मध्यप्रदेश

Locks are on because doctors are not available | डॉक्टर नहीं मिलने से लगे हैं ताले: 7 साल में 85 में से 37 वार्ड में शुरू हो सके संजीवनी क्लिनिक, – Indore News


लोगों को क्षेत्र में ही मुफ्त में अच्छा इलाज व दवाइयां मिल जाएं व किसी दूसरे प्राइवेट या बड़े अस्पताल न जाना पड़े, इसलिए सरकार ने वार्ड में संजीवनी क्लिनिक की शुरुआत की थी, लेकिन 7 साल में 85 में से सिर्फ 37 वार्ड में ही संजीवनी क्लिनिक शुरू हो सके। इ

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वहीं अहिल्यानगर, दशहरा मैदान, चंदन नगर सहित कई वार्ड में नए संजीवनी क्लिनिक की बिल्डिंग बनकर तैयार है, लेकिन उन पर ताले लटके हुए हैं, क्योंकि यहां न तो स्वास्थ्य सुविधाएं हैं और न ही इलाज करने के लिए डॉक्टर मिल रहे, न स्टाफ। इन सबका खामियाजा क्षेत्र की जनता को उठाना पड़ रहा है।

डॉक्टर व स्टाफ नहीं मिलने की समस्या दूर करने के लिए नगर निगम ने इन क्लिनिकों को निजी संस्थाओं के साथ मिलकर चलाने का निर्णय लिया। महापौर पुष्यमित्र भार्गव, कलेक्टर आशीष सिंह व अन्य प्रयासों से 28 क्लिनिक निजी संस्थाओं द्वारा चलाने पर सहमति बनी। शुरुआत में सरकार ने 5 क्लिनिक के लिए अनुमति दी, लेकिन चार महीने बाद भी एक ही क्लिनिक शुरू हो सका है। वहीं केंद्र सरकार इन क्लिनिक के लिए 20 करोड़ रुपए दे चुकी है।

कहीं डॉक्टर मिले तो कहीं नहीं संजीवनी क्लिनिक में आ रही समस्याओं के बारे में अहिल्या नगर के पाठक सुनील जोशी व अन्य ने हमें बताया। जब भास्कर ने गुमाश्ता नगर, कुलकर्णी नगर, निपानिया, सुदामा नगर, एरोड्रम, केसरबाग, सदर बाजार, मूसाखेड़ी सहित कुछ क्षेत्रों में पड़ताल की तो कहीं डॉक्टर्स व स्टाफ मौजूद मिला तो कहीं नहीं। नए क्लिनिक में स्टाफ की कमी व जांच सुविधाओं का अभाव मिला। कुछ क्लिनिक रिटायर्ड डॉक्टर संभाल रहे हैं। हालांकि कुछ सामुदायिक केंद्रों पर चल रहे क्लिनिक की स्थिति ठीक थी, जहां लोगों को मुफ्त में दवाइयां भी मिल रही हैं। नए क्लिनिक के संचालन पर डॉक्टर-स्टाफ की सैलेरी (35 हजार तक) के अलवा अन्य सुविधाओं पर डेढ़ से 2 लाख तक का खर्च आता है।

मरीजों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं, शेड भी नहीं गुमास्ता नगर स्थित संजीवनी क्लिनिक का आकार काफी छोटा है। यहां पर मरीजों के लिए बैठने तक की जगह नहीं है। एक समय में 10 से ज्यादा मरीज आ जाएं तो गर्मी में बाहर धूप में ही खड़ा रहना होगा, क्योंकि भवन तो बना दिया, लेकिन बाहर शेड आदि की व्यवस्था भी नहीं है।

जैसे-जैसे निगम बनाकर दे रहा, शुरू कर रहे हैं नगर निगम से हमें जैसे-जैसे क्लिनिक मिल रहे हैं, उन्हें शुरू किया जा रहा है। डॉक्टर्स व स्टाफ की कमी पूरी करने के भी प्रयास चल रहे हैं। नए क्लिनिक भी जल्द शुरू किए जाएंगे। बीएस सैत्या, सीएमएचओ


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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