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40 की उम्र में नई राह, ई-रिक्शा चलाकर बच्चों को अफसर बनाने का सपना! महिलाओं के लिए बनी मिसाल

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Woman’s Day Special: खंडवा की मनीषा सुनारे ने 40 की उम्र में ई-रिक्शा चलाने का फैसला किया, ताकि बच्चों को अफसर बना सकें. परिवार का पूरा सहयोग मिलने से वे आत्मनिर्भर बन रही हैं. महिला स्वयं सहायता समूह से प्रशिक…और पढ़ें

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ई-रिक्शा सिखते हुए मनीषा इनके खंडवा के ट्रेनर ट्रेंड कर रहे हैं

हाइलाइट्स

  • खंडवा की मनीषा सुनारे ने 40 की उम्र में ई-रिक्शा चलाने का फैसला किया.
  • परिवार का पूरा सहयोग मिलने से वे आत्मनिर्भर बन रही हैं.
  • महिला स्वयं सहायता समूह से प्रशिक्षण लेकर उन्होंने यह कदम उठाया.

Woman’s Day Special: खंडवा की मनीषा सुनारे ने यह साबित कर दिया है कि हौसले और मेहनत से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है. 40 साल की उम्र में उन्होंने ई-रिक्शा चलाने का फैसला लिया है, जिससे अपने घर की आमदनी बढ़ा सकें और अपने बच्चों को अफसर बना सकें. उनका यह कदम न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा बन रहा है. मनीषा के इस फैसले में उनके पति और सास का पूरा सहयोग है.

मनीषा कहती हैं, “मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और बड़े अफसर बनें. इसलिए मैंने यह काम शुरू करने का निश्चय किया है. महिला दिवस के मौके पर मैं ई-रिक्शा चलाना शुरू करूंगी, और जो भी कमाई होगी, उसे बच्चों की पढ़ाई में लगाऊंगी.”

ई-रिक्शा चलाने के लिए मिला खास ट्रेनिंग
मनीषा को यह ई-रिक्शा एक महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से मिला है. यह समूह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के अवसर देने के लिए काम कर रहा है. इस समूह में 50 महिलाएं शामिल हैं, जो अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए काम कर रही हैं.

मनीषा बनीं समाज के लिए मिसाल
ई-रिक्शा चलाने का यह फैसला सिर्फ मनीषा की जिंदगी नहीं बदलेगा, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करेगा. उनका मानना है कि अगर परिवार का सहयोग और आत्मविश्वास हो, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता. उनके इस कदम से यह संदेश मिलता है कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं और समाज की सोच को बदल सकती हैं.

पति का मिला पूरा सहयोग
मनीषा के पति ने न सिर्फ उनका साथ दिया, बल्कि जब तक वे ई-रिक्शा चलाना सीख रही थीं, तब तक घर की जिम्मेदारी भी संभाली. उनके पति उन्हें गांव से लाने-छोड़ने का काम भी करते हैं और हर कदम पर उनकी हिम्मत बढ़ाते हैं.

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40 की उम्र में नई राह, ई-रिक्शा चलाकर बच्चों को अफसर बनाने का सपना!


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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