मध्यप्रदेश

The boring had gone bad in the ashram before the incident | आश्रम में घटना के पहले खराब हुई थी बोरिंग: रहवासियों ने कहा करीब 15 दिनों तक टैंकरों से आता था पानी – Indore News

इंदौर के रामचंद्र नगर स्थित मानसिक दिव्यांग युग पुरुष धाम आश्रम में गुरुवार देर रात तक बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 60 पर पहुंच गई है। वहीं गुरुवार को 12 बच्चों के स्वस्थ में सुधार होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया है। इन बच्चों को जिला प्रशासन ने अपनी कस

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पूरी घटना के बाद यह बात भी सामने आई संस्था के परिसर का बोरिंग खराब होने से करीब दो हफ्ते तक टैंकर के जरिए पानी बुलाया जा रहा था। और यही पानी बच्चों को भी पीने के लिए दिया जा रहा था। दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए आसपास के रहवासियों ने इस बात की पुष्टि की है।

आश्रम के संचालिका अनीता शर्मा ने कहा कि ये बात सही है कि संस्था का बोरिंग खराब हुआ था लेकिन उसे जल्द सुधार करवा दिया गया था। हमारे द्वारा 2-3 बार जरूर टैंकर से पानी बुलवाना गया था।

कई दिनों तक संस्था की बोरिंग खराब होने के चलते इसी पानी से खाने-पीने के साथ अन्य उपयोग में लिया जा रहा था। चूंकि परिसर स्थित आश्रम में 200 बच्चों के अलावा हॉस्पिटल में भी पानी की आवश्यकता पड़ती है इस लिहाज से करीब 6000 लीटर के टैंकर पानी लेकर यहां आते थे।

बता दें कि प्रशासन की रिपोर्ट में पानी और खाने में गड़बड़ी होने की बात सामने आई है। वहीं 11 बच्चों में हैजा के सिंप्टम्स होने की पुष्टि हुई है। यह बीमारी खराब पानी पीने के चलते ही होती है।वहीं पूरी घटना पर लेकर कलेक्टर आशीष सिंह ने आश्रम संचालक को शोकोज नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा है। साथ ही कहा कि अगर संस्था घटना और पहले बच्चे की मौत की जानकारी समय पर देता तो यह स्थिति नहीं बनती।

आश्रम संचालक तुलसी धनराज शादीजा जिन्हें घटना को लेकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

बेटे की मौत के कारणों से अनजान है माता-पिता, आधी रात को सौंपा था शव

खास बात यह कि संस्था ने अंकित गर्ग जिसकी मौत 30 जून को हुई और घटना छिपाया था, उसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मूलत: पन्ना में रहने वाले उसके माता-पिता को बुलवाया गया था। 30 जून को संस्था ने रात 12.30 बजे उसका शव पिता मनोज गर्ग, चाचा, दादा, भाई को सौंपा था।

आधी रात को ही उसे पचकुइया मुक्तिधाम पर दफनाया गया था। चौंकाने वाली बात यह उसकी मौत किस कारण से हुई है यह सीधे तौर पर नहीं बताया गया। अब जबकि बच्चों में हैजा की बात सामने आई है तो अब सवाल उठ रहे है कि क्या अंकित की मौत हैजा से हुई?

दूसरा यह कि फिर बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए क्यों नहीं भेजी गई। जिला प्रशासन इसकी जांच के लिए अंकित के दस्तावेज के साथ मुक्तिधाम के रजिस्टर सहित अन्य जानकारी जुटा रहा हैं। इसके साथ ही अंकित के परिजन से भी पूछताछ की जाएगी। संस्था ने शव सौंपने की प्रक्रिया के दौरान लिखा है कि वह सीवियर दिव्यांग होकर बहुत कमजोर था।

ट्रस्ट के पहले चेयरमैन बने थे धनराजजी शादीजा

ट्रस्ट की शुरुआत परमानंद गिरी महाराज (राम मंदिर के ट्रस्टी) द्वारा की गई थी। सूत्रों के मुताबिक एक महिला द्वारा उन्हें यह जमीन दान में दी गई। इसके बाद महाराज ने यह जमीन धनराज शादीजा को सौंपकर हॉस्पिटल खोलने का काम सौंपा।

साल 2002 में धनराज शादीजा के देख रेख में परमानंद हॉस्पिटल की शुरुआत हई। पिता के साथ तुलसी धनराज शादीजा ने भी कार्यभार संभालना शुरू कर दिया। पिता के निधन के बाद बाद उन्होंने जिम्मेदारी संभाली।

इस बीच 2006 में इसी परिसर में ‘युग पुरुष’ स्कूल का संचालन शुरू हो गया। इसमें प्रिंसिपल अनिता शर्मा और सेक्रटरी तुलसी शादीजा हैं। अध्यक्ष शादीजा की बेटी है। शादीजा की बेटी और दामाद भी हॉस्पिटल का कामकाज देखते हैं। शर्मा पूर्व में इंदौर में ही एक बड़े सरकारी सेंटर में पदस्थ थी।

कुछ साल पहले बच्चों ने आश्रम की बिल्डिंग से लगाई थी छलांग

दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए रह-वासियों ने बताया कि कुछ साल पहले तक आश्रम में इस तरह की जालियां नहीं लगी हुई थी। यह रहने वाले बच्चे चूंकि मानसिक दिव्यांग है। किस काम से क्या घटना हो जाए इसका उन्हें अहसास नहीं होता। करीब दो-तीन बच्चों ने चढ़ाव और पहले माले से छलांग लगा कर बाहर आ गए, जिससे उनको चोटे भी आई थी। जिसके बाद से आश्रम वालों ने पूरे परिसर को जालियों से ढ़कवा दिया था।

आश्रम की बिल्डिंग के पीछे का हिस्सा कुछ साल पहले तक यहां जालियां नहीं लगी थी। बच्चों की छलांग लगाने की घटना के बाद चारों तरफ से खुले हिस्से को जालियों से कवर किया गया था

आश्रम की बिल्डिंग के पीछे का हिस्सा कुछ साल पहले तक यहां जालियां नहीं लगी थी। बच्चों की छलांग लगाने की घटना के बाद चारों तरफ से खुले हिस्से को जालियों से कवर किया गया था

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इंदौर के आश्रम में 5 बच्चों की मौत, 29 भर्ती: 2 की हालत गंभीर, 30 जून को हुई थी पहली मौत

इंदौर के एक आश्रम में कुछ बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। चार दिन में अब तक पांच बच्चों की मौत हो गई। मंगलवार को 29 बच्चों को चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया। पंचकुइया रोड स्थित श्री युगपुरुष धाम आश्रम की प्राचार्य डॉ. अनिता शर्मा ने कहा कि आश्रम में 204 बच्चे हैं। इनमें से पांच की मौत हुई। 29 का इलाज जारी है। मृत बच्चों के नाम शुभम उर्फ करण, आकाश, शुभ, दिव्या और छोटा गोविंद है। सभी की उम्र 5 से 15 साल के बीच है। पढ़ें पूरी खबर…

इंदौर कलेक्टर बोले- प्रबंधन पहली मौत पर ही जानकारी देते तो हालात गंभीर न होते

युग पुरुष धाम में बच्चों को लेकर प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। 30 जून को हुई पहली मौत की वजह संस्था ने मिर्गी को मान लिया और प्रशासन को सूचना नहीं दी, जिसके बाद 24 घंटों में एक के बाद एक 2 मौतें हो गईं। प्रबंधन ने इसकी जानकारी छिपाई। नतीजा ये रहा कि 48 घंटे के अंदर ही 2 बच्चों की और जान चली गई। कलेक्टर आशीष सिंह ने भी इस बात को माना कि अगर संस्था पहले बच्चे की मौत के बाद ही जानकारी दी जाती तो इतने गंभीर हालात नहीं बनते। पढ़ें पूरी खबर…


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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