Gondwana Party’s demonstration on Naxalite encounter | नक्सली एनकाउंटर पर गोंडवाना पार्टी का प्रदर्शन: कहा– पुलिस ने निर्दोष को बना दिया नक्सली, पत्नी बोली– पानी की बोतल लेकर घर से निकले थे – Mandla News

मंडला में 9 मार्च को हुए नक्सली एनकाउंटर के विरोध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने मंगलवार को प्रदर्शन किया। यहां मृतक हीरन सिंह की पत्नी विरसो बाई समेत अन्य परिजन और पार्टी के पदाधिकारी शामिल हुए।
.
इस मामले को कांग्रेस ने विधानसभा में भी उठाया था।
इस दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह, प्रदेश अध्यक्ष कमलेश तेकाम, राष्ट्रीय सचिव अमान सिंह पोर्ते और राधेश्याम काकोडिया समेत कई पदाधिकारी शामिल हुए। इस दौरान मृतक परिवार के लिए 5 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की।
मंडला में हुए एनकाउंटर के विरोध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने प्रदर्शन किया।
पुलिस ने नहीं बताई थी मृतक की पहचान
एनकाउंटर के दूसरे दिन 10 मार्च को पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि 9 मार्च को हॉक फोर्स और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस दौरान एक नक्सली मारा गया। दो को गिरफ्तार किया गया। तब पुलिस ने मृतक की पहचान नहीं बताई थी। बाद में उसकी पहचान ग्राम खटिया के लसरे टोला निवासी हीरन परते के तौर पर हुई।
पत्नी बोली – 50 लाख रुपए मुआवजा और नौकरी दी जाए
हीरन की पत्नी विरसो बाई ने बताया कि पति की दिमागी हालात ठीक नहीं थी। हीरन सिंह घर से पानी की बोतल लेकर निकले थे। 13 मार्च को पुलिस ने शव की बम्हनी बंजर अस्पताल में शिनाख्त के लिए बुलाया।
पुलिस ने उसे बताया है कि नक्सली-पुलिस मुठभेड़ के बीच पहुंच जाने से हीरन सिंह को गोली लगी है। मेरे पांच बच्चे हैं। उनके जीवन यापन के लिए 50 लाख रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए।

प्रदर्शन के दौरान हीरन की पत्नी विरसो बाई भी मौजूद रहीं।
विधानसभा में भी उठाया था मुद्दा
17 मार्च को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस ने एनकाउंटर की जांच का मामला उठाया। इसे लेकर सदन से वॉक आउट भी किया था।
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों ने मंडला में नक्सली एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए सदन से वॉक आउट भी किया था। मंडला विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि सरकार एनकाउंटर की जांच नहीं करा रही है। विधानसभा में अध्यक्ष ने भी मांग को अस्वीकार कर दिया। इस तानाशाही रवैये के विरोध में हमने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया है।
टिमरनी से कांग्रेस विधायक अभिजीत शाह ने कहा कि प्रदेश में आदिवासी सुरक्षित नहीं है। चाहे वह मंत्री या विधायक क्यों न हो।
उन्होंने कहा कि वहां के कलेक्टर और एसपी पर केस दर्ज होना चाहिए। ये शर्मिंदगी का विषय है कि पहले आदिवासी को नक्सली समझकर मार दिया जाता है। बाद में कहा जाता है कि वह नक्सली नहीं है।
वहीं, बीजेपी विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने कहा- स्पीकर ने साफ तौर पर कहा है कि प्रतिवेदन आ जाएगा, तो चर्चा कराएंगे। इसके बाद सरकार जवाब देगी। कांग्रेस मीडिया में छाने के लिए जबरदस्ती नाटक कर रही है।

17 मार्च को विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने यह मुद्दा विधानसभा में उठाया था।
सांसद का आरोप – सरकारी फायदे के लिए फर्जी एनकाउंटर
बालाघाट के पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने आरोप लगाया कि पुलिस आउट ऑफ टर्न प्रमोशन और सरकारी फायदे के लिए निर्दोष ग्रामीणों का फर्जी एनकाउंटर कर रही है।
उन्होंने कहा कि हीरन बैगा पांच बच्चों, पत्नी और वृद्ध माता-पिता का पालन-पोषण कर रहा था। वह झाड़ू बनाने के लिए जंगल से छींद इकट्ठा करने गया था, लेकिन पुलिस ने उसे नक्सली बताकर मार दिया।
पूर्व सांसद ने सरकार से सवाल किया कि यदि वह सच में नक्सली था, तो उसके गांव से महज दो किलोमीटर दूर स्थित खटिया पुलिस थाने को इसकी पहले से जानकारी क्यों नहीं थी?
Source link