Fake wheat purchase scam of Rs 56 lakhs happened in Satna in 2023 too, still no vigilance | सामने आई लापरवाही: सतना में 2023 में भी हुआ था 56 लाख रुपए का फर्जी गेहूं खरीद घोटाला, फिर भी सतर्कता नहीं – Bhopal News

तब स्वसहायता समूह की 11 महिलाएं गिरफ्तार हुई थीं, जेल भेजी गई थीं
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सतना में हाल में जो 93 लाख रुपए का फर्जी गेहूं खरीदी घोटाला सामने आया है, वह जिले में सरकारी खरीद में फर्जीवाड़े का पहला मामला नहीं है। 2023 में इसी तरह महिला स्व-सहायता समूह की सहायता से गेहूं की फर्जी खरीद हुई और 56 लाख का घोटाला सामने आया था। समूह की 11 महिलाओं को जेल जाना पड़ा था। पिछले साल अगस्त में बिना गेहूं की खरीद के 56 लाख का भुगतान हो गया था। जिले के सुलखमा गांव में 2681 क्विंटल गेहूं की खरीद दिखाई गई थी जो कभी खरीदा ही नहीं गया।
कलेक्टर अनुराग वर्मा से लेकर एसीएस स्मिता भारद्वाज घाटगे तक कोई भी घोटाले को लेकर पूछे सवालों के जवाब देने को तैयार नहीं है। पिछले साल ग्राम पंचायत में गेहूं खरीद का जिम्मा लक्ष्मी स्वसहायता समूह को दिया गया था। समूह की अध्यक्ष आशा यादव सहित 15 लोगों पर बिना वास्तविक खरीद 2681 क्विंटल गेहूं खरीद और ट्रांसपोर्टेशन का आरोप लगा था। आरोप था कि कंप्यूटर ऑपरेटर से साठ गांठ करके मई 2023 में 18 किसानों के नाम फर्जी खरीद दिखा दी गई।
कंप्यूटर ऑपरेटर सहित समूह की 11 महिलाएं गिरफ्तार हो गईं थीं, जिनमें अध्यक्ष आशा यादव और सचिव फुलझड़िया पाल भी थीं। ऑपेरटर कोमल गुप्ता की जगह रामसकल सिंह को रखा गया था, जिसकी सूचना नागरिक आपूर्ति निगम को नहीं दी गई थी। महिलाएं 3-4 महीने जेल में रहीं फिर जमानत मिली।
समूह की अध्यक्ष बोलीं -हमें गेहूं खरीदी का पता ही नहीं था
समूह की अध्यक्ष रहीं आशा यादव ने भास्कर से चर्चा में कहा कि समूह को पता ही नहीं था कि उन्हें गेहूं खरीद का काम मिला है। जब गिरफ्तारी हुई तब उन सभी को जानकारी मिली। आशा ने कहा कि सरपंच रहे संतोष गुप्ता समूह चलाते थे। गुप्ता ने ही बेटी कोमल की जगह रामसकल को रखा था। आशा ने बताया कि पुलिस केस के बाद समूह ब्लैकलिस्ट हो गया। सचिव फुलझड़िया के पुत्र रामयश पाल ने भास्कर को बताया कि ऑपरेटर ने 100 और 150 किमी दूर वाले किसानों को गेहूं विक्रेता बता दिया।
उन्होंने सवाल उठाया कि बिना जांच-पड़ताल समूह को गेहूं खरीद का जिम्मा कैसे दे दिया जाता है। जब उनकी मां सहित अन्य को जेल हुई तो पता चला कि समूह के नाम से गेहूं खरीद हो रही थी। भारतीय किसान मजदूर संघ के पदाधिकारी सुभाष पांडे ने कहा कि सतना जिले में सरकारी खरीद में लगातार गड़बड़ी जारी है। लोकल अधिकारियों की साठ-गांठ से फर्जी किसानों के नाम खरीद में जुड़ जाते हैं। चुनी संस्था को गेहूं खरीद का जिम्मा देते हैं। इस बार भी रेलवे रैक उपलब्ध होता तो रेलवे से परिवहन दिखा देते।
जिला प्रशासन और विभाग की पूरे मामले पर चुप्पी
कलेक्टर अनुराग वर्मा ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया कि 2023 के मामले के बाद प्रशासन ने क्या एक्शन लिया? क्योंकि हालिया घोटाला भी उसी 2023 की फर्जी खरीद की तर्ज पर हुआ है जिसमें समूह से फर्जी खरीद दिखाकर ऑनलाइन क्वालिटी चेक, बिल्टी और परिवहन दिखा दिया था। सतना एसपी आशुतोष गुप्ता भी कोई जवाब नहीं दे सके कि अब तक 96 लाख की खरीद में क्या कार्रवाई हुई है न ही खाद्य विभाग की एसीएस स्मिता भारद्वाज से कोई जवाब दिया कि 2023 के घोटाले के बाद विभाग ने क्या सतर्कता बरती।
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