Ground water level in Shajapur went down by 50 meters | शाजापुर में 50 मीटर नीचे वाटर लेवल गिरा: 300 हैंडपंप सूखे; चीलर डैम में सिर्फ पीने का पानी बचा – shajapur (MP) News

शाजापुर जिले में फरवरी माह में ही भूजल स्तर गुलाना, मोहन बड़ोदिया समेत अन्य क्षेत्रों में भूजल स्तर 50 मीटर से नीचे पहुंच गया है, जिससे 300 से ज्यादा हैंडपंप पूरी तरह सूख गए हैं। जल आपूर्ति की हालत इतनी खराब है कि 240 जल आपूर्ति योजनाओं में से 22 योज
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इस साल कम बारिश का असर साफ दिखाई दे रहा है। चीलर बांध में सिर्फ 22 फीट पानी ही जमा हो पाया। कालीसिंध, लखुंदर, नेवज, पार्वती और चीलर जैसी प्रमुख नदियां फरवरी में ही सूखने लगी हैं। किसानों को नहरों से अब तक केवल दो बार पानी मिल पाया है।
जल संसाधन विभाग के अनुसार, नगर पालिका को पेयजल वितरण के लिए 10 फीट पानी दिया गया है। लेकिन आने वाले गर्मी के मौसम में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। यह संकट न केवल आम लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि कृषि और पशुपालन के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है। चीलर डैम में दिखाई दे रहे टीले इस भीषण जल संकट की गवाही दे रहे हैं।
भूजल स्तर गिरने से चिताएं बढ़ी।
जिला प्रशासन ने पानी चोरी रोकने के लिए नगर पालिका, सिंचाई विभाग और बिजली कंपनी के दल बनाकर मानिटरिंग के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद चीलर बांध से मोटरें लगाकर पानी चोरी हो रहा है।आने वाले दिनों में जलसंकट की स्थिति पैदा हो सकती है।शहर की करीब एक लाख आबादी की जलापूर्ति के सबसे मुख्य स्रोत चीलर बांध में पानी अब कम हो रहा है।
पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री वीएस चौहान ने बताया जून 2016 में जिले का भू-जल स्तर 42 मीटर था, जो वर्ष 2025 के फरवरी महीने में 50 मीटर नीचे चल गया है। कई जगहों पर कुएं और हैंडपंप सूखने लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई हैंडपंप से भी कम पानी निकल रहा है। गांवों के लिए मंजूर नल जल योजना भी कई जगहों पर बंद पड़ी है, जहां काम चल रहा है वहां पर मार्च में काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
सिंचाई विभाग एसडीओ अंकित पाटीदार ने बताया चीलर डेम में अभी 13.5 फीट पानी शेष बचा है,जिससे पूरे शहर में गर्मी के दिनों में पेयजल की आपूर्ति करना है। अभी तो किसानों को नहरों के माध्यम से पानी दिया जा रहा है। जल उपयोगिता समिति की बैठक में नहर से किसानों को दो बार पानी सिंचाई के लिए और शहर में जलप्रदान के लिए 10 फीट पानी संरक्षित रखने का फैसला लिया गया।
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