान पीठ, नई दिल्ली ने असि और वरुणा के जीर्णोद्धार व पुनर्स्थापन के लिए विस्तृत आदेश दिया है. जनहित याचिका में एनजीटी के आदेश का भी हवाला दिया गया है. यह जनहित याचिका नदियों का अस्तित्व बचाने के लिए संघर्षरत जयराम कुमार शरण की ओर से दाखिल की गई है.


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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