परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा पर लोकायुक्त की छापेमारी और उसके राजदार चेतन सिंह गौर की इनोवा से 54 किलोग्राम सोना और दस करोड़ से अधिक की नकदी आयकर विभाग द्वारा जब्त किए जाने के बाद ईडी ने कार्रवाई शुरू की थी। ईडी ने सौरभ शर्मा और उसके करीबियों की सौ करोड़ 36 लाख की संपत्ति को जब्त कर चुकी है। इस संबंध में बुधवार को ईडी ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर जानकारी शेयर की है।
ईडी ने 27 दिसंबर को सौरभ शर्मा और उसके राजदार चेतन सिंह गौर, शरद जायसवाल व अन्य करीबियों के भोपाल, जबलपुर ठिकानों पर छापा मारा था। ईडी सौरभ के ग्वालियर स्थित निवास पर भी कार्रवाई थी। इसके बाद ईडी ने 8.29 करोड़ रुपए के बैंक बैलेंस वाले बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था और 2.50 करोड़ रुपए की नकदी जब्त की गई थी। साथ ही साथ ही 14.20 लाख रुपए और 9.17 लाख रुपए की चांदी जब्त की गई है। बुधवार को ईडी ने बताया कि सौरभ शर्मा और उसके करीबियों की 92.07 करोड़ की चल और अचल संपत्ति कुर्क और जब्त की गई है। इस तरह ईडी अब तक सौरभ शर्मा मामले में 100.36 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति कुर्क या जब्त की है।
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19-20 दिसंबर की दरमियानी देर रात भोपाल के मेंडोरा स्थित एक फार्महाउस में लावारिस हालत में खड़ी इनोवा से 54 किलोग्राम सोना और करीब दस करोड़ से अधिक की जब्त की गई नकदी को भी सौरभ शर्मा की ही मानकर ईडी जांच कर रही है। हालांकि यह कार्रवाई आयकर विभाग ने की थी और आयकर अधिकारी इसकी स्वयं जांच कर रहे हैं, लेकिन ईडी ने इस संपत्ति को भी सौरभ की काली कमाई ही मानकर मामले की जांच कर रही है। लोकायुक्त, ईडी और आयकर विभाग की पूछताछ में सौरभ शर्मा, उसके राजदार चेतन सिंह गौर, शरद जायसवाल या उनके रिश्तेदार व करीबी किसी ने भी यह सोना और रकम को स्वीकार नहीं किया है, लेकिन सभी जांच एजेंसियां यही मानकर चल रही है कि इनोवा में मिला सोना और नकदी सौरभ शर्मा की ही है और उसके राजदार भी इसमें हिस्सेदार हो सकते हैं।
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ईडी ने कहा है कि परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा द्वारा अपने और रिश्तेदारों, सहयोगियों के नाम पर करोड़ों रुपए की संपत्ति जुटाई है। जांच के बाद सौरभ शर्मा और उसके स्वामित्व वाली कंपनियों, फर्मों और सोसायटी के नाम पर दर्ज 92.07 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया है। यह कार्रवाई ज्ञात स्रोतों से अधिक अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने पर धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत की गई है।