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Govinda Naam Mera Movie Review: फिल्म राइटिंग और एडिटिंग टेबल पर बनती है, सबूत है गोविंदा मेरा नाम

पता नहीं ये संयोग है या जानबूझ कर की गयी गलती की है, डिज्नी+ हॉटस्टार पर रिलीज शशांक खेतान द्वारा निर्देशित फिल्म “गोविंदा नाम मेरा” में एक गंजे फाइट मास्टर की अवैध शादी एक असिस्टेंट कोरियोग्राफर से होती हुई दिखाई गयी है. ऐसा ही किस्सा आजकल के एक प्रसिद्ध निर्देशक की ज़िन्दगी की हकीकत है. हो सकता है मज़ाक में रखा गया हो, लेकिन ये भी हो सकता है कि लिखते समय शशांक ने ध्यान नहीं दिया हो. बहरहाल इस तरह की बेवकूफी से भर भर के बनायीं फिल्म “गोविंदा नाम मेरा” (Govinda Naam Mera) राइटिंग और एडिटिंग टेबल पर बनी एक ऐसी फिल्म है जिसको देख कर आप सम्पूर्ण मनोरंजन पा सकते हैं. कमाल की एंटरटेनिंग फिल्म है.

गोविंदा वाघमारे (विक्की कौशल) फिल्मों में असिस्टेंट कोरियोग्राफर है. उसकी ज़िन्दगी में कोई शांति है ही नहीं. उसकी माँ आशा वाघमारे (रेणुका शहाणे) व्हील चेयर पर बैठने की एक्टिंग करती है ताकि वो दोनों कोर्ट में केस जीत सके और गोविंदा के पिता के दिए हुए बंगले के मालिक बन सके. गोविंदा की शादी गौरी (भूमि पेडनेकर) से हो रखी है जिसके साथ उसकी बनती नहीं है और वो तलाक देने के दो करोड़ रुपये मांग रही है. गोविंदा की एक गर्लफ्रेंड भी है सुकुबाई देशमुख (कियारा अडवाणी) जो गोविंदा के साथ शादी करने के ख्वाब देख रही है. गोविंदा ने इंस्पेक्टर जावेद (दयानन्द शेट्टी) से एक दो लाख रुपये की गन ले रखी है ताकि वो अपनी बीवी का काम तमाम कर सके लेकिन इस गन का पेमेंट नहीं दिया है. गोविंदा की बीवी गौरी का एक अदद बॉयफ्रेंड भी है जिसके सामने गौरी, गोविंदा को नाचने के लिए मजबूर करती रहती है. पैसा कमाने के लिए गोविंदा तरह तरह के हथकंडे आज़माता रहता है लेकिन सब जगह उसे जूते ही पड़ते हैं. एकदिन अचानक जब वो घर आता है तो देखता है कि गौरी की लाश पड़ी हुई है. उसे लगता है कि उसकी किस्मत अब पूरी तरह से उसे धोखा दे चुकी है. लेकिन वो सुकु की मदद से इस क्राइम को छुपाने की कोशिश करता है. क्या उसकी लाइफ बदलती है या किस्मत आखिर उसका साथ दे देती है, ये आगे की कहानी है.

विक्की कौशल का अभिनय फिल्म दर फिल्म निखरता जा रहा है. अब तक किये उनके सभी रोल्स से ये काफी अलग है. विक्की की कॉमिक टाइमिंग इस बार ज़ोरदार है. पहले ही कुछ मिनिटों में नौकरानी और विक्की के बीच के दृश्य में हँसते हँसते पेट में बल पड़ जाते हैं. शराब पी कर लाश ठिकाने लगाने वाले सीन में विक्की ने कमाल का काम किया है. विक्की के करियर में ये फिल्म महत्वपूर्ण रहेगी क्योंकि इस के साथ उनके अभिनय की एक पूरी रेंज सामने आ गयी है. मसान से लेकर गोविंदा नाम मेरा तक का विक्की का सफर ये साबित कर देता है कि विक्की अब टिक कर खेलते रहेंगे. भूमि पेडनेकर की भूमिका छोटी थी इसलिए कोई इम्प्रैशन नहीं पड़ा. वहीँ कियारा अडवाणी ने तूफानी काम किया है. दरअसल फिल्म कियारा की वजह से चलती है और बाकी साथी कलाकार जैसे दयानद शेट्टी, रेणुका शहाणे, और अमेय वाघ इस कहानी को रफ़्तार देते हैं.

शशांक खेतान ने ही कहानी, पटकथा और डायलॉग लिखे हैं. फिल्म वैसे तो कम बजट टाइप की है लेकिन बड़े कलाकारों के साथ मिलकर बनायीं गयी है इसलिए फिल्म में थोड़ा मज़ा आता है. शशांक वैसे भी करण जौहर के स्कूल में पढ़े हैं. इनकी बनायीं हुई सभी फिल्में हिट हैं – बद्री की दुल्हनिया, हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया और धड़क. वैसे अच्छा निर्णय है गोविंदा नाम मेरा को डायरेक्ट ओटीटी पर रिलीज़ करने का क्योंकि ये फिल्म बड़े परदे के हिसाब से कमज़ोर आती है. स्क्रीनप्ले धुंआधार है इसलिए पूरे समय स्क्रीन पर नज़र जमी रहती है. हर पल कुछ न कुछ नया होता रहता है. फिल्म में मनोरंजन के पूरे नंबर हैं. विक्की की कॉमेडी और घबराहट, भूमि का अपना स्टाइल, कियारा की सेक्स अपील और ज़बरदस्त एक्टिंग, दयानन्द शेट्टी और सयाजी शिंदे के एक्सप्रेशंस और बाकी कलाकारों को पर्फेक्ट्ली लिखे हुए रोल मिलने की वजह से फिल्म में सब कुछ कड़क है. फिल्म के सभी गाने सभी के सभी वाहियात हैं. हर गाने का एक अलग कंपोजर है इसलिए फिल्म के संगीत का कोई तार कहीं जुड़ते हुए नज़र नहीं आते. करण जौहर की फिल्मों में ऐसा कम देखने को मिलता है. ये फिल्म का कमज़ोर पक्ष है.

विक्की कौशल, कियारा आडवाणी और भूमि पेडनेकर स्टारर कॉमेडी-थ्रिलर ‘गोवंदि नाम मेरा’ डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज होगी.

विदुषी तिवारी की सिनेमेटोग्राफी में कोई नयापन नहीं भी हो तब भी फ्रेमन और कलर्स पर्फेक्ट्ली जमे हुए हैं. विदुषी का भविष्य उज्जवल है. वहीँ बच्चन पांडे की एडिटिंग से चर्चा में आयी चारु श्री रॉय की तारीफ करनी पड़ेगी क्योंकि उनकी एडिटिंग ने फिल्म को जो रफ़्तार बख्शी है वो फिल्म की जान है. फिल्में हमेशा दो टेबल पर बनती है. एक लिखने वाली जिसमें शशांक के ज़बरदस्त काम किया है, अच्छी पटकथा लिखी है. दूसरी एडिटिंग टेबल जिसमें चारु श्री रॉय ने एक भी अनावश्यक सीन आने नहीं दिया है बल्कि जिस भी सीन की एडिट की है वो कमाल है. क्राइम और कॉमेडी वाली फिल्म की एडिटिंग सबसे कमाल काम करती है. कितना क्राइम और कितना कॉमेडी होना चाहिए इसके लिए राइटिंग और एडिटिंग के बैलेंस को देखना हो तो गोविंदा नाम मेरा देखना चाहिए.

फिल्म के आखिरी 40 मिनिट में कहानी में जो ट्विस्ट पैदा होता है वो पूरी फिल्म के हर दृश्य पर सवाल उठाने पर मजबूर कर देता है. लेकिन धीरे धीरे कहानी सुलझने लगती है और फिर गोविंदा के सामने हर किरदार के चेहरे से रंग उतरने लगता है. दर्शक मज़े से देखते रहते हैं और फिर बंगले के जिस हिस्से में भूमि की लाश दफनाई गयी होती है वहां से लाश गायब मिलती है तो मामला और उलझते जाता है. फिल्म देखिये, भरपूर मनोरंजन है. रफ़्तार भी सही है. मस्ती में भी कोई कमी नहीं है. मज़ा आएगा.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Kiara Advani, Vicky Kaushal


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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