पति की कमाई से नहीं चला घर, पांचवीं पास पत्नी ने उठाया हल और अब सालाना 40 लाख की कमाई

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Success Story: सीकर की संतोष खेदड़ ने बंजर भूमि पर खेती शुरू कर सालाना 40 लाख की कमाई की और कई राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय पुरस्कार जीते. उन्होंने अनार, सेब, नींबू आदि की बागवानी की.
उन्नत किसान संतोष खेदड़
हाइलाइट्स
- संतोष खेदड़ ने 5 बीघा जमीन पर खेती कर 40 लाख सालाना कमाए.
- उन्होंने अनार, सेब, नींबू आदि की बागवानी की.
- संतोष को कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार मिले.
राहुल मनोहर/सीकर. राजस्थान के सीकर जिले की आम गृहणी संतोष खेदड़ आज सफल किसान बनकर मिसाल पेश कर रही हैं. 10 साल पहले शुरू की गई उनकी खेती ने न सिर्फ उन्हें लाखों की कमाई दिलाई, बल्कि कृषि जगत में कई बड़े सम्मान भी दिलाए. साधारण दिखने वाली संतोष खेदड़ अब किसानों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं. लेकिन, यह सफर आसान नहीं था. 2008 में उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर बंजर भूमि पर खेती शुरू की. कड़ी मेहनत और आधुनिक तकनीक के उपयोग ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया. हाईटेक खेती में नवाचार के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं. संतोष ने बताया कि वे मात्र 5 बीघा जमीन पर खेती कर सालाना 40 लाख से अधिक की कमाई कर रही हैं.
आम इंसान से रोल मॉडल बनने की कहानी
झुंझुनूं की संतोष खेदड़ की शादी 1989 में सीकर जिले के बेरी गांव के रामकरण खेदड़ से हुई. संतोष ने केवल पांचवीं तक पढ़ाई की, लेकिन बचपन से ही खेती में रुचि रखती थीं. उन्होंने अपने पिता के साथ खेतों में काम करते हुए खेती के सभी गुर सीख लिए थे. महज 12 साल की उम्र में वे खेती-किसानी की बारीकियां समझने लगी थीं. शादी के बाद जब संतोष खेदड़ अपने ससुराल आईं, तब उनके पति रामकरण खेदड़ होमगार्ड की नौकरी करते थे और महीने में मात्र 3,000 रुपए कमाते थे, जो परिवार के खर्चों के लिए पर्याप्त नहीं थे. इस स्थिति को देखते हुए संतोष ने पति को खेती करने का सुझाव दिया. लेकिन, समस्या यह थी कि उनकी जमीन बंजर थी, न वहां ट्यूबवेल था और न ही बिजली का कनेक्शन. बावजूद इसके, दोनों ने हार नहीं मानी और बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने में जुट गए.
भैंस बेचकर और उधार लेकर शुरू की खेती
संतोष खेदड़ ने बताया कि उन्होंने पहली बार अपने खेत में अनार की खेती करने का फैसला किया. उस समय सिंदूरी अनार की बाजार में काफी मांग थी, जो महाराष्ट्र में तैयार किया जाता था. उन्होंने 5,500 रुपए खर्च कर 220 पौधे खरीदे, जिनकी कीमत तब प्रति पौधा 25 रुपये थी. पौधे लगाने और ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था करने के लिए 45,000 रुपए की जरूरत थी, लेकिन उनके पास इतनी पूंजी नहीं थी. उनके पास केवल एक भैंस थी, जिसे उन्होंने 25,000 रुपए में बेच दिया. बाकी 20,000 रुपए उन्होंने रिश्तेदारों से उधार लिए. इस तरह उन्होंने बागवानी खेती की शुरुआत की, जो आज लाखों की कमाई का जरिया बन चुकी है.
40 लाख रुपए सालाना कमाई
संतोष और रामकरण ने सिंदूरी अनार सहित हिमाचल प्रदेश के हरमन सेब, कागजी नींबू, अमरूद, आम, चीकू कालापती, थाई बेर, थाई बेर रेड, बिल्वपत्र, किन्नू, पपीता, मौसमी, ड्रैगन फ्रूट और नागपुरी संतरा की बागवानी और नर्सरी शुरू की, जो सफल रही. उन्नत तकनीकों के प्रयोग से वे सालाना 40 लाख रुपए से अधिक की कमाई कर रहे हैं.
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