भारतीय सेना के T-90 भीष्म टैंक की ताकत और उन्नति.

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T-90 BHISHM TANK: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने कम समय में अपने भारती भरकम टैंकों को भेज कर चीन को न सिर्फ चौंका दिया था. चीन के सारे प्लान पर पानी भी फेर दिया था. T-72 टैंक तो पहले से ही …और पढ़ें
T-90 की रफ्तार होगी दमदार
हाइलाइट्स
- T-90 टैंक को 1350 हॉर्सपावर इंजन मिलेगा.
- भारतीय सेना के पास 1000 से ज्यादा T-90 टैंक हैं.
- T-90 टैंक की मारक क्षमता 5 किलोमीटर तक है.
T-90 BHISHM TANK: तकनीक भले ही कितनी भी आगे क्यों ना बढ़ जाए जमीन की लड़ाई तो टैंक के जरिए ही लड़ी जानी है. दुश्मन के इलाके में आमने सामने की जंग में मेन बैटल टैंक को ही आगे बढ़ना है. भारत दुनिया की सबसे ताकतवर सेना में से एक है. जिसमें चीन जैसे विस्तारवादी देश के कदम को भी रोक दिया. पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने चीन को अपनी टैंक की एसी ताकत दिखाई कि उसे उल्टे पैर लौटना पड़ा. भारतीय सेना के T-72 और T-90 टैंक ने ये कारनामा कर दिखाया. अब रक्षामंत्रालय ने T-90 टैंक की ताकत को बढ़ाने का फैसला लिया है. रक्षामंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद ने T-90 टैंक के लिए और तकतवर इंजन की खरीद को मंजूरी दी है. मौजूदा 1000 हॉर्सपावर इंजन को 1350 हॉर्सपावर इंजन से बदला जाएगा. इससे हाई एल्टिट्यूड एरिया में टैक की मोबिलिटी में जबरदस्त इजाफा होगा.
भारत की ताकत है MBT T-90
भारत ने टी-90 टैंक रूस से लिए गए थे. साल 2003 से ही यह सेना का मेन बेटल टैंक है. फिलहाल भारतीय सेना में टैंकों की तादाद पर गौर करें तो 1000 से ज़्यादा T-90 टैंक है. यह टैंक सिर्फ भारत पाकिस्तान की सीमा पर ही नही बल्कि चीन सीमा पर बडी तादाद में तैनात है. इसकी मारक क्षमता 5 किलोमीटर तक की है. दिन रात और हर मौसम में यह सटीक फायर कर सकता है. T-90 में 125mm स्मूथबोर गन बैरल है. इससे अलग अलग तरह के एम्यूनिशन यहां तक की गाइडेड मिसाइल भी फायर किए जा सकते है. दुश्मन के अटैक से बचने के लिए खास एडवांस आर्मर प्रोटेक्शन से लेस है. इस टैक को भारत ने रूस से खरीदा है. इसका लाइसेस प्रोडक्शन के तहत भारत में ही निर्माण हो रहा है. इसकी रफ्तार 1000 हॉर्सपावर इंजन में 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. इसका रेट ऑफ फायर 8 राउंड प्रतिमिनट है इसका कुल वजन 46 टन है. आसानी से यह ट्रेन के रैक और वायुसेना के विमान के जरिए कही भी डिप्लॉय किए जा सकते है.
सेना ने ओवरहॉल किया T-90 को
किसी भी टैंक को ओवरहॉल का मतलब है सभी पार्ट्स को खोला जाता है. जिन पार्ट्स को बदलने की जरूरत है उसे बदला जाता है. इस तरह बेस ओवरहॉल के बाद टैंक फिर से नया सा हो जाता है. हाल ही में T-90 भीष्म टैंक का सफल ओवरहॉल दिल्ली के आर्मी की कोर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंडमैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) की 505 आर्मी बेस वर्कशॉप में किया गया. यह एक सबसे जटिल प्रक्रिया होती है. सेना के पास अभी 1000 टी-90 टैंक की करीब 39 यूनिट हैं. हर यूनिट में करीब 45 टैंक होते हैं. इसके अलावा 2000 के करीब T-72, 122 स्वदेशी एमबीटी टैंक अर्जुन और 1100 के करीब बाकी दूसरे टैंक है. भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाने के लिए लाइट टैंक जोरावार की खरीद की जा रही है. T-72 टैंक पुराने हो चले हैं. फ्यूचर रेडी कॉंबेट वेहिक्ल (FRCV) से आने वाले दिनों में T-72 को रिप्लेस करेंगे. कुल 1800 के करीब टैंक इस प्रोजेक्ट के तहत सेना में शामिल किया जाना है.
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