अब यह दीया करेगा खेत में उर्वरक का काम, लागत सिर्फ 1 रूपए, अनोखे आइडिया को जान हैरान हो जाएंगे आप

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Unique Cowdung Product Business Idea: रोहतास जिले के कोचस निवासी उपेन्द्र कुमार सिंह ने गाय के गोबर से तरह-तरह के उपयोगी उत्पाद बनाकर एक सफल व्यवसाय खड़ा किया है. स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर र…और पढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- उपेन्द्र कुमार सिंह ने गोबर से उपयोगी उत्पाद बनाकर व्यवसाय खड़ा किया.
- गोबर से बने दीये जलाने के बाद खाद के रूप में उपयोगी होते हैं.
- उपेन्द्र के उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल और रोजगार सृजन में सहायक हैं.
रोहतास. कचरे में भी अगर सही नजरिया हो तो रोजगार के अनगिनत अवसर छिपे होते हैं. जिस चीज को लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, अगर उसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो वह आमदनी का एक मजबूत जरिया बन सकती है. इसी सोच के साथ रोहतास जिले के कोचस निवासी उपेन्द्र कुमार सिंह ने गाय के गोबर से तरह-तरह के उपयोगी उत्पाद बनाकर एक सफल व्यवसाय खड़ा किया है. उनकी यह पहल न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं.
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में कारगर है दीया
उपेन्द्र कुमार सिंह गोबर से एक खास तरह का दीया बनाते हैं, जिसे जलाने के बाद खाद के रूप में पौधों में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह पूरी तरह ऑर्गेनिक होता है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करता है. इस दीये को वे मशीन और सांचे की मदद से तैयार करते हैं, जिससे इसका आकार सुंदर और उपयोग में आसान होता है. इसके अलावा, वे हवन कंडा भी बनाते हैं, जिसमें नवग्रह की लकड़ियों का बुरादा और देसी गाय का गोबर मिलाया जाता है. इस हवन कंडा की खासियत यह है कि इसे जलाने पर धुएं का उत्सर्जन बेहद कम होता है. वे 60 रुपये में 5 पीस का एक पैकेट बेचते हैं, जिसे लोग धार्मिक कार्यों के लिए बड़े उत्साह से खरीदते हैं.
कई डिजाइन में तैयार करते हैं धूप
उपेन्द्र सिंह गोबर से भगवान की विभिन्न मूर्तियां भी तैयार करते हैं, जो पूरी तरह प्राकृतिक और टिकाऊ होती है. इसके साथ ही, वे देसी धूप बनाते हैं, जिसमें औषधीय पौधे और सुगंधित तत्व मिलाए जाते हैं. इस धूप से घर में सुगंध भी फैलती है और वातावरण भी शुद्ध रहता है. वे इसे कई डिजाइन में तैयार करते हैं, ताकि लोग अपनी पसंद के अनुसार इसे खरीद सके. उनके उत्पादों में अगरबत्ती, धूपबत्ती और समरानी कप भी शामिल हैं, जो पूरी तरह प्राकृतिक सामग्री से बनाए जाते हैं.
एमपी जाकर लिया प्रशिक्षण
उपेन्द्र कुमार सिंह बताते हैं कि उन्हें यह विचार तब आया जब, उन्होंने देखा कि लोग रोज़ गाय के गोबर को बेकार समझकर फेंक देते हैं और उसका सही उपयोग नहीं हो रहा था. उन्होंने इसे एक अवसर के रूप में देखा और पहले यूट्यूब से जानकारी ली, फिर मध्यप्रदेश जाकर प्रशिक्षण प्राप्त किया. आज, वे अपने इस स्टार्टअप से पूरी तरह संतुष्ट हैं और अच्छी आमदनी भी कमा रहे हैं। उनका यह अनोखा प्रयास न केवल रोजगार का एक नया रास्ता खोल रहा है,
March 12, 2025, 11:52 IST
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