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सीकर की संतोष खेदड़: हाईटेक खेती से सालाना 40 लाख की कमाई

Agency:News18 Rajasthan

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Success Story : सीकर की संतोष खेदड़ ने हाईटेक खेती से 5 बीघा जमीन पर सालाना 40 लाख कमाई कर किसानों के लिए रोल मॉडल बनीं. 1989 में शादी के बाद बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर सफल बागवानी की.

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संतोष खेदड़ और रामकरण खेदड़

हाइलाइट्स

  • संतोष खेदड़ ने 5 बीघा जमीन पर हाईटेक खेती से 40 लाख सालाना कमाई की.
  • बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर संतोष और रामकरण ने सफल बागवानी शुरू की.
  • सिंदूरी अनार, सेब, नींबू, अमरूद आदि की बागवानी से लाखों की आमदनी.

सीकर. कहते हैं इरादे बुलंद हो तो मुश्किल से मुश्किल डगर आसान हो जाती है. इस कहावत को सीकर जिले में रहने वाली संतोष खेदड़ ने चरितार्थ कर दिखाया है. जो, महिला 10 साल पहले एक आम गृहणी थी. आज वो किसानों के लिए रोल मॉडल बन गई है. संतोष खेदड़ हाईटेक खेती के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं. उनके द्वारा खेती में किए गए नवाचार के कारण उन्हें कई राष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिल चुके हैं. यह उन्नत महिला किसान ने महज 5 बीघा जमान पर खेती कर सालाना 40 लाख से भी अधिक की कमाई कर रही है.

1989 में हुई थी संतोष की शादी
झुंझनूं की रहने वाली संतोष की शादी 1989 में सीकर जिले के बेरी गांव के रामकरण खेदड से हुई. संतोष ने पांचवी क्लास तक ही पढ़ाई की उसके बाद पिता के साथ खेतों में जाकर खेती सीखी. उनको बचपन से ही खेती किसानी करना अच्छा लगता था. इसलिए मात्र 12 साल की कम उम्र में ही खेती का हर तौर-तरीका सीख लिए थे. इसे में जब संतोष शादी करके रामकरण के घर आई उस समय उनके पति एक होमगार्ड थे. यह 2008 की बात है, होमगार्ड की नौकरी से रामकरण को हर महीने 3 हजार रुपए की सैलरी मिल रही थी.

इस सैलरी में घर चलाना, बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा था. तो, सन्तोष ने पति से खेती करने का सुझाव दिया. लेकिन, उनकी जमीन बंजर थी. जमीन पर कोई ट्यूबवेल भी नहीं था, न बिजली कनेक्शन था. लेकिन दोनों के हौसले मजबूत थे तो बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने में लग गए.

भैंस बेचकर और उधार लेकर शुरू की बागवानी खेती
संतोष ने बताया कि उन्होंने पहली बार अपने खेत में अनार के पौधे लगाने की सोची. उस समय सिंदूरी अनार की अधिक डिमांड थी. अनार की पौध की यह किस्म महाराष्ट्र में तैयार की गई थी. इस दौरान 5500 खर्च कर 220 पौधे खरीद लिए. उस समय एक पौधा 25 रुपए का था. इसके बाद पौधे लगाने और ड्रिप सिंचाई के लिए 45 हजार रुपए की जरूरत थी. हमारे पास पैसे नहीं थे. बस एक भैंस थी. हमने 25 हजार रुपए में भैंस बेच दी. बाकी के 20 हजार रुपए रिश्तेदारों से उधार ले लिए. इस तरह बागवानी खेती शुरू हुई. जो, आज लाखों में पहुंच गई है.

40 लाख रुपए सालाना कमा रहे
संतोष और रामकरण ने बताया कि सिंदूरी अनार के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश के हरमन सेब, कागजी नींबू, अमरूद, आम, चीकू कालापती, थाई बेर, थाई बेर रेड, बिल्वपत्र, किन्नू पपीता, मौसमी, ड्रैगन फ्रूट, नागपुरी संतरा की बागवानी और नर्सरी भी शुरू कर दी थी. जो सफल हुई. ऐसे में उन्नत तकनीक के उपयोग से बागवानी कर दोनों पति और पत्नी सालाना 40 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं.

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नौकरी में मिली कम तनख्वाह…पति-पत्नी ने की खेती, बंजर जमीन पर लहलहा दी फसल


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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