देश/विदेश

दोस्ती-यारी में भी अब अगर ये शब्द बोले तो खैर नहीं, इन 4 कैटेगरी के छात्रों को रहना होगा सतर्क, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली. विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर कहा है कि अब जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यूजीसी ने आगे कहा है कि विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन इस विषय को गंभीरता से लें और सख्ती शुरू करें. यूजीसी के इस अल्टीमेटम के बाद आने वाले दिनों में अगर कोई छात्र जातिसूचक शब्दों से किसी दूसरे छात्र को बुलाता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई तय है. यह कार्रवाई एससी, एसटी एक्ट के तहत की जाएगी. बता दें कि यूजीसी ने देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से 31 जुलाई तक इस बारे में जानकारी मांगी है.

बिहार हो या यूपी या फिर दिल्ली, पंजाब या देश के किसी भी विश्वविद्यालय का कैंपस, अगर आप सामान्य वर्ग से आते हैं और आपने आरक्षित वर्ग के छात्रों को जातिसूचक शब्दों से बुला लिया तो अब पढ़ाई चौपट होगी ही साथ में जेल जाने की भी नौबत आ जाएगी. अब अनारक्षित श्रेणी के छात्रों को आरक्षित श्रेणी के छात्रों पर कटाक्ष करना भारी पड़ने वाला है.

अनारक्षित वर्ग के छात्रों को रहना होगा सतर्क
अब सामान्य वर्ग के छात्रों को सावधानी से न केवल दोस्त बनाना होगा, बल्कि यह भी निश्चित करना होगा कि वह दोस्त कहीं उसके साथ कुछ खेल न कर दे. बता दें कि विश्वविद्यालय में या कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अक्सर छात्र एक दूसरे से मजाक करते रहते हैं और इस दौरान दोनों तरफ से जातिसूचक शब्दों जैसे बभना, पंडित, दुसाध और भंगी जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल होता है. लेकिन, यूजीसी के नए आदेश के बाद अब सामान्य वर्ग के छात्रों खासकर राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार और कायस्थ वर्ग से आने वाले छात्रों को संभल कर बोलना होगा.

fff

यूजीसी ने कहा है कि आरक्षित वर्ग के छात्र ने अगर किसी अनारक्षित श्रेणी के छात्र की शिकायत की तो यूनिवर्सिटी प्रशासन उसके शिकायत पर तुरंत ही कार्रवाई करेगी. इस तरह के मामले अक्सर थानों में और बड़े बुजुर्गों के लड़ाई-झगड़ों या जमीनी विवाद में देखे जाते हैं. लेकिन, अब यूजीसी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे भी अपने विश्वविद्यालय कैंपस में इस बात की निगरानी करें और इस तरह की शिकायत आने पर मामला रफा दफा न हो सके.

ये भी पढ़ें: हीट वेव को लेकर जारी हुआ नया अलर्ट, दोपहर के वक्त घर से बाहर निकलने से बचें… करें ये 8 उपाय

इसी तरह विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी शपथपत्र देना होगा कि वह किसी छात्र को जातिसूचक शब्द से नहीं बुलाएंगे. इसके बावजूद अगर कोई शिक्षक के बारे में इस तरह की शिकायत मिलती है तो मामला एससी, एसटी एक्ट तहत दर्ज होगा. इसके लिए पहले शिकायतकर्ता के शिकायत की जांच उच्चस्तरीय समिति करेगी. इस समिति में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के सदस्य भी शामिल होंगे. अगर किसी भी तरह की शिकायत मिलती है तो इसकी जानकारी यूजीसी को भी देनी होगी.

UGC new order , all colleges and universities , caste identity , delhi university news , caste based discrimination , UGC, Rajput Students , Brahmin Students , Bhumihar Students , Kayastha Students , OBC , SC , ST, Delhi University , Caste Based Discrimination , Friendship , यूजीसी , राजपूत छात्र , ब्राह्मण छात्र , भूमिहार छात्र , कायस्थ छात्र , ओबीसी , एसएसी , एसटी , दिल्ली यूनिवर्सिटी , जाति आधारित भेदभाव

पिछले दिनों जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल से आहत कुछ छात्रों की सुसाइड की खबर आई थी. (फाइल फोटो)

कौन नहीं कर सकता है जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल
बता दें कि पिछले दिनों जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल से आहत कुछ छात्रों की सुसाइड की खबर आई थी. यूजीसी ने इसी संबंध में अब देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को पत्र लिखकर जवाब मांगा है. इसके तहत अब सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर आने वाले दिनों में एससी, एसटी और ओबीसी शिकायतों को लेकर एक पेज तैयार करना भी होगा.

Tags: Caste identity, Delhi University, Students died, Ugc


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!