मध्यप्रदेश

Paper claims of women empowerment… | महिला सशक्तीकरण के कागजी दावे…: सरपंची पर ‘कब्जा’; एससी-एसटी पंचायतों में दबंग कर रहे सील-साइन, महिला सरपंच कर रहीं मजदूरी – Bhopal News

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव के दो साल पूरे हो चुके हैं। महिलाओं को इसमें 50% आरक्षण है। ऐसे में उनका कामकाज जानने के लिए दैनिक भास्कर ने प्रदेश के 15 जिलों की 3707 पंचायतों में सर्वे किया। इसमें सामने आया कि महिला सरपंच के बजाए परिजन या दबंग पंचायते

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महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पंचायतों में 50% आरक्षण भले दे दिया गया हो, लेकिन सरपंची या तो उनके परिजन चला रहे हैं या दबंग। प्रदेश में पंचायत चुनाव के दो साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे में दैनिक भास्कर ने चुनी गईं महिला सरपंचों की स्थिति जानने के लिए भोपाल, ग्वालियर और सागर संभाग के 15 जिलों (ग्वालियर, भोपाल जिला छोड़कर) की 3707 पंचायतों (महिलाओं के लिए आरक्षित) में कराए गए टेलीफोनिक सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। महिला सरपंचों के पति, बेटा, ससुर, जेठ और देवर पंचायत में कामकाज संभाल रहे हैं। महिला सरपंचों को यह तक नहीं पता कि गांव में क्या विकास कार्य चल रहे हैं।

दैनिक भास्कर ने ग्राउंड पर जाकर देखा तो कई जगह महिला सरपंचों की सरपंची पर दंबंगों ने कब्जा कर लिया है। एससी-एसटी आरक्षित पंचायतों में ऐसे हालात सर्वाधिक हैं। एससी-एसटी के लिए आरक्षित पंचायतों की महिला सरपंच मजदूरी और झाडू-पोछा करके अपना गुजारा कर रही हैं। कुछ महिला सरपंच तो चुनाव जीतने के बाद प्रमाण पत्र लेने तक ही सरपंच रहीं। उसके बाद उनके प्रमाण पत्र दबंगों ने छीन लिए। दबंगों के पास ही सरपंच के सील-सिक्के होते हैं और दस्तखत भी वही करते हैं।

सीट आरक्षित हो तो धमकाकर या लालच देकर इन्हें चुनाव में खड़ा करते हैं, सरपंची खुद करते हैं…

शिवपुरी

सरपंच के घर में शौचालय नहीं, 2 साल में 1.65 करोड़ के काम, उन्हें पता नहीं

शिवपुरी जिले की बदरवास की धामनटूक पंचायत की आदिवासी सरपंच विमला बाई 2022 में सरपंच चुनी गईं। तब से सरपंची गांव का उपसरपंच श्याम बिहारी कर रहा है। विमला बाई कहती हैं- सरपंच बनते ही जो प्रमाण पत्र मिला, मंच से उतरते ही श्याम बिहारी ने छीन लिया। तब से आज तक मुझे पंचायत की किसी बैठक में नहीं बुलाया गया। मैं तो मजदूरी कर रही हूं। खाना बनाने के लिए जंगल से लकड़ियां बीनती हूं। मेरे घर में शौचालय तक नहीं है। दो साल में पंचायत में 1.65 करोड़ रुपए के काम हो चुके हैं। लेकिन मैंने इनमें से किसी में भी दस्तखत नहीं किए।

उपसरपंच के बेटे ने किए साइन… भास्कर ने पंचायत के रिकाॅर्ड में दर्ज नंबर पर फोन किया तो उपसरपंच ने उठाया। जवाब मिला- ‘मैं ही सरपंच हूं, काम बताइए?’ भास्कर ने कहा कि पंचायत को सम्मानित करने के लिए सरपंच की मंजूरी चाहिए। इस पर उपसरपंच के बेटे ने साइन कर दिए।

मुरैना

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​​​​​​​प्लॉट देने का वादा कर सरपंच का चुनाव लड़ाया, फिर सील-साइन खुद रख लिया

मुरैना जिले की पोरसा जनपद की विंडवा पंचायत में दलित महिला मुन्नी देवी सरपंच हैं। लेकिन सरपंची गांव के उपसरपंच कृष्णवीर सिंह करते हैं। जिला पंचायत के रिकाॅर्ड में दर्ज फोन नंबर पर कॉल किया तो कृष्णवीर ने उठाया। कहा- मुन्नी देवी नाम की सरपंच हैं। भास्कर टीम विंडवा पहुंची तो ग्रामीणों ने बताया कि मुन्नी देवी अंबाह में किराए के कमरे में रहती हैं। भास्कर टीम कृष्णवीर से​ मिली और सरपंच के सील व हस्ताक्षर मांगे। कृष्णवीर ने भास्कर की डायरी पर सील लगा दी। सचिव बृज किशोर शर्मा ने भी कहा कि उन्होंने आज तक अंबाह में विंडवा सरपंच का घर नहीं देखा। उनसे कोई काम नहीं पड़ा।

सरपंच झाड़ू लगा रहीं… सरपंच मुन्नी देवी के पूठ रोड स्थित किराए के घर में रहती हैं। विधवा हैं। वह 3 घरों में झाडू-पोछा कर हर महीने 6 हजार रु. कमाती हैं। एक बेटा और 2 पोते हैं। तीनों मजदूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि चुनाव लड़ाते समय कृष्णवीर ने एक प्लाॅट का वादा किया था।

सीधी बात – प्रहलाद पटेल, पंचायत मंत्री

कार्रवाई को तैयार, लेकिन कोई मामला तो मिले

पंचायतों में महिला सरपंचों की सरपंची उनके परिजन कर रहे हैं। ग्राम सभा की बैठक में भी नहीं बुलाया जाता?
– मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। यदि ऐसा कोई प्रमाण मिलेगा तो कार्रवाई करेंगे।
कुछ पंचायतों में महिला सरपंचों की पूरी सरपंची दबंग कर रहे हैं। महिला सरपंचों के प्रमाण पत्र तक छीन लिए। इन महिला सरपंचों के दस्तखत तक यही दबंग कर रहे। भुगतान भी दबंग निकाल रहे?
– मैं कार्रवाई करने के लिए तैयार हूं। मामला तो मिले। अफसरों से ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए कहूंगा।

भास्कर सर्वे – … जहां दबंग नहीं, वहां पति ही सरपंच

भास्कर ने 3707 महिला सरपंचों के मोबाइल नंबरों पर फोन किए गए।

फोन पर बोले- महिला से क्या बात करोगे?
जिन महिला सरपंचों के परिजन ने फोन उठाए, उनसे सरपंच से बात कराने के लिए कहा। उन्होंने यह कहते हुए धमकाया कि बहू-बिटिया से क्या बात करनी। हम ही सरपंच हैं।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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