रूस में LGBT समुदाय के एक्टिविस्टों पर बड़ा खतरा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इनको चरमपंथी करार दिया जाना चाहिए

हाइलाइट्स
रूस के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजीबीटी कार्यकर्ताओं को चरमपंथी करार दिया जाना चाहिए.
रूस के समलैंगिक और ट्रांसजेंडर लोगों के प्रतिनिधियों को गिरफ्तारी का डर.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख की अनुचित कानूनों को तुरंत खत्म करने की अपील.
मॉस्को. रूस के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि एलजीबीटी कार्यकर्ताओं को चरमपंथी करार दिया जाना चाहिए. अब रूस के समलैंगिक और ट्रांसजेंडर (LGBT, Gay, Transgender) लोगों के प्रतिनिधियों को डर है कि इससे उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और मुकदमा चलाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि उन्होंने न्याय मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय एलजीबीटी सामाजिक आंदोलन पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध का समर्थन किया है. यह कदम रूस में यौन रुझान और लिंग पहचान की अभिव्यक्ति पर बढ़ते प्रतिबंधों के एक अभियान का हिस्सा है. जिसमें गैर-पारंपरिक यौन संबंधों को बढ़ावा देने और लिंग के कानूनी या मेडिकल बदलावों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने रूसी अधिकारियों से मानवाधिकार रक्षकों के काम पर अनुचित प्रतिबंध लगाने वाले या एलजीबीटी लोगों के खिलाफ भेदभाव करने वाले कानूनों को तुरंत खत्म करने का आग्रह किया. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लंबे समय से पतनशील पश्चिम के विपरीत पारंपरिक नैतिक मूल्यों के संरक्षक के रूप में रूस की छवि को बढ़ावा देने के उपायों पर जोर देते रहे हैं. अपने पिछले साल के एक भाषण में उन्होंने कहा था कि पश्चिम का मेरे विचार से दर्जनों लिंग और समलैंगिक परेड जैसे नए-नए चलन को अपनाने के लिए स्वागत है, लेकिन उन्हें अन्य देशों पर थोपने का कोई अधिकार नहीं है.
व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने अदालत के फैसले की घोषणा से पहले संवाददाताओं से कहा कि क्रेमलिन मामले की निगरानी नहीं कर रहा था और इस पर उनकी कोई टिप्पणी नहीं थी. अदालत को अपना फैसला सुनाने में कार्यवाही शुरू होने से लगभग पांच घंटे लग गए. सुनवाई मीडिया के लिए बंद थी, लेकिन पत्रकारों को फैसला सुनने की अनुमति दी गई. एलजीबीटी कार्यकर्ताओं ने न्याय मंत्रालय के रूख के बाद इस फैसले को निश्चित माना था. जिसमें कहा गया था रूस में एलजीबीटी आंदोलन की गतिविधियां एक तरह से चरमपंथी तौर-तरीकों को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं.
पुतिन से दुश्मनी का अंजाम मौत! यूक्रेन में खुफिया प्रमुख की पत्नी को दिया गया जहर, मचा हड़कंप
अदालत के बाहर एक एलजीबीटी कार्यकर्ता ने कहा कि फैसले ने आधिकारिक बयानों को खारिज कर दिया है कि रूस एलजीबीटी लोगों के खिलाफ भेदभाव नहीं करता है और उन्हें समान अधिकार प्रदान करता है. मॉस्को की सड़कों पर भी इस बारे में लोगों के विचार अलग-अलग थे. कुछ ने कहा कि समलैंगिक संबंध सामान्य नहीं हैं. रूस में पहले से ही 100 से अधिक समूहों को चरमपंथी के रूप में प्रतिबंधित किया गया है. प्रतिबंधित समूहों की पिछली सूचियों में धार्मिक आंदोलनों और विपक्षी नेता अलेक्सी नवलनी से जुड़े संगठनो शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शामदासानी ने कहा कि रूस में एलबीजीटी समुदाय की स्थिति बस बद से बदतर होती जा रही है. एलजीबीटी आंदोलन की अदालत की परिभाषा के बारे में स्पष्टता की कमी ने कानून को दुरुपयोग के लिए खुला छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि एलजीबीटी समुदाय के लिए इसका मतलब उनके मौलिक अधिकारों का और अधिक दमन है.
.
Tags: Russia, Russia News, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : December 1, 2023, 10:51 IST
Source link