अजब गजब

4 साल पहले इस शख्स ने मानी थी दोस्तों की सलाह, आज देश के अरबपतियों में हुआ शामिल

नई दिल्ली. मौजूदा समय में देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के हालात कुछ खास नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी देश के धनकुबेरों ने जमकर झोली भरी है. फोर्ब्स मैगजीन ने 100 रिचेस्ट इंडियंस 2019 (Forbes Richest Indians 2019) लिस्ट जारी कर दी है. फोर्ब्स 2019 के लिस्ट में इस साल 6 नए नाम शामिल हुए हैं. इन्हीं में से एक नाम बाइजूस – द​ लर्निंग ऐप (Byju’s – The Learning App) के 38 वर्षीय संस्थापक बायजू रविंद्रन (Byju Ravindran) का नाम है. आज हम आपको ​बाइजूस के सफलता की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं.

सेल्फ लर्निंग (Self Learning) को बढ़ावा देने वाले इस ऐप को शुरू करने वाले रविंद्रन ने शुरुआती पढ़ाई केरल राज्य के कन्नूर के अजिकोड़े में मलयालम मीडियम स्कूल से की. मैथ और साइंस उनका फेवरेट सब्जेक्ट रहा. एक शिक्षक का बेटा होने के बाद भी बाइजूस ने कभी भी ​शिक्षक बनने का सपना नहीं देखा. उनमें स्पोर्ट्स को लेकर जुनून बचपन से ही रहा. कुछ सालों तक एक शिपिंग फर्म में सर्विस इंजीनियर के तौर पर उन्होंने काम किया. छुट्टियों के दिन वो अपने कुछ दोस्तों को कॉमन एंट्रेस टेस्ट (CAT) की तैयारी करा रहे थे.

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…जब स्टेडियम में एक साथ 25 हजार बच्चों को पढ़ाया
इसके कुछ दिनों बाद से ही उनके पास दोस्तों के दोस्त भी CAT क्लास लेने का अनुरोध करने लगे. इसके बाद उनका क्लास इतना मशहूर हो गया कि वो अपनी नौकरी छोड़कर एक शहर से दूसर शहर तक क्लासेज लेने लगे. एक छोटे से कमरे का क्लास बढ़कर हॉल हुआ, ऑडिटोरियम और एक बार यह एक स्टेडियम तक में ऑर्गेनाइज करना पड़ा, जहां 25,000 स्टूडेंट्स ने एक साथ क्लास अटेंड किया.

बाइजूस रविंद्रन

लॉन्च के बाद निवेशकों ने​ दिखाई दिलचस्पी
स्कूली बच्चों के लिए साल 2015 में उन्होंने बाइजूस ​लर्निंग ऐप को लॉन्च किया. इस लर्निंग ऐप में CAT, सिविल सर्विस परीक्षा, JEE, NEET से लेकर प्रबंधन ​ए​डमिशन टेस्ट तक के बारे में पढ़ा जा सकता है. अपने आप में इस अनोखे ऐप में निवेशकों ने हाथों-हाथ निवेश किया है. वेंचर कैपिटल फंड​ सिकोया कैपिटल और बेल्जियम की निवेश कंपनी ने 75 मिलियन डॉलर का निवेश किया था. यह भारत के किसी भी एजुकेशन स्टार्टअप में ​अब तक का सबसे बड़ा निवेश था. कई अन्य कंपनियों ने बाइजूस में भारी निवेश किया है.

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अब तक जुटा चुके हैं 970 मिलियन डॉलर
लॉन्च के बाद से ही बीते चार सालों में बाइजूस में लगातार निवेशकों ने भरोसा जताया है. साल 2018 में बाइजूस ऐप में दिग्गज निवेश कंपनी टेन्सेंट और BCCL ने निवेश किया. इसके साथ ही 2018 में बाइजूस देश की 11वीं यूनिकॉर्न कंपनी बन गई, जिसका कुल वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर से भी अधिक रहा. इस फंडिंग के बाद बाइजूस ने कई छोटी कंपनियों का अधिग्रहण भी किया. बायजू रविंद्रन ने जुलाई 2018 में बेंगलुरू की एक मैथ लर्निंग स्टार्टअप का अधिग्रहण किया. इसके अलावा इस स्टार्टअप ने ट्यूटरविस्टा, एडुराइट, विद्यार्था अमरीकी बेस्ड स्टार्टअप ओस्मो का अधिग्रहण किया. बाइजूस में अब तक न्यूयॉर्क की जनरल अटलांटिक, चीन की टेन्सेंट, सिकोया कैपिटल, मार्क एंड चेन जुकरबर्ग फिलेन्थ्रोपिक इनिशिएटिव ने निवेश किया है. लॉन्च होने के बाद से अब तक बाइजूस ने फंडिंग के जरिए 969.8 मिलियन डॉलर जुटाया है.

तेजी से बढ़ रहा रेवेन्यू
बाइजूस-द लर्निंग ऐप देश के उन चंद स्टार्टअप में है, जिसने लगातार तीन सालों तक 100 फीसदी ग्रोथ किया है. वित्त वर्ष 2019 में इस कंपनी का ग्रोथ बढ़कर 200 फीसदी हो गया. इसी साल के शुरुआत में बाइजूस ने घोषित किया कि वित्त वर्ष 2019 में कंपनी की रेवेन्यू 1,430 करोड़ रुपये रही. बाइजूस की इस जबरदस्त रेवेन्यू को लेकर कहा जा रहा है कि इस ऐप को देशभर में अधिक से अधिक स्टूडेंट्स पंसद करने लगे हैं. इस ऐप के पेड सब्सक्राइबर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

बायजू रविंद्रन

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क्यों तेजी से पॉपुलर हो रहा बाइजूस?
बाइजूस को पॉपुलर होने की सबसे खास बात लर्निंग अप्रोच है. इस ऐप में वीडियोज में एनिमेशन, गेमिफिकेशन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे स्टूडेंट्स के बीच काफी पसंद किया जाता है. हालांकि, इसके लिए बाइजूस टीम को चार साल तक लगातार जमकर मेहनत भी करनी पड़ी. मौजूदा समय में स्टूडेंट्स इस ऐप पर लॉग इन करने के बाद औसतन एक घंटे से भी अधिक समय बिताते हैं. बाइजूस पर कुल 3.5 करोड़ फ्री यूजर्स हैं. वहीं, 2.5 करोड़ पेड यूजर्स हैं. इस ऐप ​का रिन्यूवल रेट 85 फीसदी है, जो दर्शाता है कि स्टूडेंट्स अपने सब्सक्रिप्शन को बार-बार रिन्यू कराते हैं. इस ऐप पर लगातार अधिक से अधिक सब्जेक्ट्स, फॉर्मेट और भाषाओं को जोड़ा जा रहा है.

Tags: Business news in hindi, Byju Raveendran, BYJU’s, Investment and return, Investment scheme, Startup ideas, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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