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सौरभ राजपूत की जान बचाई जा सकती थी… AI ने दिया ऐसा जवाब कि हिल जाएगा यूपी का पूरा सिस्टम

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Meerut Murder Case: मेरठ के सौरभ राजपूत हत्याकांड में मुस्कान रस्तोगी और साहिल शुक्ला ने सुनियोजित साजिश के तहत सौरभ की हत्या की. एआई के अनुसार, सौरभ की जान बचाने की संभावना बहुत कम थी, लेकिन…

हाइलाइट्स

  • सौरभ राजपूत की हत्या सुनियोजित साजिश थी.
  • मुस्कान रस्तोगी और साहिल शुक्ला ने हत्या की.
  • एआई के अनुसार सौरभ की जान बचाने की संभावना कम थी.

Meerut Murder Case: मेरठ के सौरभ राजपूत हत्याकांड में गिरफ्तार मुस्कान रस्तोगी और साहिल शुक्ला हर घंटे बयान बदल रहे हैं. मीडिया में भी तरह-तरह की खबरें आ रही हैं. मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक भी इस पहेली को सुलझा नहीं पा रहे हैं कि आखिर साहिल शुक्ला और मुस्कान ने कैसे बड़ी बेरहमी से सौरभ राजपूत की हत्या कर दी. लेकिन, आर्टिफिशियल इंटेलिंजेंस से जब सवाल किया गया कि क्या सौरभ राजपूत की जान बचाई जा सकती है? तो एआई ने ऐसा जवाब दिया, जिससे भारतीय समाज का पूरा सिस्टम हिल सकता है. साहिल शुक्ला और मुस्कान रस्तोगी के बारे में कहा जा रहा है कि दोनों तंत्र-मंत्र और जादू-टोना में बहुत विश्वास करते थे. ये बातें सौरभ राजपूत को भी पता था. खास बात तो यह है कि मुस्कान के घरवालों की भी इसकी जानकारी थी. इसके बाद सौरभ राजपूत की हत्या को समझ नहीं पा रहे हैं.

एआई ने बताया कि मेरठ के चर्चित सौरभ राजपूत हत्याकांड में उपलब्ध जानकारी के आधार पर यह कहना मुश्किल है कि उनकी जान बचाई जा सकती थी या नहीं. लेकिन, यह एक सुनियोजित और क्रूर हत्या थी, जिसे उनकी पत्नी मुस्कान रस्तोगी और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला ने अंजाम दिया था. इस हत्याकांड का विश्लेषण करने पर पता चला है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी. सौरभ की हत्या की योजना मुस्कान ने पहले से बना ली थी. नवंबर 2024 से ही इसकी तैयारी शुरू हो गई थी, जिसमें हथियार खरीदना और हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने की रणनीति शामिल थी. 3 मार्च 2025 की रात को सौरभ को खाने में नशीली दवा दी गई और फिर बेहोशी की हालत में उनकी हत्या कर दी गई. इतनी सावधानीपूर्वक योजना के सामने सौरभ को बचाने की संभावना बहुत कम थी, क्योंकि उन्हें अपनी पत्नी पर पूरा भरोसा था.

सौरभ की अनजान स्थिति
सौरभ को अपनी पत्नी के इरादों या साहिल के साथ उसके संबंधों की जानकारी नहीं थी. वह लंदन से अपनी बेटी के जन्मदिन और पत्नी से मिलने के लिए मेरठ आए थे. उनके परिवार ने उन्हें मुस्कान से सावधान रहने की चेतावनी दी थी, लेकिन प्यार और भरोसे के कारण उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया. अगर सौरभ को पहले से कोई संदेह होता या वह सतर्क रहते तो शायद उनके पास बचने का मौका होता.

परिवार और आसपास के लोगों की भूमिका
सौरभ का अपने परिवार से संपर्क कम था, क्योंकि उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर मुस्कान से प्रेम विवाह किया था. हत्या के बाद भी कई दिनों तक किसी को संदेह नहीं हुआ, क्योंकि मुस्कान ने सौरभ के फोन से रिश्तेदारों को मैसेज भेजकर गुमराह किया. अगर परिवार या पड़ोसियों को पहले कोई शक होता और वे तुरंत सक्रिय हो जाते तो शायद सौरभ की जान बचाने की कोशिश हो सकती थी.

कुलमिलारक एआई ने बताया कि सौरभ राजपूत की जान बचाने की संभावना बहुत कम थी, क्योंकि हत्या एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी और सौरभ को अपने आसपास के खतरे का कोई अंदाजा नहीं था. अगर उन्हें मुस्कान के इरादों की भनक होती या परिवार और दोस्तों का पहले से हस्तक्षेप होता तो शायद कुछ किया जा सकता था. लेकिन, जिस तरह से यह घटना हुई उसमें सौरभ के पास बचने का कोई मौका नहीं दिखता. यह एक दुखद उदाहरण है कि भरोसे और धोखे की आड़ में ऐसी घटनाएं कितनी चुपचाप और तेजी से अंजाम तक पहुंच सकती हैं.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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