Baida Movie Review: बिना दिमाग लगाए देखें ‘बैदा’, अच्छी है कहानी

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Baida Movie Review: सुधांशु राय, मनीषा राय, शोभित सुजय, सौरभ राज जैन और हितेन तेजवानी जैसे कलाकारों से सजी फिल्म ‘बैदा’ एक साइंस-फिक्शन सुपरनैचुरल थ्रिलर है, जिसकी कहानी आपको पसंद आने वाली है.
21 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होगी ‘बैदा’.
बैदा 3
Starring: सुधांशु राय, मनीषा राय, शोभित सुजय, सौरभ राज जैन, हितेन तेजवानी और अन्यDirector: पुनीत शर्माMusic: कार्तिक चेन्नोजी राव और रोनाडा बकेश
‘बैदा’ पहली ऐसी साइंस-फिक्शन फिल्म है जिसमें सुपरनैचुरल पावर को भी शामिल किया गया है. फिल्म में बहुत बड़ी स्टारकास्ट नहीं है, लेकिन सुधांशु राय, मनीषा राय, शोभित सुजय, सौरभ राज जैन और हितेन तेजवानी ने मिलकर इस फिल्म में जान डाल दी है और इसका सारा श्रेय सुधांशु राय को जाता है जो न सिर्फ फिल्म में लीड रोल निभा रहे हैं, बल्कि इस फिल्म के राइटर भी हैं. तो चलिए आपको बताते हैं इस फिल्म के बारे में जो 21 मार्च को पर्दे पर आने वाली है.
सबसे पहले बात करते हैं फिल्म की कहानी की, यह बेहतरीन है. उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण इलाके में सेल्समैन बने पूर्व जासूस राम बाबू (सुधांशु राय) एक बड़ी साजिश के जाल में तब उलझ जाते हैं, जब वह पिशाच (सौरभ राज जैन) नामक एक रहस्यमयी व्यक्ति की झोपड़ी में शरण लेने का फैसला करते हैं. मौत की उसकी दौड़ तब शुरू होती है, जब वह खुद को ब्रिटिश भारत में पाता है और उसे फांसी पर लटकाया जाना तय होता है. वास्तविकता उससे कोसों दूर लगती है, क्योंकि उसकी दुनिया कुछ ही सेकंड में बदल जाती है और अब उसे खुद को बचाने के लिए अपनी जासूसी प्रवृत्ति का इस्तेमाल करना पड़ता है, ताकि वह अपनी दुनिया में वापस जा सके. अब राम बाबू अपनी दुनिया में वापस लौटते हैं या नहीं? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाकर पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी.
फिल्म का एक किरदार जो आपको काफी आकर्षित करेगा, वह है गोलू (शोभित सुजय) का. राम बाबू जब पहली बार पिशाच की दुनिया से वापस अपनी दुनिया में लौटता है, तो उसकी मुलाकात गोलू से होती है. गोलू उसी गांव का रहने वाला है, जहां से राम बाबू गायब हुआ था. फिल्म में गोलू के किरदार को काफी स्क्रीन स्पेस दिया गया है और उसका कॉमिक अंदाज भी लोगों को हंसाने में कामयाब रहा है. फिल्म में गोलू, राम बाबू को मरने से बचाने में काफी मदद करता है.
अब एक्टिंग की बात करें तो सुधांशु राय अपनी एक्टिंग से सभी का दिल जीतने वाले हैं, फिल्म में उनकी मेहनत साफ नजर आ रही है. वहीं शोभित सुजय ने भी बेहतरीन काम किया है, यानी फिल्म में उन्हें देखने के बाद आप ये नहीं कहेंगे कि ये उनकी डेब्यू बॉलीवुड फिल्म है. सुधांशु और शोभित के अलावा मनीषा राय और सौरभ राज जैन ने भी अपने किरदारों के साथ न्याय किया है. हितेन तेजवानी की बात करें तो फिल्म में उनका रोल भले ही छोटा हो, लेकिन उन्होंने अपनी दमदार एक्टिंग से उस छोटे रोल में जान डाल दी है.
वहीं, फिल्म में निर्देशन की कमान पुनीत शर्मा ने संभाली है. आपको बता दें, पुनीत ने अब तक कई शॉर्ट फिल्में डायरेक्ट की हैं, लेकिन ये उनकी पहली फीचर फिल्म है जिसे उन्होंने डायरेक्ट किया है. शायद यही वजह है कि उन्होंने छोटी से छोटी चीजों पर भी बारीकी से ध्यान दिया है. अब आते हैं फिल्म की कमियों पर. फिल्म का फर्स्ट हाफ आपको थोड़ा बोर कर सकता है, क्योंकि पहला भाग काफी धीमा है, जबकि पूरी फिल्म सिर्फ 109 मिनट लंबी है. ऐसे में मेकर्स को इसकी शुरुआती स्पीड पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन जैसे ही दूसरा भाग आता है, फिल्म अपनी रफ्तार पकड़ लेती है और फिर क्लाइमैक्स तक आपको सीट से उठने नहीं देती.
साथ ही म्यूजिक लवर्स के लिए यह फिल्म थोड़ी निराश करने वाली होगी, क्योंकि फिल्म में एक भी गाना नहीं है. हालांकि फिल्म की स्क्रिप्ट के मुताबिक इसमें कोई गाना जोड़ना जरूरी भी नहीं था. कुल मिलाकर देखा जाए तो हॉलीवुड की तर्ज पर बनी इस फिल्म को आप अपने पूरे परिवार के साथ एक बार देख सकते हैं. मेरी तरफ से फिल्म को 3 स्टार.
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