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रेत के धोरों में मोती की खेती! लाखों में कमाई कर रहा यह किसान, कभी परिवार चलाना भी हो रहा था मुश्किल

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Jaipur Pearl Farming in Sand Dunes: किशनगढ़ रेनवाल में रहने वाले नरेंद्र गर्वा रेत के धोरों पर मोती की खेती कर रहे हैं. इसके लिए बकायदा ट्रेनिंग भी ली है. केरल से सीप मंगाकर खेती की शरूआत की थी. अब इस धंधे से …और पढ़ें

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नरेंद्र राजस्थान के पहले मोती पालक किसान है 

हाइलाइट्स

  • नरेंद्र गर्वा रेत के धोरों में मोती की खेती कर रहे हैं.
  • मोती की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं.
  • किसानों को पर्ल फार्मिंग का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.

जयपुर. राजधानी जयपुर से 81 किलोमीटर दूरी पर स्थित किशनगढ़ रेनवाल में रहने वाले नरेंद्र गर्वा मोती की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे है. नरेंद्र गर्वा केरल, गुजरात और तमिलनाडु जैसे तटीय क्षेत्रों में होने वाली मोती की खेती को रेगिस्तान के धोरों में कर रहे हैं. नरेंद्र राजस्थान के पहले मोती पालक किसान हैं, जो सफल तरीके से मोती की खेती कर रहे हैं. लेकिन, इनके यहां तक पहुंचाने का सफर आसान नहीं था. बेरोजगारी में काम की तलाश ने नरेंद्र गर्वा को यहां तक पहुंचाया है.

ऐसे शुरू की मोती की खेती

नरेंद्र गर्वा ने लोकल 18 को बताया कि जब कहीं रोजगार नहीं मिल रहा था, तो किशनगढ़ रेनवाल शहर में किताबों की दुकान खोल ली. लेकिन, इससे घर का गुजारा भी मुश्किल से हो पा रहा था, इससे वे बहुत परेशान थे. एक दिन दुकान में बैठे-बैठे सोशल मीडिया पर रील देख रहे थे. तभी एक रिश्तेदार ने उन्हें मोती की खेती का एक वीडियो भेजा, जिसे देखकर उन्होंने मोती की खेती करने का आइडिया आया. इसके बाद  मोती की खेती के बारे में जानकारी जुटाने लगे. इसके बाद ओडिसा के भुवनेश्वर में मोती की खेती के लिए ट्रेनिंग के लिए चले गए. उन्होंने बताया कि राजस्थान से करीब 20 लड़कों ने इस ट्रेनिंग में हिस्सा लिया और सीखा कि कैसे सींप पालकर मोतियों का उत्पादन किया जा सकता है.

पहली बार केरल से मंगवाए सीप

भुवनेश्वर से मोती की खेती की ट्रेनिंग लेने के बाद वह अपने घर वापस आ गए और घर पर ही सीप की खेती के लिए अनुकूल मौसम बनाया. इसके बाद केरल से सीप मंगवाए और रेत के धोरों में मोतियों की खेती शुरू की. नरेंद्र ने बताया कि सीप पालने के लिए थोड़ी सी मेहनत जरूर करनी पड़ती है, लेकिन इनसे मुनाफा भी अच्छा कमाया जा सकता है. गर्वा ने बताया कि एक सीप करीब 10 से 12 रुपये में मिलती है. इन सीपियों से गोल मोती करीब 18 माह में तैयार होता है जबकि डिजाइनर मोती बनने में 10 से 12 माह का समय लगता है. मार्केट में एक डिजाइनर मोती की कीमत करीब 300 से 600 रुपये है और गोल व अर्धगोल मोती की कीमत 500 से 1000 रुपये तक है. ऐसे में मोती की खेती कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं.

किसानों को भी दे रहे प्रशिक्षण

नरेंद्र गर्वा अब राजस्थान में बहुत ही कम खर्चे पर दूसरे किसानों को भी पर्ल फार्मिंग का प्रशिक्षण दे रहे हैं. इसके अलावा वे मोती को ज्लेवरी बनाकर सीधे बाजार में बेचते हैं, जिससे अच्छा मुनाफा मना रहे हैं. नरेंद्र के पास वर्तमान में हजारों सिपियां है, जिनसे मोती उत्पन्न हो रहे हैं. इसके अलावा सीपी के खोल से भी कमाई की जाती है. ऐसे करके नरेंद्र करवा सालाना लाखों रुपए की कमाई करते हैं.

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कभी परिवार चलाना भी था मुश्किल, मोती की खेती ने ऐसे बदली दी किसान की किस्मत


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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