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गरीबी से उठकर बनीं बिजनेसवुमन! 45 रुपये की थाली से संवार रही जिंदगी, महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी गुड़िया

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गुड़िया देवी ने सिराथू सीएचसी में कैंटीन चलाकर आर्थिक तंगी से उबरीं और अब हर महीने 10-12 हजार कमा रही हैं. उनकी पहल से अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिल रही है.

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कैंटीन संचालक गुड़िया देवी 

हाइलाइट्स

  • गुड़िया देवी ने सिराथू सीएचसी में कैंटीन शुरू की.
  • गुड़िया हर महीने 10-12 हजार कमा रही हैं.
  • गुड़िया अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही हैं.

कौशांबी: घर का खर्च चलाना और बच्चों की पढ़ाई के साथ गृहस्थी संभालना किसी चुनौती से कम नहीं होता. लेकिन कौशांबी जिले के सिराथू ब्लॉक के रघुनाथपुर गांव की रहने वाली गुड़िया देवी ने अपनी मेहनत और हिम्मत से यह साबित कर दिया कि सही प्रयासों से हर मुश्किल आसान हो सकती है.
गुड़िया देवी दो साल पहले आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं. एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली गुड़िया ने अपने हालात बदलने के लिए महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का फैसला किया. आज वे सिराथू सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में कैंटीन का संचालन कर रही हैं और मरीजों को मात्र 45 रुपए में पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा रही हैं. उनकी यह पहल न सिर्फ उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रही है, बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही है.

पति से मदद नहीं मिली, तो खुद उठाई जिम्मेदारी
गुड़िया देवी की शादी 10 साल पहले शैतानी लाल से हुई थी. लेकिन पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर कुछ नया करने का फैसला किया. इसी दौरान उन्होंने सीएचसी अधीक्षक से संपर्क किया और वहां एक कैंटीन शुरू करने की अनुमति ली. धीरे-धीरे उन्होंने न सिर्फ खुद को, बल्कि अपने जैसी अन्य जरूरतमंद महिलाओं को भी इस समूह से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया.

अब हर महीने 10-12 हजार की कमाई
गुड़िया देवी ने बताया कि वे पिछले दो साल से यह कैंटीन चला रही हैं. पहले आर्थिक स्थिति काफी खराब थी, लेकिन जब उनके गांव में आईसीआरपी टीम आई और समूह बनाने की बात हुई, तो वे तुरंत इससे जुड़ गईं. समूह के माध्यम से खाता खुलवाया और BMS अधिकारी से बातचीत की, जहां उनसे पूछा गया कि वे क्या काम कर सकती हैं. उन्होंने अपनी इच्छा जताई और इसके बाद सीएचसी सिराथू में उन्हें कैंटीन खोलने का अवसर मिल गया.
अब वे मरीजों को साफ-सुथरा और स्वादिष्ट खाना उपलब्ध करा रही हैं, जिससे उन्हें हर महीने लगभग 9 से 12 हजार रुपए की कमाई हो रही है. इस इनकम से वे अपने दो बेटों की पढ़ाई और घर का खर्च संभाल रही हैं.
गुड़िया देवी का मानना है कि अगर महिलाएं ठान लें, तो किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं. वे अपने जैसी कई और महिलाओं को भी आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

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गरीबी से उठकर बनीं बिजनेसवुमन! 45 रुपये की थाली से संवार रही जिंदगी


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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